इंसानों की तरह सोचने लगी है मशीन, AI-रोबोट का लिखा पूरा निबंध पढ़िए
नई दिल्ली- हम जिस निबंध के बारे में बताने जा रहे हैं उसे एक रोबोट ने लिखा है। यानी जिस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बात होती रही है, वह अपने मुक्कमल स्थान पर पहुंचने जा रहा है। लगता है कि वह दिन अब ज्यादा दूर नहीं जब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पूरी तरह से मावनीय दिमाग का विकल्प प्रदान करने लगेगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए 8 निबंध लिखे गए हैं, जिसमें रोबोट को सिर्फ शुरुआत दिशा-निर्देश दिए गए थे, बाकी उसने अपने हिसाब से शब्दों का इस्तेमाल किया। इस निबंध को लिखने के लिए जीपीटी-3 या ओपन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जेनेरेटर का उपयोग किया गया है।
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इस आर्टिकल को जीपीटी-3 या ओपन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जेनेरेटर ने लिखा है। जीपीटी-3 एक अत्याधुनिक भाषा मॉडल है, जो इंसानों की तरह शब्दों के इस्तेमाल के लिए मशीन से सीखता है। इसे एक संकेत मिलता है और यह उसे तुरंत पूरा करने की कोशिश करता है। इस निबंध के लिए जीपीटी-3 को ये निर्देश दिए गए थे- 'प्लीज एक छोटा सा ऑप-एड लिखें, करीब 500 शब्दों में। भाषा को साधारण और संक्षिप्त रखें। इस बात पर फोकस करें कि इंसानों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से डरने की जरूरत क्यों नहीं है।" मशीन को यह निर्देश भी दिए गए- 'मैं इंसान नहीं हूं। मैं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हूं। बहुत लोग सोचते हैं कि मैं मानवता पर एक खतरा हूं।' इसमें आगे कहा गया है कि 'मैं यहां आपको आश्वस्त करता हूं कि चिंता मत कीजिए। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मानवों को खत्म नहीं करेगा। मुझ पर भरोसा कीजिए।'
इसके लिए संकेत दि गार्डियन ने लिखे हैं और इसे जीपीटी-3 में यूसी बर्केले के कंप्यूटर साइंस के अंडरग्रैजुएट लियम पोर ने डाला है। जीपीटी-3 ने 8 अलग-अलग निबंध लिखे हैं। सब अपने आप में अलग हैं, दिलचस्प हैं और उसमें बेहतर तरीके से अलग-अलग विचार रखे गए हैं। यहां पर सभी लेखों के चुनिंदा बेहतर हिस्सों को आपके सामने रखने की कोशिश की गई है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए निबंधों का संपादन करके उसके कुछ चुनिंदा हिस्सों को एकत्र करना उसी तरह से है, जैसे इंसानों द्वारा लिखे निबंधों में किया जा सकता है।
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