पीएम मोदी से जेटली की पत्नी की गुजारिश, ' मेरी जगह पेंशन संसद के जरूरतमंद इंप्लाई को दी जाए'
नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली के परिवार ने उनकी पेंशन को लेकर एक बड़ा फैसला किया है। परिवार का कहना है कि जेटली की पेंशन राज्यसभा के किसी ऐसे शख्स को दे दी जाए जिसे इसकी सबसे ज्यादा जरूरत हो। परिवार की ओर से इस बाबत एक चिट्ठी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्यसभा के चेयरमैन एम वैंकेया नायडू को लिखी गई है। 24 अगस्त को लंबी बीमारी के बाद एम्स में 66 वर्ष के जेटली का निधन हो गया था।
'अगर जिंदा होते तो अरुण भी यही करते'
जेटली की पत्नी संगीता जेटली की ओर से यह चिट्ठी लिखी गई है। इस चिट्ठी में उन्होंने लिखा है, 'दिवंगत सांसद की पत्नी के तौर पर मुझे जिस पेंशन की पेशकश जिस नेक भावना के साथ की गई, मैं उसे कम करके नहीं आंकना चाहती हूं। एक नेक भावना को आगे बढ़ाने में अरुण बहुत आगे थे और मेरा आपसे विनम्र निवेदन है कि माननीय संसद की ओर से इस पेंशन को इस संस्था के सबसे जरूरतमंद चौथे वर्ग के कल्याण में लगाया जाए। यह एक ऐसी भावना है जिसे करीब दो दशक तक अरुण आगे बढ़ाते रहे।' उन्होंने आगे लिखा है, ' मैं इस बात को लेकर सुनिश्चित हूं कि आज अगर अरुण होते तो शायद वह भी यही चाहते।' इस चिट्ठी की एक कॉपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी भेजी गई है।
हमेशा जरूरतमंदों की मदद के लिए आए आगे
जेटली, बीजेपी के वरिष्ठ नेता थे और काफी समय से उनकी तबियत काफी खराब चल रही थी। वह न सिर्फ वित्त मंत्री रहे बल्कि राज्यसभा में विपक्ष के नेता भी रहे। वह चार बार राज्यसभा के सांसद रहे। पीएम मोदी ने उन्हें अपना एक ऐसा सबसे अनमोल दोस्त बताया था जिसने उन्हें कुछ अहम मसलों को समझने में मदद की थी। संगीता ने अपनी चिट्ठी में लिखा है, 'अरुण हमेशा चुप रहकर परोपकार के काम को करते रहे। उन्हें जो भी सफलता मिली चाहे वह उनके लीगल प्रोफेशन में हो या फिर राजनीति से जुड़े कामों में, वह हमेशा मानते थे कि उनके गुरुओं और साथियों की शुभकामनाओं और उनके समर्थन की बदौलत वह इतनी सफलता मिली है। वह हमेशा दोस्तों, रिश्तेदारों और जरूरतमंद की मदद के लिए आगे रहे।'
स्टाफ के बच्चों को भी भेजा महंगे कॉन्वेंट स्कूल में
अरुण
जेटली
की
जिंदगी
से
जुड़ा
एक
ऐसा
सच
है
जिसे
शायद
ही
ज्यादा
लोगों
को
मालूम
हो।
पूर्व
वित्त
मंत्री
के
स्टाफ
के
बच्चे
उसी
कॉन्वेंट
स्कूल
में
पढ़ते
थे
जिसमें
जेटली
के
बच्चे
पढ़ते
थे।
जेटली
ने
एक
ऐसा
नियम
बना
रखा
था
कि
जिसके
तहत
उनके
कर्मचारियों
के
बच्चे
दिल्ली
के
चाणक्यपुरी
स्थित
उसी
कॉन्वेंट
स्कूल
में
पढ़ेंगे
जहां
पर
उनके
बच्चे
जाते
थे।
उन्हें
करीब
से
जानने
वाले
लोगों
की
मानें
तो
वह
अपने
स्टाफ
को
न
सिर्फ
अपना
परिवार
समझते
थे
बल्कि
उनके
सदस्यों
के
लिए
भी
अपने
परिवार
की
तरह
बर्ताव
करते
थे।
वह
अपने
निजी
कर्मचारियों
का
पूरा
खयाल
रखते
थे
जैसे
एक
परिवार
का
मुखिया
करता
है।
रसोइए की बेटी पढ़ रही इंग्लैंड में
जेटली के ड्राइवर और असिस्टेंट सहित करीब 10 से ज्यादा कर्मचारी उनके परिवार के साथ दो दशकों से ज्यादा समय से जुड़े हुए हैं। इनमें से कुछ के बच्चे तो विदेश में पढ़ रहे हैं और कुछ के डॉक्टर और इंजीनियर बन चुके हैं। जेटली के घर में किचेन का सारा इंतजाम देखने वाले जोगेंद्र की दो बेटियां हैं जिसमें से एक लंदन में पढ़ रही हैं, सहयोगी गोपाल भंडारी का एक बेटा इंजीनियर तो दूसरा डॉक्टर बन चुका है।