इस खतरनाक बीमारी से जूझ रहे थे पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली
नई दिल्ली। पूर्व वित्त मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के दिग्गज नेता अरुण जेटली का शनिवार को दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। वो 67 साल के थे और लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे। अरुण जेटली की पहचान एक विद्वान, कानूनी जानकार और अनुभवी राजनीतिक नेता की रही है। 9 अगस्त को तबीयत खराब होने के बाद उनको एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां कई दिनों तक उनको लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था।
सॉफ्ट टिशू कैंसर नामक खतरनाक बीमारी थी
अरुण जेटली करीब 2 साल से बीमार चल रहे थे। उन्हें सॉफ्ट टिशू कैंसर नाम की खतरनाक बीमारी थी। किडनी संबंधी बीमारी के बाद पिछले साल मई में अरुण जेटली का किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था। लेकिन किडनी की बीमारी के साथ कैंसर ने उनकी सेहत को बुरी तरह प्रभावित किया। लंबे समय से बीमार जेटली को कई बार एम्स में भर्ती कराया जा चुका था। बीमार रहने के कारण ही जेटली ने कैबिनेट में शामिल ना होने की इच्छा जताई थी। हालांकि, बीमारी के बावजूद वे विभिन्न मुद्दों पर सोशल मीडिया पर अपनी राय व्यक्त करते रहे थे। तीन तलाक बिल पास होने पर भी उन्होंने अपनी राय व्यक्त की थी।
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9 अगस्त से एम्स में भर्ती थे जेटली
घबराहट और बेचैनी की शिकायत के बाद पूर्व वित्त मंत्री को 9 अगस्त को सुबह 10 बजे एम्स के कार्डियो-न्यूरो सेंटर में भर्ती कराया गया, जहां पर एंडोक्रिनोलॉजिस्ट, नेफ्रोलॉजिस्ट और कार्डियोलॉजिस्ट की एक टीम जेटली के स्वास्थ्य की निगरानी कर रही थी। इस दौरान पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण, और लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने एम्स पहुंचकर उनका हाल जाना था। विपक्षी दलों के कई नेता भी उनका हाल जानने एम्स पहुंचे थे।
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क्या है सॉफ्ट टिशू सार्कोमा
दरअसल, हमारे शरीर में कई तरह के सॉफ्ट टिशू ट्यूमर होते हैं, लेकिन सभी कैंसरस नहीं होते हैं। वो शरीर के दूसरे हिस्सों में फैल भी नहीं सकते, लेकिन जब ये ट्यूमर में विकसित हो जाता है तो इसमें सार्कोमा शब्द भी जुड़ जाता है, जो हड्डियों और मांसपेशियों के टिशू से शुरू होता है। सॉफ्ट टिशू कैंसर का सार्कोमा नर्व्स, मसल्स, टिशू सर्कोमा, फाइबर टिश्यू में विकसित होता है। माना जाता है कि सॉफ्ट टिशू कैंसर की शुरुआत पैर या हाथ से होती है, लेकिन ये शरीर के किसी भी अंग में हो सकता है। शरीर के किसी हिस्से में गांठ दिखना, पेट में दर्द धीरे-धीरे बढ़ना, उल्टी आने पर खून आना इसके लक्षण होते हैं।