डिप्टी सीएम रहते तेजस्वी यादव ने बंगले में लगवाए थे 44 AC! किसके इशारे पर क्लीनचिट?
नई दिल्ली- आरजेडी नेता और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने अपने कार्यकाल के दौरान पद का दुरुपयोग किया था या नहीं, इसको लेकर नीतीश कुमार की सरकार के अंदर ही मतभेद पैदा हो गए हैं। बंगले की मरम्मत और सजावट के नाम पर सरकारी धन के दुरुपयोग के मामले में बिहार भवन निर्माण विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी से क्लीनचिट दिए जाने के एक दिन बाद उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने तेजस्वी यादव पर लगाए अपने आरोपों को दोहरा दिया है और यह भी बताया है कि किस तरह से जनता के पैसों को पानी की तरह बहाया गया था, फिर भी नीतीश कुमार की सरकार ने उन्हें पूरी तरह से क्लीनचिट दे दिया है।
तेजस्वी के मुद्दे पर बिहार सरकार में मतभेद
इकोनॉमिक्स टाइम्स की एक खबर के मुताबिक बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने अपने उस दावे को दोहराया है कि उप मुख्यमंत्री रहते हुए तेजस्वी यादव ने बंगले की मरम्मत एवं साजो-सज्जा के लिए अपने पोजिशन का बेजा इस्तेमाल किया था। सुशील मोदी ने कहा है कि, "आखिर किस नियम के तहत तेजस्वी ने भवन निर्माण विभाग से मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च करवाने के अलावा पुल निर्माण निगम से 59 लाख रुपये का फर्नीचर लगवाया?" उप मुख्यमंत्री ने शनिवार को एक बयान जारी कर अपनी ही सरकार से पूछा है कि, "आखिर किस नियम के तहत तेजस्वी ने 44 एयर कंडीशनर्स, उनमें से भी कुछ तो बाथरूम में भी, 35 महंगे लेदर के सोफे, 464 फैंसी एलईडी लाईट्स, 108 पंखे, कीमती बिलियर्ड्स टेबल, दीवारों पर वूडेन पैनल, वूडेन फ्लोर्स एवं बंगले में इंफोर्टेड ग्रेनाइट की फ्लोरिंग करवाई?"
उप मुख्यमंत्री की बिहार सरकार पर भड़ास
सुशील मोदी ने कहा है कि तेजस्वी यादव द्वारा अपने बंगले को 7-स्टार होटल की तरह बनवाने के चलते ही भवन निर्माण विभाग को मंत्रियों के लिए भविष्य में बंगलों पर खर्च करने को लेकर गाइडलाइंस जारी करनी पड़ी थी, ताकि सरकारी पैसों का दुरुपयोग रोका जा सके। उन्होंने कहा है कि, "अगर तेजस्वी ने सरकारी पैसों का दुरुपयोग नहीं किया होता और बंगले पर कब्जा नहीं किया होता, तो सुप्रीम कोर्ट उनसे बंगला खाली करवाने के लिए उनपर 50,000 रुपये का फाइन नहीं लगाता।"
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डिप्टी सीएम के आरोपों को दरकिनार कर मिली क्लीनचिट
एक दिन पहले ही बिहार के बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी चंचल कुमार ने तेजस्वी यादव को क्लीनचिट देते हुए कहा था कि उन्होंने अलग-अलग वक्त पर अलग-अलग मद में रकम खर्च किए थे, इसलिए इसे निर्धारित बजट की सीमा का उल्लंघन नहीं माना जा सकता। उनके मुताबिक, "बंगले पर करोड़ों रुपये खर्च हुए हैं, लेकिन वह अलग-अलग मद में और अलग-अलग समय पर किए गए हैं। अगर ये इकट्ठे खर्च किए गए होते, तो कैबिनेट या फाइनेंस डिपार्टमेंट की मंजूरी की आवश्यकता होती। कोई अतिरिक्त रकम नहीं खर्च की गई है।" गौरतलब है कि तेजस्वी पर बंगले की मरम्मत के नाम पर सरकारी पैसे पानी की तरह बहाने के आरोप सुशील मोदी ने ही लगाए थे, जिसपर जांच के बाद भवन निर्माण विभाग ने उन्हें क्लीनचिट दी थी। लेकिन, उन्हें क्लिनचिट देने के लिए जो तर्क दिए जा रहे हैं, उसी से इस मामले में ऊंचे स्तर पर लीपापोती की आशंका पैदा हो रही है।
मुख्यमंत्री के इशारे पर तेजस्वी को क्लीनचिट?
यह संयोग की ही बात है कि बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी चंचल कुमार कई साल से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भी प्रिंसिपल सेक्रेटरी हैं। उन्हें सीएम का बेहद खास अफसर माना जाता है। इसलिए चंचल द्वारा उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी के आरोपों को पूरी तरह से दरकिनार कर तेजस्वी यादव को क्लिनचिट देने से पॉलिटिकल सर्किल में माना जा रहा है कि उन्होंने कहीं अपने राजनीतिक लीडरशिप के इशारे पर तो ऐसा नहीं किया है? इसी से यह भी चर्चा उठ रही है कि कहीं नीतीश कुमार फिर से आरजेडी की ओर हाथ बढ़ाने की कोशिश तो नहीं कर रहे हैं। वैसे पटना में सीएम आवास से सटे 5, देशरत्न मार्ग का बंगला आरजेडी-जेडीयू गठबंधन टूटने के बाद मौजूदा डिप्टी सीएम सुशील मोदी को अलॉट किया गया था। लेकिन, तेजस्वी यादव तब तक बंगला छोड़ने के लिए राजी नहीं हुए, जब तक इसी साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने उनपर कानून का डंडा चलाते हुए 50 हजार रुपये का जुर्माना नहीं लगाया।
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