
मैं चाहता हूं भविष्य में हिजाब पहनने वाली देश की पीएम बने, भाजपा मुसलमानों की पहचान के खिलाफ: असदुद्दीन ओवैसी
Asaduddin Owaisi: जिस तरह से युनाइटेड किंगडम को ऋषि सुनक के रूप में नया प्रधानमंत्री मिली है उसके बाद भारत में उनकी काफी चर्चा हो रही है। दरअसल ऋषि सुनक भारतीय मूल के नागरिक हैं, वह ब्रिटेन के पहले प्रधानमंत्री हैं जो हिंदू धर्म के हैं। ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री बनने के बाद एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मैं चाहता हूं कि कोई हिजाब पहनने वाली लड़की एक दिन भारत की प्रधानमंत्री बने। भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोलते हुए ओवैसी ने कहा कि भाजपा हलाल मीट के खिलाफ है, मुस्लिम धर्म के अन्य रिवाजों के खिलाफ है। भाजपा मुसलमानों की पहचान के भी खिलाफ है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री सिर्फ मुंह से बोलते हैं सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास। जमीनी हकीकत यह है कि भाजपा का एजेंडा बिल्कुल अलग है, वह देश में बहुलवाद को खत्म कर देना चाहती है। भाजपा को हलाल मांस से लेकर, मुसलमानों की दाढ़ी से खतरा नजर आती है, मुसलमानों की टोपी से खतरा नजर आता है। ये लोग मुसलमानों की पहचाने के ही खिलाफ हैं। ओवैसी ने कहा कि मैं चाहता हूं कि एक दिन भविष्य में हिजाब पहनने वाली लड़की देश की प्रधानमंत्री बने।
गौर करने वाली बात है कि कर्नाटक के बीजापुर में नगर निगम के चार वार्ड में चुनाव होने हैं। 28 अक्टूबर को होने वाले इस चुनाव को लेकर ओवैसी लोगों को संबोधित कर रहे थे, इसी दौरान उन्होंने भाजपा पर जमकर हमला बोला। ओवैसी ने कहा कि पिछली बार टीआरएस चीफ चंद्रशेखर राव के कहने पर यहां पर हमने चुनाव नहीं लड़ा था, उस बार हमने जनता दल (एस) के लिए प्रचार किया था। लेकिन इस बार मैं अपनी पार्टी के उम्मीदवार के लिए चुनाव प्रचार करने के लिए आया हूं।
बता दें कि हिजाब को लेकर देश में नया विवाद कर्नाटक के उडुपी स्थित स्कूल से खड़ा हुआ था, जहां छात्राओं को हिजाब पहनकर अंदर आने से रोक दिया गया था। जिसके बाद यह मामला कोर्ट पहुंच गया था। हाई कोर्ट ने शिक्षण संस्थान में हिजाब पर लगे बैन को हटाने से इनकार कर दिया था। यही नहीं सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने भी इस प्रतिबंध को हटाने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के जज हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया ने कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए बंटा हुआ फैसला दिया। जिसकी वजह से अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच सुनेगी।