राफेल विवाद: जेटली ने खारिज की जेपीसी जांच की मांग, कहा- सुप्रीम कोर्ट का फैसला अंतिम
नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रविवार को स्पष्ट कर दिया कि मोदी सरकार राफेल मामले में कांग्रेस की जेपीसी (ज्वॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी) जांच की मांग को स्वीकार नहीं करेगी। जेटली फेसबुक पर लिखो ब्लॉग में कहा, 'सुप्रीम कोर्ट का फैसला अंतिम है और CAG रिव्यू प्रासंगिक नहीं है। वित्त मंत्री ने तर्क दिया कि जेपीसी जांच की मांग जायज नहीं है, क्योंकि संसदीय समिति कोर्ट से अलग नतीजे कैसे देगी।
अरुण जेटली ने कांग्रेस को 'बैड लूजर्स' बताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट से क्लीन चिट मिलने के बाद डील पर CAG की राय प्रासंगिक ही नहीं रह जाती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस बचे हुए शीतकालीन सत्र में भी राफेल पर चर्चा के बजाय हंगामा ही करेगी।
'राफेल- झूठ और अब फिर झूठ?' शीर्षक के साथ लिखे ब्लॉग में जेटली ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सौदे (राफेल डील) की वैधता साबित हो चुकी है। कोर्ट ने जो कुछ कहा है, कोई राजनीतिक कमेटी कभी उससे अलग कुछ नहीं पा सकती।' फैसले में सीएजी और पीएसी के मुद्दे पर जेटली ने लिखा, 'डिफेंस ट्रांजेक्शंस सीएजी के पास ऑडिट रिव्यू के लिए जाते हैं और उसके बाद उन्हें पीएसी (पब्लिक अकाउंट्स कमिटी) को भेजा जाता है। सरकार ने कोर्ट में तथ्यात्मक और सही-सही बात रखी। राफेल का ऑडिट रिव्यू अभी सीएजी के पास लंबित है। सभी तथ्य उसके साथ साझा किए जा चुके हैं। जब यह रिपोर्ट तैयार हो जाएगी तो यह पीएसी के पास जाएगी।'
अरुण जेटली ने आगे लिखा, 'कोर्ट के सामने सही तस्वीर पेश की जा चुकी है और अब यह कोर्ट के विवेक पर है वह कि बताए कि सीएजी का रिव्यू किस चरण में लंबित है।' सीएजी रिव्यू पर जेटली ने कहा, 'प्रक्रिया, प्राइसिंग और ऑफसेट सप्लायर्स को लेकर कोर्ट के अंतिम नतीजों के लिए सीएजी रिव्यू प्रासंगिक नहीं है, लेकिन बैड लूजर्स कभी भी सच को स्वीकार नहीं करते। तमाम झूठ पकड़े जाने के बाद अब उन्होंने जजमेंट के बारे में दुष्प्रचार करना शुरू कर दिया है।'
वित्त मंत्री ने आगे लिखा, 'कांग्रेस जब अपने शुरुआती झूठ में नाकाम हो गई तो अब फैसले के बारे में नए झूठ गढ़ रही है। अदालत ने न्यायिक समीक्षा की। सुप्रीम कोर्ट स्वतंत्र, भेदभावरहित और निष्पक्ष संवैधानिक संस्था है। कोर्ट का फैसला ही अंतिम है। इस फैसले की समीक्षा सुप्रीम कोर्ट के अलावा कोई और नहीं कर सकता।'
राफेल डील को सुप्रीम कोर्ट से क्लीन चिट के बाद कांग्रेस राफेल डील की जेपीसी जांच कराने की मांग कर रही है। कांग्रेस का तर्क है कि केंद्र सरकार ने कोर्ट में सही तथ्य पेश नहीं किए। राफेल विवाद पर कांग्रेस का आधार लड़ाकू विमान की कीमत को लेकर है, उसका आरोप है कि यूपीए के समय में राफेल की कीमत बेहद कम तय की गई थी, जिसे मोदी सरकार के समय बढ़ाकर सौदा किया गया है। इसके अलावा उद्योगपति अनिल अंबानी की कंपनी को डील के लिए ऑफसेट पार्टनर चुने जाने पर कांग्रेस की आपत्ति है।
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