बालाकोट के बाद पाकिस्तान के 8 ठिकानों से रवाना हुए थे फाइटर जेट्स, वह भी 10 मिनट थे लेट
नई दिल्ली। 26 फरवरी को पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा के बालाकोट (Balakot) में जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर भारतीय वायुसेना (Indian Air Force ) के जेट्स ने हमले किए थे। इंग्लिश डेली हिन्दुस्तान टाइम्स ने आईएएफ के सूत्रों के हवाले से लिखा है कि पाकिस्तान के अलर्ट होने के बाद भी एयर स्ट्राइक पूरी तरह से सफल रही थी। लेकिन वायुसेना ने इस मिशन से कुछ सबक भी लिए हैं। बालाकोट हवाई हमला, 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले का जवाब था जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। आईएएफ की एक रिपोर्ट के आधार पर वायुसेना ने सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही पहलुओं का जिक्र किया है।
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छह टारगेट्स पर गिराए गए बम
आईएएफ की रिपोर्ट के हवाले से बताया गया है कि बालाकोट एयर स्ट्राइक में छह टारगेट्स को हिट किया गया था। हवाई हमले के बाद यह पहला आधिकारिक आंकड़ा है जो एयरफोर्स की ओर से दिया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक 12 मिराज-2000 फाइटर जेट्स ने जिस तरह से हथियारों से लैस होकर टारगेट्स को हिट किया वह वाकई एक सरप्राइजिंग एलीमेंट था। इस एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान एयरफोर्स ने अपने आठ फाइटर जेट्स रवाना किए थे। पाक के जेट्स ने सरगोधा के मुशाफ, शोरकोट के रफिकी, कमारा एटॉक के मिनहास और चकवाल के मुरीद से टेक ऑफ किया था। लेकिन पाकिस्तान के जेट्स आईएएफ के जेट्स का पीछा करने में कम से 10 मिनट तक लेट हो गए थे।
पाकिस्तान पर हमले के लिए चाहिए बस तीन घंटे
आधिकारिक सूत्रों की मानें तो पाकिस्तान, पुलवामा हमले के बाद से ही अलर्ट पर था लेकिन उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि भारत की तरफ से हवाई हमला हो सकता है। सूत्रों की मानें तो इंटेलीजेंस की सटीकता और टारगेट सेलेक्शन सकारात्मक बिंदुओं के तौर पर सामने आए हैं। आईएएफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसी इंटेलीजेंस के आधार पर सिर्फ तीन घंटे के अंदर ही पाकिस्तान में मौजूद किसी भी लक्ष्य को भेदा जा सकता है।
मिशन से वाकिफ थे 6,000 जवान और ऑफिसर्स
बालाकोट मिशन ने आईएएफ के पायलट्स की कुशलता भी साबित की है। रिपोर्ट का कहना है कि पूरे मिशन के दौरान पायलट्स ने जिस क्षमता का प्रदर्शन किया वह वाकई काबिल-ए-तारीफ है। जितने भी पायलट इस मिशन में शामिल थे, उन्हें उनकी क्षमता और कौशल के लिए पुरस्कृत किया जाएगा। सबसे अहम बात है कि मिशन को कैसे पूरा किया जाएगा इस बात से इंडियन एयरफोर्स के 6,000 जवान और ऑफिसर्स वाकिफ थे। यह हजारों जवान और ऑफिसर्स देशभर के एयरबेस पर तैनात हैं लेकिन मिशन की जरा सी भी भनक किसी को नहीं लग पाई।
सुखोई से पाक को किया गया कनफ्यूज
सबसे अहम बात है कि हमले के दौरान इंडियन एयरफोर्स के रशियन सुखोई जेट्स पाकिस्तान के बहावलपुर की तरफ रवाना हुए थे। बहावलपुर, जैश का हेडक्वार्टर है। सुखोई को देकर पाकिस्तान एयरफोर्स ने अपनी सारी एनर्जी और एयर डिफेंस सुखोई को खदेड़ने में लगा दी। जबकि हमला बालाकोर्ट में हो रहा था। हमले के लिए आईएएफ ने इजरायल में बने स्पाइस-2000 गाइडेड बमों का प्रयोग किया था। पांच से छह टारगेट्स पर ये बम गिराए गए थे और जैश के ट्रेनिंग कैंप को इससे खासा नुकसान हुआ था।
मौसम साबित हुआ विलेन
वहीं बालाकोट हमले के समय कुछ बातें ऐसी भी थीं जो हमले को नुकसान पहुंचा सकती थी। इनमें सबसे अहम था मौसम का खराब होना। बादल इतने नीचे थे कि वह फाइटर जेट्स के लिए समस्या बन सकते थे। इसके अलावा पुराने मिराज जेट में जो नया इंटीग्रेटेड वेपन सिस्टम लगाया गया है वह कम प्रभावशाली है। आईएाफ ने इस पूरे मिशन को देसी तकनीक से अंजाम दिया। इसके अलावा आईएफ के पास स्ट्राइक को साबित करने के लिए तस्वीरों का न होना भी एक नकारात्मक पहलू बन गया है। इसकी वजह से ही पाकिस्तान बालाकोट एयर स्ट्राइक में नुकसान की बात मानने को ही नहीं तैयार है। बालाकोट मिशन के बाद आईएएफ ने अपनी इस रिपोर्ट में और ज्यादा तकनीकी सहायता मुहैया कराने की बात कही है।