अरुण जेटली प्रोफाइल: छात्र नेता, देश के सबसे महंगे वकील से वित्तमंत्री तक का सफर
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नई दिल्ली। भाजपा के राज्यसभा सांसद और पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली का आज 67 साल की उम्र में निधन हो गया। वो बीते एक-डेढ़ साल से लगातार बीमार चल रहे थे। 9 अगस्त को ज्यादा तबीयत खराब होने पर उनको एम्स में भर्ती कराया गया था, जहां शनिवार दोपहर उन्होंने आखिरी सांस ली। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्रिमंडल का अहम हिस्सा रहे जेटली ने इस बार अपनी खराब सेहत का हवाला देते हुए मंत्रिमंडल में शामिल होने से इनकार कर दिया था। इससे पहले वो वाजपेयी की सरकार में भी मंत्री रहे थे। जेटली की पहचान राजनीति के साथ-साथ एक बड़े वकील की भी रही। वो सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता रहे। जेटली के परिवार में पत्नी संगीता जेटली और दो बच्चे- रोहन और सोनाली हैं।
छात्र राजनीति से की शुरुआत
1952 में जन्में अरुण जेटली ने नई दिल्ली सेंट जेवियर्स स्कूल से पढ़ाई की और इसके बाद उन्होंने श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने पिता महाराज किशन की तरह वकील का पेशा चुनने की ठानी और डीयू से 1977 में लॉ की डिग्री ली।
पढ़ाई के साथ ही वो राजनीति की तरफ झुके। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़कर छात्र राजनीति शुरू की और 1974 में डीयू स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष बने। इमरजेंसी (1975-1977) के दौरान जेटली को मीसा के तहत 19 महीना जेल में भी काटना पड़ा। यहीं से उनकी पहचान बननी शुरू हुई। उनसे प्रभावित होकर जय प्रकाश नारायण ने उन्हें राष्ट्रीय छात्र और युवा संगठन समिति का संयोजक नियुक्त किया।
वाजपेयी सरकार में भी रहे मंत्री
जेटली इमरजेंसी के बाद जनसंघ और फिर भारतीय जनता पार्टी से जुड़े। 1991 में अरुण जेटली बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बनें। 1999 के लोकसभा चुनाव के समय वो भाजपा के प्रवक्ता बने। वाजपेयी सरकार में पहले वो सूचना प्रसारण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और बाद में 2000 में उन्हें कानून, न्याय और कंपनी मामले का कैबिनेट मंत्री बनाया गया।
पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का निधन, लंबे समय से थे बीमार
देश के सबसे महंगे वकीलों में रही गिनती
2004 के लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा ने उनको संगठन में जगह देते हुए महासचिव बनाया। 2009 में जेटली को भाजपा ने राज्यसभा में विपक्ष का नेता बनाया गया। 2014 के चुनावों में जेटली अमृतसर सीट से लोकसभा चुनाव हार गए लेकिन नरेंद्र मोदी ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में वित्त जैसा अहम मंत्रालय सौंपा।
बतौर वकील जेटली की बात की जाए तो वो देश के सबसे महंगे और काबिल वकीलों में गिने जाते रहे। आपातकाल के बाद 1977 में उन्होंने हाई कोर्ट में वकालत शुरू की थी। 1990 में अरुण जेटली ने सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील में रूप में अपनी नौकरी शुरू की। वीपी सिंह सरकार में उन्हें 1989 में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया गया था।