सिंगरौली में ऐशपॉन्ड टूटा, चार किलोमीटर तक फैले जहरीले रासायनिक तत्व
सिंगरौली। मध्य प्रदेश में कोयले का गढ़ कहे जाने वाले सिंगरौली जिले में स्थित एस्सार थर्मल पावर प्लांट का ऐशपॉन्ड यानी राखड़ के तालाब का बांध टूट गया। ऐशपॉड टूटने से राखड़ का सैलाब इस कदर फूटा कि पानी व राखड़ में मौजूद जहरीले रासायनिक तत्व करीब 4 किलोमीटर तक फैल गये। इन तत्वों के का रण इलाके में तमाम तरह की बीमारियां फैलने की आशंका बढ़ गई है। और तो और चार किलोमीटर के दायरे में उगाई गई फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई। वहीं एस्सार कंपनी का कहना है कि यह हादसा नहीं बल्कि किसी के द्वारा की गई तोड़-फोड़ का नतीजा है। कंपनी ने यह भी कहा कि जहां राखड़ फैली है, वहां खेत नहीं थे।
क्या होता है ऐशपॉन्ड
थर्ममल पावर प्लांट में जब कोयला जलाया जाता है, तब उसमें से हजारों टन राखड़ निकलती है। दो दशक पूर्व राखड़ को खाली मैदानों में छोड़ दिया जाता था। लेकिन 1999 में केंद्र सरकार ने राखड़ को खुले मैदान पर फेंके जाने पर प्रतिबंध लगा दिया। लिहाज़ा सरकारी निर्देशानुसार सभी विद्युत संयंत्रों को राखड़ को फैलने से रोकने के लिये बड़े-बड़े तालाब बनाने होते हैं। चारों तरफ बांध रूपी दीवारें खड़ी करके एक बड़े से हौद में राखड़ भरी जाती है। इसके अलावा इस राखड़ का प्रयोग सीमेंट, ईंट व सड़क बनाने में किया जाना चाहिये, जोकि नहीं हो रहा है। देश भर में मात्र 10 प्रतिशत राखड़ ही ईंट-सीमेंट आदि बनाने में प्रयोग की जाती है। यही कारण है कि देश के लगभग सभी ऐशपॉन्ड लबा-लब भरते जा रहे हैं।
क्या हुआ सिंगरौली में
सिंगरौली में एस्सार पावर प्लांट का ऐशपॉन्ड भी हजारों टन राखड़ से भरा हुआ था। ऊपर से बारिश का पानी भी उसमें मिल चुका था। बुधवार की रात करीब 9 बजे इसका बांध टूट गया। जिसके चलते राखड़ का सैलाब फूट पड़ा और आस-पास के चार गांव राखड़ की बाढ़ में समा गये। कई इलाकों में तो करीब छह फीट तक राखड़ भर गई। यही नहीं आस-पास की जमीनों में जहां धान, ज्वार आदि की फसलें बोयी गई थीं, बर्बाद हो गईं। यही नहीं कई बच्चे तो राखड़ में बह कर अपने घर से दूर चले गये। हालांकि किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं है। गांव वालों की मानें तो इस बांध के टूटने से सभी गांवों में कुल मिलाकर करीब 10 करोड़ का नुकसान हुआ है।
अधिकारी हैं हलकान
वनइंडिया में इस पर बात करने के लिये जिलाधिकारी अनुराग चौधरी से फोन पर संपर्क करने की कोश्ािश की, लेकिन उनका फोन स्विच ऑफ मिला। वहीं क्षेत्रीय अधिकारी एसके चौधरी को कई बार फोन किये जाने पर भी उन्होंने फोन नहीं उठाया। इससे साफ जाहिर है कि इस घटना से अधिकारी भी हलकान हैं।
