हर पल पिघलता जा रहा है ग्लेशियर, और बढ़ेगी गर्मी, नासा ने दी चेतावनी
नई दिल्ली। बीते दशक में पूर्वी अंटार्कटिका के तट के आठवें हिस्से में फैले ग्लेशियरों के एक समूह से बर्फ पिघल रही है। इसके चलते समुद्र में बड़े बदलाव दिखाई पड़ रहे हैं। नासा के वैज्ञानिकों ने इसको लेकर रिसर्च के जरिए पता लगाया है कि पूर्वी अंटार्कटिका के पास समुद्री जल स्तर में वृद्धि के माध्यम से दुनियाभर की तट-रेखाओं को नई आकृति प्रदान करने की क्षमता है। वैज्ञानिकों के लिए ये एक ताजा जानकारी है क्योंकि वे लंबे समय से ये मान रहे थे कि ये पश्चिमी अंटार्कटिका की तुलना में स्थिर है।
दरअसल नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर की ग्लेशियोलॉजिस्ट कैथरिन वॉकर के नेतृत्व में रिसर्च से खुलासा हुआ है कि टोटन के वेस्ट में स्थित चार ग्लेशियरों के एक समूह में समुद्र स्तर को बढ़ाने के लिए पर्याप्त बर्फ है। इसमे से कुल 11 फीट की बर्फ पहले ही पिघल चुकी है। हालांकि पहले इन ग्लेशियरों की ऊंचाई में कोई बदलाव नहीं देखने को मिला था लेकिन साल 2008 के बाद इसमें 9 फीट की कमी आई।
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इसको लेकर कैथरीन ने एक बयान में कहा है कि, 'इसके पीछे का कारण हवाओं और विलेक्स लैंड व विनसेन्नेस बे में समुद्री जल द्वारा पहुंचाई गई गर्मी में वृद्धि के परिणामस्वरूप समुद्री बर्फ में परिवर्तन हो सकता है। अगर गर्म जल काफी दूर तक चला जाता है तो वह गहरी से गहरी बर्फ में पहुंच सकता है। इससे ग्लेशियर के पिघलने में तेजी आ सकती है लेकिन अभी हमें यह नहीं पता चल सका है कि यह कितना जल्दी होगा।'
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