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A-SAT missile: दो वर्ष पहले NSA डोवाल ने दी हरी झंडी, 6 महीने पहले मिशन मोड में पहुंचा प्रोजेक्‍ट

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नई दिल्‍ली। भारत ने बुधवार को सफलतापूर्वक एक एसैट मिसाइल का टेस्‍ट किया है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीवी पर आकर इसकी जानकारी जनता को दी। इस पूरे ऑपरेशन को 'मिशन शक्ति' नाम दिया गया था। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) के मुखिया जी सतीश रेड्डी ने कहा है कि यह मिसाइल प्रोजेक्‍ट छह माह पहले अपने मिशन मोड में पहुंचा था और दो वर्ष पहले इसे मंजूरी दी गई थी। डीआरडीओ चेयरमैन ने न्‍यूज एजेंसी एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में यह बात कही है।

यह भी पढ़ें-मिशन शक्ति: कौन सा था वह सैटेलाइट जिसे लियो में ASAT ने किया है नष्‍ट यह भी पढ़ें-मिशन शक्ति: कौन सा था वह सैटेलाइट जिसे लियो में ASAT ने किया है नष्‍ट

छह माह तक नहीं सोए 100 वैज्ञानिक

छह माह तक नहीं सोए 100 वैज्ञानिक

जी सतीश रेड्डी ने बताया, 'एनएसए अजित डोवाल को हम रणनीतिक मामलों के बारे में जानकारी देते हैं। उन्‍होंने हमें इस टेस्‍ट के लिए निर्देश दिए और प्रधानमंत्री ने भी इस पर अपनी इच्‍छा जाहिर की।' उन्‍होंने आगे कहा, 'इस प्रोजेक्‍ट पर डेवलपमेंट कुछ वर्ष पहले शुरू हुआ और छह माह‍ पहले प्रोजेक्‍ट मिशन मोड पर पहुंचा था।'रेड्डी ने यह भी बताया कि पिछले छह माह के दौरान जब प्रोजेक्‍ट मिशन मोड में था, तो करीब 100 वैज्ञानिक 24 घंटे इसकी सफलता के लिए लगे थे। तब जाकर कहीं लॉन्‍च की तारीख पर फैसला हो सका।

बालासोर से लॉन्‍च हुई मिसाइल

बालासोर से लॉन्‍च हुई मिसाइल

बुधवार को 11:16 मिनट पर ओड़‍िशा के बालासोर से ए-सैट मिसाइल को लॉन्‍च किया गया। लॉन्‍च के तीन मिनट के अंदर इसने अपने लक्ष्‍य पर सफलतापूर्वक निशाना लगाया। ए-सैट मिसाइल ने लो अर्थ ऑर्बिट में 300 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद एक सैटेलाइट को ढेर किया। यह एक ऐसा सैटेलाइट था जिसे डी-कमीशंड किया जा चुका था। इस पूरे ऑपरेशन को, 'मिशन शक्ति' नाम दिया गया था।

इसलिए 300 मीटर पर चुना गया टारगेट

इसलिए 300 मीटर पर चुना गया टारगेट

डीआरडीओ चीफ से जब पूछा गया कि 300 किलोमीटर दूर टारगेट को ही क्‍यों चुना गया तो उन्‍होंने इसका भी जवाब दिया। उन्‍होंने कहा, 'एक जिम्‍मेदार देश होने के नाते हम चाहते थे कि अंतरिक्ष में सभी पहलू पूरी तरह से सुरक्षित रहें। साथ ही इसका मलबा भी जल्‍द से जल्‍द खत्‍म हो सके।' पीएम मोदी के संबोधन के बाद विदेश मंत्रालय की ओर से इस पर एक विस्‍तृत बयान जारी किया गया। इस बयान में अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय को जानकारी दी गई थी कि भारत की यह कार्रवाई सिर्फ दुश्‍मन कि किसी प्रतिक्रिया का जवाब देने के मकसद से की गई है।

पूरी तरह से देश में निर्मित टेक्निक

पूरी तरह से देश में निर्मित टेक्निक

जी सतीश रेड्डी ने बताया कि टारगेट को 'काइनेटिक किल' से भेदा गया जिसका मतलब होता है सैटेलाइट पर सीधा निशाना लगाना। डीआरडीओ चेयरमैन के मुताबिक इसमें कई प्रकार की तकनीकी की जरूरत होती है जिन्‍हें पूरी तरह से देश में ही डेवलप किया गया था। उन्‍होंने यह भी कहा कि अब भारत के पास वह क्षमता है जिसके बाद कुछ ही सेंटीमीटर की दूरी पर पूरी शुद्धता के साथ सैटेलाइट को ढेर किया जा सकता है।

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English summary
ASAT Missile: DRDO Chief G Satheesh Reddy says project went into mission mode 6 months ago.
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