तीन तलाक को असदुद्दीन ओवैसी ने बताया संविधान विरोधी, बोले- ये महिलाओं के खिलाफ बड़ा अन्याय होगा
नई दिल्ली: हैदराबाद से सांसद और एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में तीन तलाक का जमकर विरोध किया। ओवैसी ने इस बिल को संविधान विरोधी बताने के साथ इसके कई बिंदुओं पर सवाल खड़े किये। गौरतलब है कि मोदी सरकार अपने पहले कार्यकाल में इस बिल को पास नहीं करा पाई थी। मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले सत्र में शुक्रवार को लोकसभा में तीन तलाक बिल रखा। मोदी सरकार की तरफ से केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ये बिल सदन के पटल में रखा।
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तीन तलाक बिल संविधान विरोधी
हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने तीन तलाक बिल को संविधान विरोधी बताते हुए कहा कि ये यह संविधान के आर्टिकल 14 और 15 का उल्लंघन है। हमारे पास पहले से ही घरेलू हिंसा अधिनियम 2005, सीआरपीसी धारा 125, मुस्लिम महिला विवाह अधिनियम है। उन्होंने आगे कहा कि अगर अगर तीन तलाक बिल एक कानून बन जाता है तो यह महिलाओं के खिलाफ और भी बड़ा अन्याय होगा।
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गुजारा भत्ते पर उठाए सवाल
असदुद्दीन ओवैसी ने तीन तलाक के प्रावधानों पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अगर कोई आदमी गिरफ्तार हो जाता है, तो वह जेल से गुजारा भत्ता कैसे देगा? सरकार का कहना है कि अगर कोई मुस्लिम व्यक्ति इस अपराध को करता है तो विवाह बरकरार रहेगा और अगर उसे अदालत द्वारा दंडित किया जाता है तो उसे 3 साल की जेल होगी। वह 3 साल के लिए जेल जाएगा लेकिन शादी बरकरार रहेगी! मोदी क्या कानून बना रहे हैं?
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सजा पर उठाए सवाल
असदुद्दीन ओवैसी ने तीन तलाक के बिल में सजा के प्रवधान पर कहा कि मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि यह किस तरह का न्याय है। अगर किसी गैर-मुस्लिम व्यक्ति ऐसा कानून लागू होता है तो वह 1 साल के लिए जेल जाता है और मुस्लिम व्यक्ति पर लागू होने पर वो 3 साल के लिए जेल जाता है। उन्होंने आगे कहा कि आपको मुस्लिम महिलाओं से इतनी मोहब्बत है, तो केरल की हिंदू महिलाओं से मोहब्बत क्यों नहीं है। क्यों आप सबरीमाला के फैसले के खिलाफ हैं?
रविशंकर ने सदन में रखा बिल
लोकसभा में रविशंकर प्रसाद ने इसे पेश करते हुए कहा कि मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की जाएगी। यह महिलाओं के न्याय और सशक्तिकरण का मसला है। लोगों ने हमें कानून बनाने के लिए चुना है। कानून बनाना हमारा काम है। तीन तलाक के पीड़ितों को न्याय देना कानून है। 16वीं लोकसभा भंग होने होने की वजह से सरकार इस बिल को ला रही है।