भारत के डॉक्टरों का नया कीर्तमान, एशिया में पहली बार हुआ कोरोना से ठीक हुए मरीज का लंग्स ट्रांसप्लांट
नई दिल्ली: भारत कोरोना से बुरी तरह प्रभावित है। इस बीच भारतीय डॉक्टरों ने एक नया कीर्तिमान रचा है, जहां चेन्नई में कोरोना से ठीक हो चुके मरीज के लंग्स का सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किया गया। अस्पताल का दावा है कि कोरोना से संबंधित ये एशिया का पहला लंग्स ट्रांसप्लांट है। फिलहाल मरीज की हालत स्थिर बताई जा रही है। साथ ही उसके नए लंग्स भी ठीक से काम कर रहे हैं।
लंबे वक्त से वेंटिलेटर पर था मरीज
एमजीएम हेल्थकेयर में हृदय और फेफड़ों के प्रत्यारोपण कार्यक्रम के अध्यक्ष और निदेशक डॉ. केआर बालाकृष्णन के मुताबिक गुरुग्राम के 48 वर्षीय व्यापारी 8 जून को कोरोना से संक्रमित हुए थे। इस दौरान फाइब्रोसिस ने उनके लंग्स को बुरी तरह प्रभावित किया। जिसके बाद जुलाई में उनके परिवार वाले वेंटिलेटर सपोर्ट पर उन्हें चेन्नई लेकर आए। जिसके बाद उन्हें ECMO ट्रीटमेंट दिया गया।
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25 जुलाई से था डोनर का इंतजार
मामले में एमजीएम हेल्थकेयर के सह निदेशक डॉ. सुरेश राव ने बताया कि उनकी टीम ने 8 घंटे की कड़ी मेहनत के बाद सफलतापूर्वक लंग्स ट्रांसप्लांट कर लिया है। मरीज की हालत अब अच्छी है। साथ ही ECMO सपोर्ट को भी हटा लिया गया है। प्रत्यारोपण के लिए लंग्स चेन्नई के ग्लेनेगल्स ग्लोबल अस्पताल में एक ब्रेन डेड डोनर से आए थे। साथ ही इसी अस्पताल में एक दूसरे मरीज को ब्रेन डेड डोनर का हार्ट दिया गया। राव के मुताबिक मरीज का परिवार 25 जुलाई से डोनर का इंतजार कर रहा था।
कई लोगों को नई जिंदगी
वहीं मुंबई के कुर्ला में रहने वाली मोनिका मोरे ने अपने दोनों हाथ एक रेल हादसे में गंवा दिए थे। पिछले आठ महीनों से वो भी किसी डोनर का इंतजार कर रहीं थीं। अब डोनर मिलने के बाद मोनिका का भी हाथ ट्रांसप्लांट कर दिया गया है। वो फिलहाल आईसीयू में हैं और उनकी भी हालत स्थिर है। ऐसे में देखा जाए तो एक ब्रेन डेड डोनर ने मरने के बाद तीन लोगों को नई जिंदगी दी है। वहीं लंग्स ट्रांसप्लांट को काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि ये एशिया की पहली सर्जरी है। आगे जब कोरोना से किसी मरीज के लंग्स खराब होंगे, तो उसका ट्रांसप्लांट भारत में हो सकेगा।
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