असदुद्दीन ओवैसी बोले- हिंदी हर भारतीय की मातृभाषा नहीं, भारत सबसे ऊपर
नई दिल्ली। हिंदी दिवस पर गृहमंत्री अमित शाह की ओर से किए गए ट्वीट पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पलटवार किया है। ओवैसी ने ट्वीट करते हुए कहा कि हिंदी हर भारतीय की मातृभाषा नहीं है। क्या आप कई मातृभाषाओं की विविधता और सुंदरता की सराहना करने की कोशिश कर सकते हैं जो इस भूमि को एक बिंदु से जोड़ कर रखती है? अनुच्छेद 29 प्रत्येक नागरिकों को एक भाषा, लिपि और संस्कृति का अधिकार देता है। भारत, हिंदी, हिंदू और हिंदुत्व से काफी बड़ा है।
वहीं गृहमंत्री अमित शाह ने ट्वीट करते हुए कहा कि भारत विभिन्न भाषाओं का देश है और हर भाषा का अपना महत्व है परन्तु पूरे देश की एक भाषा होना अत्यंत आवश्यक है जो विश्व में भारत की पहचान बने। आज देश को एकता की डोर में बाँधने का काम अगर कोई एक भाषा कर सकती है तो वो सर्वाधिक बोले जाने वाली हिंदी भाषा ही है।
Hindi isn't every Indian's "mother tongue". Could you try appreciating the diversity & beauty of the many mother tongues that dot this land? Article 29 gives every Indian the right to a distinct language, script & culture.
India's much bigger than Hindi, Hindu, Hindutva https://t.co/YMVjNlaYry
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) September 14, 2019
आज हिंदी दिवस के अवसर पर मैं देश के सभी नागरिकों से अपील करता हूँ कि हम अपनी-अपनी मातृभाषा के प्रयोग को बढाएं और साथ में हिंदी भाषा का भी प्रयोग कर देश की एक भाषा के पूज्य बापू और लौह पुरूष सरदार पटेल के स्वप्प्न को साकार करने में योगदान दें। हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। गृहमंत्री के इस ट्वीट के बाद ओवैसी ने ट्वीट किया था।
भारत विभिन्न भाषाओं का देश है और हर भाषा का अपना महत्व है परन्तु पूरे देश की एक भाषा होना अत्यंत आवश्यक है जो विश्व में भारत की पहचान बने। आज देश को एकता की डोर में बाँधने का काम अगर कोई एक भाषा कर सकती है तो वो सर्वाधिक बोले जाने वाली हिंदी भाषा ही है। pic.twitter.com/hrk1ktpDCn
— Amit Shah (@AmitShah) September 14, 2019
एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी का यह ट्वीट हिंदी दिवस के मौके पर आया है। देश में हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एकमत से इसे राजभाषा का दर्जा दिए जाने का निर्णय लिया तथा 1950 में संविधान के अनुच्छेद 343 (1) के द्वारा इसे देवनागरी लिपि में राजभाषा का दर्जा भी दे दिया गया।
Recommended Video
यह भी पढ़ें- योगी सरकार की बड़ी कार्रवाई, मुलायम परिवार से खाली कराई लोहिया ट्रस्ट बिल्डिंग