अब ओवैसी ने कहा, 'भारत हिंदू राष्ट्र नहीं है, इंशाल्लाह कभी होगा भी नहीं'
असदुद्दीन ओवैसी ने किस बात पर कहा, 'भारत हिंदू राष्ट्र नहीं है, इंशाल्लाह कभी होगा भी नहीं'
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नई दिल्ली। अपने बेबाक बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहने वाले एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी एक बार फिर चर्चाओं में हैं। दरअसल असम एनआरसी के मुद्दे पर छाए विवाद के बीच राज्य के मंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के एक ट्वीट के जवाब में ओवैसी ने कहा है कि भारत एक हिंदू राष्ट्र नहीं है और ना ही कभी बन पाएगा। ओवैसी ने कहा कि भारत को सभी भारतीयों की रक्षा करनी चाहिए, सिर्फ हिंदुओं की नहीं। इससे पहले असम एनआरसी सूची जारी होने पर ओवैसी ने कहा था कि उन्हें शक है कि नागरिक संशोधन विधेयक के माध्यम से बीजेपी एक बिल ला सकती है, जिसमें वो सभी गैर-मुस्लिमों को नागरिकता देने की कोशिश कर सकते हैं, जो फिर से समानता के अधिकार का उल्लंघन होगा।
'अगर भारत हिंदुओं की रक्षा नहीं करेगा तो कौन करेगा'
दरअसल, एनआरसी के मुद्दे पर असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट करते हुए कहा था, 'यह एकदम साफ है कि कैसे असम एनआरसी का इस्तेमाल मुसलमानों को बाहर करने के लिए किया जा रहा है। इस तरह की एक कठिन प्रक्रिया के माध्यम से बिना कागजात वाले लोगों को बाहर करने के बाद हिमंता बिस्वा सरमा कहते हैं कि चाहे जैसे भी हो, हिंदुओं की रक्षा की जाएगी। किसी से भी उसकी धार्मिक आस्था के आधार पर नागरिकता ना दी जा सकती है और ना वापस ली जा सकती है।' ओवैसी के इस ट्वीट के जवाब में हिमंता बिस्वा ने जवाब देते हुए कहा, 'अगर भारत हिंदुओं की रक्षा नहीं करेगा तो उनकी रक्षा कौन करेगा? पाकिस्तान? भारत सदैव सताए हुए हिंदुओं का घर रहेगा, आपके विरोध के बावजूद सर।'
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'यह देश किसी की आस्था की तुलना में बहुत-बहुत बड़ा है'
इसके बाद हिमंता बिस्वा सरमा के ट्वीट पर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, 'भारत को सभी भारतीयों की रक्षा करनी चाहिए, केवल हिंदुओं की नहीं। दो-राष्ट्र सिद्धांत के उपासक कभी भी यह नहीं समझ सकते कि यह देश किसी की आस्था की तुलना में बहुत-बहुत बड़ा है। संविधान कहता है कि भारत सभी धर्मों, जातियों और वर्गों के साथ समान व्यवहार करेगा। यह हिंदू राष्ट्र नहीं है, इंशाल्लाह यह कभी होगा भी नहीं।' एक और ट्वीट करते हुए ओवैसी ने कहा, 'हम एक ऐसा देश हैं, जिसने कई पीड़ित समुदायों (हिंदुओं और गैर-हिंदुओं) का स्वागत किया है, वे शरणार्थी हैं संभावित नागरिक नहीं। धर्म कभी भी नागरिकता का आधार नहीं हो सकता। हमारे पूर्वजों ने इसे अस्वीकार कर दिया, जब उन्होंने संविधान का मसौदा तैयार किया और गोडसे की औलाद इसे इतनी आसानी से बदल नहीं सकतीं।'
एनआरसी की लिस्ट से बाहर हुए 19 लाख लोग
आपको बता दें कि बीती 31 अगस्त को असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की अंतिम लिस्ट जारी की गई थी। एनआरसी की फाइनल लिस्ट जारी होते ही इसके विरोध में आवाजें भी उठनी शुरू हो गईं। दरअसल इस लिस्ट में 3.11 करोड़ लोगों को जगह दी गई है, जबकि असम में रहने वाले 19.06 लाख लोग इससे बाहर रखे गए हैं। वहीं, केंद्र सरकार और असम सरकार ने आश्वस्त किया है कि जिनका नाम लिस्ट में नहीं है, उनको किसी भी तरह से परेशान नहीं किया जाएगा और उनके लिए अन्य विकल्प खुले हैं। जिन लोगों के नाम एनआरसी की अंतिम लिस्ट में नहीं होंगे, उन्हें तब तक विदेशी घोषित नहीं किया जा सकता है, जब तक सभी कानूनी विकल्प इस्तेमाल नहीं किए जाते। अंतिम लिस्ट में नाम नहीं होने पर विदेशी ट्रिब्यूनल में अपील की जा सकेगी।
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