इसलिए पीएम मोदी के 'संकटमोचक' थे अरुण जेटली
नई दिल्ली। पूर्व वित्त मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के दिग्गज नेता अरुण जेटली का शनिवार को दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। वो 67 साल के थे और लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे। अरुण जेटली की पहचान एक विद्वान, कानूनी जानकार और अनुभवी राजनीतिक नेता की रही है। 9 अगस्त को तबीयत खराब होने के बाद एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां कई दिनों तक उनको लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में अरुण जेटली का बतौर वित्तमंत्री बड़ा योगदान रहा।
कई अहम फैसलों के पीछे जेटली
मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान पीएम मोदी ने कई बड़े फैसले लिए, उनमें जेटली भी अहम भागीदार रहे। मोदी सरकार ने पहले कार्यकाल में जिस तरह से ताबड़तोड़ फैसले लिए, वे जेटली के योगदान के बिना संभव नहीं था। बतौर वित्त मंत्री अरुण जेटली के कार्यकाल में नोटबंदी, जीएसटी, इनसॉल्वेंसी एंड बैकरप्शी कोड, जनधन योजना, कैश ट्रांसफर जैसे कई ऐतिहासिक फैसले लिए गए। इस सभी फैसलों का मुख्य चेहरा भले ही पीएम मोदी थे लेकिन इसकी स्क्रिप्ट जेटली ने तैयार की थी।
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विपक्ष के आरोपों का जवाब देने के लिए पहली पसंद थे जेटली
कई राजनीतिक पंडित अरुण जेटली को पीएम मोदी के लिए 'संकट के साथी' विशेषण का इस्तेमाल कर चुके हैं। खुद पीएम नरेंद्र मोदी भी जेटली की ना केवल तारीफ कर चुके हैं, बल्कि उन्हें अपने मंत्रिमंडल का हीरा बता चुके हैं। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान विपक्ष जब भी सरकार पर हमलवार हुआ, जेटली विपक्ष के आरोपों का जवाब देने के लिए पीएम मोदी की पहली पसंद होते थे।
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पीएम मोदी के चंद करीबियों में एक थे जेटली
जेटली पीएम मोदी के चंद करीबियों में एक रहे। शायद यही कारण था कि जेटली ना सिर्फ आर्थिक मोर्चे पर बल्कि अन्य सभी मोर्चों पर सरकार का सफलतापूर्वक प्रचार करते थे। माना जाता है कि पीएम मोदी जेटली की सलाह के बिना कोई फैसला नहीं लेते थे। जेटली की पहचान राजनीति के साथ-साथ एक बड़े वकील की भी रही। वो सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता रहे। उनके परिवार में पत्नी संगीता जेटली और दो बच्चे- रोहन और सोनाली हैं।