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इस पर एनजीटी के पिटीशनर व पर्यावरण एक्टिविस्ट जगत नारायण विश्वकर्मा ने कहा कि यह हादसा कंपनी द्वारा बरती गई लापरवाही के कारण हुई है। इस बांध में दरारें पहले ही दिखाई दी थीं, जिसकी शिकायत गांवा वालों ने कंपनी से पहले ही की थी, लेकिन कंपनी ने उसे नज़रअंदाज़ कर दिया। बीती रात भारी बारिश के चलते बांध टूट गया। अब इस राख की सफाई करने में तीन से चार महीने लगेंगे। यही नहीं रख में मौजूद रासायनिक तत्वों के कारण प्रभावित जमीन भी बंजर हो गई है। अब वहां खेती करना लगभग नामुमकिन है। हम सरकार से मांग करते हैं कि गांव वालों को इसका मुआवज़ा जल्द से जल्द दिया जाये।
कौन-कौन से रासायनिक तत्व होते हैं राखड़ में
कोयले की राखड़ में सीसा यानी लेड, वैनेडियम, आर्सेनिक, पारा यानी मरकरी, थैलियम, मॉलीबेडनम, कोबाल्ट, मैंगनीज़, एंटीमनी, एल्युमिनियम, बेरीलियम, बेरियम, निकेल, क्लोरीन और बोरोन जैसे तत्व पाये जाते हैं। इन्वॉरेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी ईपीए की रिपोर्ट के अनुसार राखड़ में से अधिकांश तत्व हेवी मेटल यानी भारी धातु हैं, जिनकी जद में निरंतर आने पर किसी भी व्यक्ति को कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी हो सकती है। यानी ऐशपॉन्ड के आस-पास रहने वाले लोगों को हमेशा गंभीर बीमारियों का खतरा बना रहता है।
एस्सार पावर प्लांट ने इसे बताया साजिश
एस्सार के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट मनीष केडिया ने इस संबंध में अधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा, "एस्सार पावर एमपी लिमिटेड के महान पावर प्लांट के का यह ऐशपॉन्ड टूटा नहीं है, बल्कि किसी ने जानबूझ कर इसे तोड़ा है, कंपनी को बदनाम करने के लिये। बांध के टूटने से राखड़ बहकर कसाउलाल गांव में घुस गई है, जिसका हमें बेहद अफसोस है। हम यह जल्द ही यह साबित कर देंगे कि यह हादसा नहीं जबरन की गई तोड़-फोड़ है। रही बात फसल खराब होने की तो यह आरोप गलत है। जिस जमीन पर राखड़ फैल गई है, वह कृषि भूमि नहीं बल्कि ईपीएमएल की जमीन है। हमारे सुरक्षाकर्मियों के अनुसार बुधवार की रात चार से पांच अज्ञात लोग ऐशपॉन्ड के पास देखे गये थे। और जिस समय यह घटना हुई, उस वक्त सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें भागते हुए देखा। कंपनी की ओर से इस मामले में एफआईआर दर्ज करा दी गई है। साथ ही जिला प्रशासन को इस संबंध में सूचित कर दिया गया है।
मनीष केडिया ने कहा कि जिस जमीन पर राखड़ फैली है, वह जमीन ऐशपॉन्ड बनाने के लिये भूमि अधिग्रहण नियम के तहत किसानों से ली गई है। जिसके ऐवेज में उनके परिवारों को मुआवज़ा भी ईपीएमपीएल द्वारा दिया जा चुका है। ऐशपॉन्ड का दायरा बढ़ाने के लिये संपरिवर्तन प्रभार नियम के तहत कंपनी द्वारा इसका पूरा शुल्क पहले ही दिया जा चुका है। इस जमीन पर गांव वाले अपने रिस्क पर जबरन कब्जा करके यहां रह रहे थे। ईपीएमपीएल ने कई बार गांव वालों से यह जमीन खाली करने को कहा था। अंत में सीनियर वीपी ने कहा कि एस्सार कंपनी सरकार द्वारा निर्धारित सभी पर्यावरण नियमों का पालन करने के लिये प्रतिबद्ध है और 2012 से पालन करती आ रही है।