पश्चिम बंगाल में 10वीं परीक्षा में पूछे गए- जय श्रीराम नारे के दुष्परिणाम
कोलकाता। इस साल हुए लोकसभा चुनावों में 'जय श्रीराम' और 'कट मनी' का मुद्दा काफी जोरशोर से उठाया गया था, जिसके चलते बंगाल की राजनीति में काफी उथल-पुथल देखने को मिली थी। यह मुद्दा राज्य के स्कूल की परीक्षा तक पहुंच गया है। कोलकाता से 55 किमी दूर हुगली में एकना यूनियन हाईस्कूल की 10वीं कक्षा के बंगाली भाषा के एक प्रश्नपत्र यह सवाल पूछा गया कि, जय श्री राम का नारा किस तरह समाज में प्रतिकूल प्रभाव पैदा कर रहा है? और 'कट मनी' की वापसी कैसे लोगों को फायदा पहुंचा रही है?
पांच अगस्त को आयोजित की गई परीक्षा में ये दोनों सवाल पूछे गए थे। स्कूल ने परीक्षा में छात्रों से पूछा था कि, इन दो विषयों में से एक पर एक न्यूज पेपर के लिए रिपोर्ट लिखें। पहला टॉपिक था कि, वह जय श्रीराम का दुष्परिणाम बताएं। वहीं दूसरा प्रश्न था 'कट मनी' का पैसा लौटाना भ्रष्टाचार रोकने का सरकार का साहसिक कदम। इस मामले के सामने आने के बाद स्कूल ने इन प्रश्नों को लेकर माफी मांगी है। वहीं प्रशासन ने जांच के आदेश दे दिए हैं। दरअसल लोकसभा चुनाव के दौरान बंगाल में जय श्रीराम के नारों को लेकर काफी वबाल मचा था। जिसके बाद ममता बनर्जी ने अपनी रैलियों में जय हिंद और जय बांगला के नारे लगाने शुरू कर दिए थे।
लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार पर अंगुली उठाई थी। कट मनी सत्ताधारी नेताओं द्वारा स्थानीय क्षेत्र की परियोजनाओं के लिए स्वीकृत धनराशि से लिया जाने वाला अनौपचारिक कमीशन है। उदाहरण के लिए, यदि सरकार किसी विशेष परियोजना के वित्तपोषण के लिए 100 रुपये जारी करती है, तो स्थानीय नेता, जो कई बार चुने गए प्रतिनिधि भी होते हैं, अनुदान प्राप्त करने के लिए कमीशन के रूप में 25 रुपये वसूल करते हैं। इस कमीशन को निचले स्तर के नेता से लेकर वरिष्ठतम नेता तक सभी के बीच साझा किया जाता है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पिछले हफ्ते पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में कट मनी वापस करने या जेल जाने के लिए तैयार होने की चेतावनी दी। इस चेतावनी ने जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं के बीच बहुत अधिक नाराजगी पैदा की है, जो महसूस करते हैं कि सिर्फ उनपर ही कट मनी लौटाने का दबाव बनाया जा रहा है, जबकि वरिष्ठ नेताओं को इससे दूर रखा गया है।
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