जेटली को नहीं आता था गाड़ी चलाना, उनके दोस्त और मशहूर वकील ने सुनाया दिलचस्प किस्सा
नई दिल्ली: देश के पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी के सीनियर नेता अरुण जेटली का रविवार को पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ नई दिल्ली के निगमबोध घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। उनके बेटे रोहन ने उनकी चिता को मुखाग्नि दी। इसी बीच अरुण जेटली को लोग अपने-अपने तरीके से याद कर रहे हैं। जेटली को गाड़ी चलानी नहीं आती थी, उनके दोस्त और मशहूर वकील रंजीत कुमार ने एक निजी टीवी न्यूज चैनल के साथ इससे जुड़ा एक वाकया शेयर किया।
जेटली को नहीं आती थी ड्राइविंग
मशहूर वकील और पूर्व सॉलिसटर जनरल रंजीत कुमार ने बताया कि अक्टूबर 2005 की सुबह अरुण जेटली को दिल्ली के लोधी गार्डन में मॉर्निंग वॉक के समय दिल का दौरा पड़ा। इसके बाद उन्हें पास के अस्पताल में भर्ती किया गया। कुमार ने बताया कि उन्होंने गलत दिशा में कार चलाकर जेटली को हॉस्पिटल में पहुंचाया और उनकी जिंदगी बची। उन्होंने जेटली को याद करते हुए कहा कि मैं उनकी दोस्ती बहुत याद करने वाला हूं। वो एक ऐसे इंसान थे, जिन्होंने कभी अपना आपा नहीं खोया और जरूरत पड़ने पर आपके साथ खड़े रहे।
'जेटली बहुत गुणी थे'
रंजीत कुमार ने बताया कि वो 1974 में उनसे मिले, उन्होंने बताया कि जब मैं हिंदू कॉलेज में स्नातक के प्रथम वर्ष में था और वह दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ रहे थे। मैंने उनके पक्ष में चुनाव प्रचार किया। उन्होंने बताया कि जेटली ऊर्जावान व्यक्ति थे। आप उनसे एक बार मिलंगे तो उन्हें भूला नहीं पाएंगे। उनके पास इतने बेहतरीन गुण थे कि आप हमेशा उनके आसपास रहना चाहते हैं। ताकि आप सीखते रहे औक एक सख्स के तौर पर विकास करते रहें। 1999 से 2014 तक वो रोज उनके साथ घूमने जाते थे।
'जेटली ने दी ये अहम सलाह'
रंजीत कुमार ने बताया कि जब वो साल 2014 में भारत के सॉलिसिटर जनरल बने, तो जेटली के पास उनके लिए सिर्फ एक सलाह थी। वो सलाह थी कि कभी भी अपना आत्मसंयम ना खोओ। जेटली को याद करते हुए उन्होने बताया कि जेटली ने हमेशा उन्हें धैर्य बनाए रखने की सलाह दी। क्योंकि इससे आपका फायदा नहीं होगा। उन्होंने आगे कहा कि मैंने चार दशकों में उन्हें कभी भी अपना आपा खोते होते हुए नहीं देखा। ये एक सबक था, जो उन्होंने अपने करीबी लोगों को सिखाया और अंतिम सांस लेने तक खुद भी इसकी कोशिश की।
ये भी पढ़ें- पंचतत्व में विलीन अरुण जेटली, 'मोदी है तो मुमकिन है' का दिया था नारा