असदुद्दीन ओवैसी ने रमजान के दिनों में वोटिंग पर सवाल उठाने वालों को दिया जवाब , बोले- आपको रमजान के बारे में क्या मालूम है?
नई दिल्ली: भारतीय चुनाव आयोग ने रविवार शाम को लोकसभा चुनाव 2019 के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया है। देश में 11 अप्रैल से 19 मई तक सात चरणों में मतदान होगा और 23 मई को नतीजे आएंगे। इसी बीच रमजान के महीने में वोटिंग कराने को लेकर विवाद शुरू हो गया है। ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस के एक नेता ने रमजान के महीन में वोटिंग पर सवाल उठाए हैं। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन(AIMIM)के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे बकवास बताया। ओवैसी ने कहा कि इसे लेकर बेवजह विवाद खड़ा किया जा रहा है।
'मुसलमान समुदाय और रमजान पर ना करें राजनीति'
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मैं ईमानदारी से उन राजनीतिक दलों से अनुरोध करूंगा कि कृपया आप मुस्लिम समुदाय और रमजान का उपयोग न करें चाहें आपके पास जो भी वजह हो। उन्होंने आगे कहा कि निश्चित तौर पर मुसलमान रमजान में रोजा रखेंगे। वे बाहर जाते हैं और सामान्य जिंदगी जीते हैं। वो ऑफिस जाते है। यहां तक कि गरीब से गरीब मुसलमान भी रोजा रखता है। मेरा विश्लेषण कहता है कि रमजान के महीने में वोटिंग प्रतिशत में इजाफा होगा। क्योंकि वो दुनिया के और कर्तव्यों से मुक्त होते हैं।
'आपको रमजान के बारे में क्या मालूम है?'
एआईएमआईएम चीफ ओवैसी ने कहा कि वह रमजान में चुनाव का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि वो रमजान के महीने में रोजा भी रहेंगे और वोट डालने भी जाएंगे। 'रमजान से वोटिंग पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इस पर राजनीति न की जाए। यह गैर जरूरी विवाद पैदा किया जा रहा है। आपको रमजान के बारे में क्या मालूम है?' चुनाव आयोग ने इस पर अपनी सफाई देते हुए कहा कि रमजान के महीनों में चुनाव की तारीखे पड़ रही हैं। लेकिन पूरे महीना इसमें शामिल नहीं है। हालांकि मुख्य त्यौहारों और शुक्रवार को वोटिंग की तारीख नहीं रखी गई है।
'बीजेपी चाहती है अल्पसंख्यक वोट न डालें'
कोलकता के मेयर और टीएमसी नेता फिरहाद हकीम ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि वो चाहती है कि अल्पसंख्यक अपना वोट न डालें। उन्होंने आगे कहा कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है और हम उसका सम्मान करते हैं। हम उनके खिलाफ कुछ नहीं बोलना चाहते हैं। लेकिन 7 चरणों में चुनाव बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए मुश्किल होगा। यह उन लोगों के लिए सबसे ज्यादा मुश्किल होगा जो रमजान के महीने में रोजा रखेंगे।
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