दिल्ली का आध्यात्मिक विवि आश्रम विवादों में, हाईकोर्ट के दखल के बाद सीबीआई ने की कार्रवाई
नई दिल्ली। यौन शोषण सहित तमाम आरोपों में जिस तरह से आध्यात्मिक आश्रम एक के बाद एक घिर रहे हैं, उसके चलते आश्रम के भीतर चल रहे काम पर सवाल खड़े होने लगे हैं। दिल्ली में एक बार फिर से आध्यात्मिक आश्रम विवादों में आ गया है। यहां आध्यात्मिक विश्वविद्यालय में रह रहे लोगों के साथ अमानवीय व्यवहार का मामला सामने आया है। यहां बाबा वीरेंद्र दीक्षित के आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के भीतर एक कमेटी जांच के लिए गई थी, जिसमे सरकारी वकील नंदिता राव, दिल्ली महिला आयोग के चीफ स्वाती मालीवाल, डीसीपी रजनीश गुप्ता और एडवोकेट अजय वर्मा शामिल थे ने अपनी रिपोर्ट हाई कोर्ट को दी है, जिसमे कई सनसनीखेज खुलासे हुए हैं।
अश्लील पत्र बरामद
कमेटी ने रोहिणी स्थित आश्रम में मंगलवार को रात छापेमारी की थी, कमेटी ने यह छापेमारी दिल्ली हाई कोर्ट में एक अभिभावक की याचिका के बाद की थी, जिसमे कहा गया था कि आश्रम में कई नाबालिग लड़कियां और महिलओं का यौन शोषण हो रहा है। जिसके बाद कमेटी ने आश्रम के भीतर छापेमारी की, यहां से कई अश्लील पत्र बरामद किए गए हैं जिसमे से अधिकतर पत्रों में लोगों पर यौन शोषण का आरोप लगाया गया है। आश्रम में रह रहे लोगों छापेमारी करने आई कमेटी को रोकने की भी कोशिश की। नंदिता राव ने बताया हमे मदद के लिए पुलिस को बुलाना पड़ा था।
गुप अंधेरे में दयनीय स्थिति में लड़कियां
कमेटी ने कोर्ट में बताया कि आश्रम में जहां लोग रहते हैं वहा पहुंचने के लिए रास्ता काफी संकरा है, यह इतनी संकरा और नीचा है कि हमे वहां झुककर जाना पड़ा था। जगह-जगह पर लोहे के दरवाजे लगाए गए हैं, ऐसा लगता है कि यहां रहने वाले लोग कुछ नशा करते हैं और वह नशे में दिखते हैं। यहां रहने वालों को पूरी तरह से यहीं सीमित कर दिया गया है और किसी को भी यहां अपने रिश्तेदारों या दोस्तों से मिलने की इजाजत नहीं दी जाती है। यहां महिलाओं की हालत देखकर कमेटी पूरी तरह से सकते में आ गई थी।
नाबालिग लड़कियां आश्रम में
कोर्ट में अपनी रिपोर्ट में कमेटी का कहना है कि महिलाओं को काफी तंग जगह पर रखा गया है, जहां रोशनी नहीं आती है। लोग यहां से बाहर नहीं जा सके इसके लिए लोहे के गेट लगा दिए गए हैं। स्वाति मालीवाल ने कहा कि ऐसा लगता है कि यहां रहने वाली लड़कियां नाबालिग हैं, लिहाजा इनकी उम्र की जांच की जानी चाहिए। कमेटी ने कोर्ट में कहा कि दूसरी बिल्डिंग में पुरुष रहते हैं, लेकिन मुमकिन है कि यहां भी नाबालिग लड़के रहते हैं। लिहाजा यहां जांच कराई जानी चाहिए और लोगों की उम्र की पुष्टि भी कराई जानी चाहिए।
सीबीआई को सौंपी जांच
तमाम एफआईआर दर्ज कराने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिसके चलते हाई कोर्ट ने इस मामले में कथित सैक्स रैकेट की जांच के लिए सीबीआई को जिम्मा सौंपा है। साथ ही कोर्ट ने आश्रम में रह रहे सभी लोगों का मेडिकल चेकअप कराने का भी निर्देश दिया है। दिल्ली हाई कोर्ट दिल्ली के स्वास्थ्य सचिव को निर्देश दिया है कि वह आश्रम में डॉक्टरों की एक टीम को भेजे और आश्रम को निर्देश दिया है वह इस पूरी प्रक्रिया में अथॉरिटीज का सहयोग करें। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया हैकि वह वह पर्यवेक्षक कमेटी को पुख्ता सुरक्षा मुहैया कराए। नॉर्थ दिल्ली मुनिसिपल कॉर्पोरेशन को कोर्ट ने निर्देश दिया है कि वह इस बात की जांच करे कि क्या आश्रम में अवैध निर्माण हुआ है।
जो अंदर जाता है वह कभी बाहर नहीं आता
रोहिणी में आश्रम के पास रहने वाले लोगों का कहना है कि जब हम लोग क्रिकेट खेलते थे और गेंद अंदर चली जाती थी तो किसी की भी हिम्मत नहीं होती थी कि वह अंदर गेंद लेने के लिए चला जाए। यहां रह रहे एक पड़ोसी का कहना है कि यह काफी दुखद है कि अगर आप इस बिल्डिंग के भीतर जाते हैं तो आप कभी भी वापस बिल्डिंग से बाहर नहीं आते हैं।
भूल सुधार: इस खबर में पहले गलती से आश्रम की जगह आसाराम लिखा गया था, जिसका आसाराम बापू या उनके आश्रम से कोई लेना देना नहीं है। अगर इससे आसाराम बापू के अनुयायियों को ठेस पहुंची है तो हम खेद प्रकट करते हैं।
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