Arun Jaitley ने अपनी शायरी से जब विपक्ष को लिया निशाने पर
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बेंगलुरु। भाजपा के राज्यसभा सासंद और पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली का आज 67 साल की उम्र में निधन हो गया। लंबे समय से वह लगातार बीमार चल रहे थे। 9 अगस्त को ज्यादा तबीयत खराब होने पर उनको एम्स में भर्ती कराया गया था, जहां शनिवार दोपहर उन्होंने आखिरी सांस ली।
हमेशा धीर गंभीर रहने वाले अरुण जेटलीजी के बारे में बहुत कम लोगों को पता है कि वह एक अच्छे शायर भी थे। पढ़ने -लिखने के शौकीन अरुण जेटली के दिल में एक शायर भी बसता था। अब वह हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनकी ऐसी बहुत सी यादें हमारे दिलों में हमेशा जिंदा रहेगी।
जेटली को शेरो-शायरी का बहुत शौक था। उनका ये अंदाज वित मंत्री काल में सभी को देखने को मिला। जब वो बजट पेश करते थे तो उन्होंने कई बार शायरियों के जरिए विपक्ष को अपने निशाने पर लिया। अरुण जेटली के बुक सेल्फ में ढेरों शायरी की किताबें हैं । वह एक बेहतरीन वकील होने के साथ-साथ अरुण जेटली राजनीतिक के महारथी भी थे।
2015 में भी बजट पेश के दौरान जेटली ने संसद में एक शायरी सुनाई जिसने लोगों का ध्यान खींचा था। जिसमें उन्होंने अपने इरादों को बयां किया था। उल्होंने सुनाया था
"कुछ
तो
फूल
खिलाये
हमने,
और
कुछ
फूल
खिलाने
है
मुश्किल
ये
है
बाग
मे,
अब
तक
कांटें
कई
पुराने
हैं।"
जेटली की शायरी का दौर साल 2016 के बजट में भी सुनने को मिला। साल 2016 में बजट पेश करते समय जेटली ने पढ़ी थी ये शायरी-
"कश्ती
चलाने
वालों
ने
जब
हार
कर
दी
पतवार
हमें,
लहर
लहर
तूफान
मिलें
और
मौज-मौज
मझधार
हमें,
फिर
भी
दिखाया
है
हमने,
और
फिर
ये
दिखा
देंगे
सबको,
इन
हालातों
में
आता
है
दरिया
करना
पार
हमें।"
साल 2017 के बजट पेश करने के दौरान अरुण जेटली ने ये शायरी पढ़ी थी-
"इस
मोड़
पर
घबरा
कर
न
थम
जाइए
आप,
जो
बात
नई
है
अपनाइए
आप,
डरते
हैं
क्यों
नई
राह
पर
चलने
से
आप,
हम
आगे
आगे
चलते
हैं
आइए
आप।
नोटबंदी के बाद सुनायी ये शायरी
'नई
दुनिया
है
नए
दौर
हैं
नई
है
उमंग
कुछ
हैं
पहले
के
तरीके
तो
कुछ
हैं
आज
के
रंग
ढंग
रौशनी
आके
अंधेरों
से
जो
टकराई
है
काले
धन
को
भी
बदलना
पड़ा
अपना
रंग''