अशोक चव्हाण का बड़ा खुलासा- सोनिया गांधी ने उद्धव ठाकरे से लिखित में मांगा था आश्वासन, क्या थी सरकार गठन की शर्त?
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने का फैसला लिया था। बीजेपी से अलग होने के बाद कई दिनों तक एनसीपी और कांग्रेस नेताओं के साथ शिवसेना की बैठकें होती रही, जिसके बाद तीनों दल एक साथ मिलकर सरकार बनाने पर सहमत हुए थे। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे महा अघाड़ी गठबंधन के नेता चुने गए और उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इस बीच कांग्रेस और शिवसेना के साथ आने पर सियासी गलियारों में लगातार चर्चा का दौर जारी रहा क्योंकि इन दोनों दलों की विचारधाराएं विपरीत रहीं। वहीं, सरकार गठन से पहले कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शिवसेना के सामने एक शर्त रखी थी, जिसका खुलासा पूर्व सीएम और लोकनिर्माण मंत्री अशोक चव्हाण ने किया है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने शिवसेना से लिखित में मांगा था आश्वासन- चव्हाण
उद्धव ठाकरे कैबिनेट में लोकनिर्माण मंत्री और महाराष्ट्र कांग्रेस के दिग्गज नेता अशोक चव्हाण ने स्वीकार किया कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी महाराष्ट्र में बनने वाली सरकार में शिवसेना को शामिल करने के खिलाफ थीं। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी ने शिवसेना से लिखित में ये आश्वासन मांगा था कि महाराष्ट्र में सरकार संविधान के दायरे में काम करेगी। नांदेड़ में एक सभा के दौरान अशोक चव्हाण ने कहा कि सोनिया गांधी ने साफ निर्देश दिए थे कि राज्य सरकार हर हाल में संविधान के दायरे में काम करेगी।
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अगर उम्मीदों के मुताबिक काम नहीं करती सरकार तो...
चव्हाण ने कहा,' सोनिया गांधी ने हमें बताया कि शिवसेना से लिखित में लेना होगा कि सरकार को संविधान के दायरे में काम करना चाहिए और संविधान की प्रस्तावना का उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिए। हमसे कहा गया कि ये बातें शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को बता दी जाएं। उन्होंने महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं से ये भी कहा कि अगर सरकार उम्मीदों के मुताबिक काम नहीं करती तो हमें इस गठंबधन से अलग हो जाना चाहिए।'
'बीजेपी को बाहर रखने और मुस्लिमों के आग्रह पर सरकार में हुए शामिल'
चव्हाण ने कहा कि ये बात उद्धव ठाकरे को बताई और इससे सहमत थे। इसके बाद तीनों दलों ने मिलकर सरकार बनाई। चव्हाण ने यह भी कहा कि भाजपा को सत्ता से बाहर रखने और मुस्लिम समुदाय के आग्रह पर कांग्रेस सरकार में शामिल हुई। उन्होंने कहा कि पार्टी नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का समर्थन नहीं करेगी। पार्टी के नेताओं के अनुसार, शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस द्वारा तैयार किया गया न्यूनतम साझा कार्यक्रम संवैधानिक ढांचे के दायरे में काम करने के लिए पार्टियों का समझौता है।