गंगा में अस्थि विसर्जन पर केंद्रीय मंत्री के बयान पर मचा बवाल, साधुओं ने की हटाने की मांग
हरिद्वार। केंद्रीय जल संरक्षण, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय में राज्य मंत्री डा. सत्यपाल सिंह ने गंगा में अस्थि विसर्जन और जलसमाधि को लेकर बड़ा बयान दे दिया है जिस पर अब बवाल मचना शुरू हो गया है। सत्यपाल सिंह ने मंगलावार को हरिद्वार में एक कार्यक्रम के दौरान ने महामंडलेश्वरों को जल समाधि के बजाए दाह संस्कार करने की सलाह दे दी थी। यही नहीं गंगा आरती के दौरान दोने में फूल रखकर गंगा में प्रवाहित करने पर भी केंद्रीय राज्यमंत्री ने चिंता जताते हुए इसे गंगा की पवित्रता के लिए घातक बताया है।
सत्यपाल सिंह ने कहा था कि लोग दाह संस्कार को आपनाएं। अस्थि और राख विसर्जन गंगा के बजाए जमीन में गाढ़कर उसके ऊपर पौधा लगाएं। जिसे आने वाली पीढ़ी याद करेगी। समय की मांग हैं कि हमें अपने रीतियों के बारे में फिर से सोचना होगा। केंद्रीय राज्य मंत्री मंगलवार को हरिद्वार ऋषिकुल में नमामि गंगे योजना के राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के तहत स्वीकृत 918.937 करोड़ की लागत से प्रस्तावित 32 योजनाओं के लोकार्पण समारोह को संबोधित कर रहे थे।
केंद्रीय मंत्री के इस बयान की साधुओं ने आलोचना की है। जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य ने कहा कि मंत्री सत्यपाल सिंह ने बड़ी हास्यास्पद बात कही है। उन्हें शायद धर्म क्षेत्र के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है। दुर्भाग्य है कि ऐसा व्यक्ति गंगा बचाओ कार्यक्रम से जुड़ा हुआ है। तो वहीं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि अस्थि गंगा में प्रवाह नहीं होगी तो फिर और कहां होगीं। ऐसे बचकाने बयान कदापि स्वीकार और बर्दाश्त नहीं किए जा सकते।