'तोमर राजा' ने कोर्ट में कुतुब मीनार पर ठोका दावा, ASI ने कहा- 150 साल से सो रहे थे और...
नई दिल्ली, अगस्त 24। कुतुब मीनार के स्वामित्व को लेकर चल रहा घमासान जारी है। कुतुब मीनार में पूजा के अधिकार को लेकर एक याचिका पर पहले से ही सुनवाई चल रही है। ऐसे में दिल्ली की एक अदालत में कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह द्वारा हस्तक्षेप याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में उन्होंने खुद को तोमर का वंशज बताया था और कुतुब मीनार के स्वामित्व का दावा किया था।
ASI ने किया था याचिका का विरोध
इस याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई, जिस पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने आपत्ति दर्ज कराई। एएसआई ने इस याचिका का विरोध किया और कहा कि यह हस्तक्षेप याचिका 'निराधार है और इसमें कोई तार्किक या कानूनी तर्क नहीं है।'' एएसआई ने कहा कि मौजूदा अपील में कोई भी अधिकार तय करने के लिए यह याचिका पर्याप्त नहीं है और हस्तक्षेप करने वाले ने दिल्ली और उसके आसपास की जमीनों पर मालिकाना हक का दावा 1947 से अभी तक किसी अदालत में नहीं किया गया है।
आपको बता दें कि याचिकाकर्ता ने तोमर राजा के वंशज होने का दावा किया था और कहा था कि कुतुब मीनार तोमर सिंह के परिवार से संबंधित है। इस याचिका में कहा गया था कि सरकार को कुतुब मीनार के आसपास की भूमि के बारे में आदेश देने या फिर कोई निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं है। हस्तक्षेप याचिका का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और हिंदू याचिकाकर्ताओं दोनों ने विरोध किया।
एएसआई ने इस याचिका का विरोध करते हुए कहा कि वापसी या स्वामित्व या निषेधाज्ञा के लिए मुकदमा दायर करने का समय कई दशक पहले गुजर चुका है, 'स्वामित्व का दावा और उनकी संपत्ति में हस्तक्षेप पर निषेधाज्ञा पाने का अधिकार'' देरी के सिद्धांत के तहत समाप्त हो चुका है। एएसआई ने कहा कि हस्तक्षेप याचिका दायर करने वाले क्या पिछले 150 साल से सो रहे थे? एएसआई ने कहा कि जब कुतुब मीनार को कानूनी तौर पर 1913 में संरक्षित विरासत घोषित किया गया तब यह लोग कहां थे?
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