अरुणाचल के सीएम ने कहा, चीन के साथ नहीं बल्कि तिब्बत से सटी है अरुणाचल प्रदेश की सीमा
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा अरुणाचल की सीमा तिब्बत से लगती है न कि चीन से और ऐसे में चीन के पास दलाई लामा के विरोध करने का कोई अधिकार नहीं है।
ईटानगर। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने बुधवार को तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के अरुणाचल दौरे पर चीन के विरोध को आड़े हाथों लिया है। खांडू ने कहा है कि चीन के पास भारत को धमकी देने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि 14वें दलाई लामा की गतिविधियां देश में हो रही हैं क्योंकि भारत की सीमा तिब्बत से लगी हैं न कि चीन से।
'चीन नहीं है हमारा पड़ोसी'
दलाई लामा मंगलवार को अरुणाचल प्रदेश पहुंचे हैं और उनका अरुणाचल दौरा करीब एक हफ्ते तक चलेगा। दलाई लामा राज्य की बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार के आमंत्रण पर अरुणाचल प्रदेश पहुंचे हैं। उनके दौरे से पहले ही चीन की ओर कई धमकियां भारत के लिए आ चुक हैं जिनमें दलाई लामा को अरुणाचल न जाने की सलाह दी गई थी। करीब एक माह से चीन इस बात को कहता आ रहा था कि दलाई लामा का दौरा द्विपक्षीय संबंधों को काफी नुकसान पहुंचाएगा। खांडू ने कहा, 'मैं बिल्कुल सीधे एक बात कहूंगा। चीन को यह कहने का कोई हम नहीं है कि हम क्या करें और क्या नहीं क्योंकि वह हमारा पड़ोसी नहीं है।' उन्होंने बताया कि मैकमोहन रेखा भारत और तिब्बत को बांटती है। अरुणाचल प्रदेश इस रेखा के करीब 1,080 किलोमीटर इलाके में आता है।
दलाई लामा के साथ थे सीएम खांडू
चीन, अरुणाचल प्रदेश के करीब 90,000 स्क्वायर किलोमीटर के इलाके पर अपना हक जताता है। इस विवाद को दूर करने के लिए कई दौर की वार्ता बेकार हो चुकी है। तिब्बत के लोगों की मांग है कि उन्हें चीन के रवैये से आजादी चाहिए और वह भी इसी तरह का नजरिया रखते हैं। अरुणाचल प्रदेश में कई लोग ऐसे हैं जो मैकमोहन रेखा को भारत-चीन सीमा मानने के भारत की स्वीकृति के खारिज कर देते हैं। बॉर्डर मैनेजमेंट जो कि गृह मंत्रालय के तहत आता है, उसका कहना है कि भारत करीब 3,488 किलोमीटर का बॉर्डर चीन के साथ साझा करता है। असम की राजधानी गुवाहाटी से जब दलाई लामा अरुणाचल प्रदेश के बोमदिला के लिए रवाना हुए तो खांडू भी उनके साथ थे। करीब आठ घंटे तक सड़क मार्ग का रास्ता तय करके दलाई लामा बोमदिला पहुंचे। खांडू ने कहा कि दलाई लामा को किसी भी तरह से तवांग पहुंचना था और खराब मौसम भी उन्हें नहीं रोक सक। उम्मीद करते हैं कि अरुणाचल प्रदेश में उनके अनुयायियों को उनसे मिलकर संतुष्टि होगी। खांडू ने यह भी कहा वर्ष 1959 से दलाई लामा के मेहमान हैं।