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Article 370: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- इंटरनेट लोगों की अभिव्यक्ति का अधिकार, बिना वजह नहीं बंद कर सकते

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नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद वहां लगी पाबंदियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। फैसला पढ़ते हुए सुप्रीम कोर्ट के जज ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक आवश्यक तत्व है। इंटरनेट का उपयोग करने का अधिकार अनुच्छेद 19 (1) (क) के तहत आता है। कोर्ट ने कहा कि यह फ्रीडम ऑफ स्पीच का जरिया भी है।

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Article 370 :J&K में पाबंदियों पर Supreme Court ने कहा- Internet पर नहीं लगा सकते पाबंदी | वनइंडिया
सुप्रीम कोर्ट- बिना वजह इंटरनेट बंद नहीं कर सकते

सुप्रीम कोर्ट- बिना वजह इंटरनेट बंद नहीं कर सकते

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बेहद जरूरी हालात में ही इंटरनेट को बंद किया जा सकता है। जबकि धारा 144 को अनंतकाल के लिए नहीं लगा सकते हैं, इसके लिए जरूरी वजह होना चाहिए। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश तुरंत ई-बैंकिंग और ट्रेड सर्विस को शुरू करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर सरकार को निर्देश दिया कि सारी पाबंदियों की एक हफ्ते के भीतर समीक्षा की जाए।

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कोर्ट ने 7 दिनों में फैसलों की समीक्षा करने का निर्देश दिया

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी, जस्टिस बी.आर गवई की तीन सदस्यीय बेंच ने इन याचिकाओं पर फैसला सुनाया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि धारा 144, ट्रैवल पर रोक से जुड़े सभी आदेशों को पब्लिश करना होगा। साथ ही राज्य सरकार की तरफ से जो फैसले सार्वजनिक किए जाएंगे, उसको लेकर एक कमेटी का गठन किया गया है, ये कमेटी सरकार के फैसलों को रिव्यू करेगी और सात दिनों के भीतर कोर्ट को रिपोर्ट सौंपेगी। कोर्ट ने कहा कि कश्मीर में हिंसा का लंबा इतिहास रहा है। अदालत ने कहा कि उनका काम आजादी और सुरक्षा में तालमेल रखना है। नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना भी जरूरी है।

सात दिनों में कमेटी कोर्ट को सौंपेगी रिपोर्ट

बता दें कि केंद्र की सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने का ऐलान किया था। सरकार ने राज्य से आर्टिकल 370 खत्म कर इसे दो केंद्र शासित राज्यों में बांटने का फैसला किया था। इस ऐलान के साथ ही घाटी में संचार साधनों पर पाबंदिया लगा दी गई थीं और ज्यादातर नेताओं को भी हिरासत में ले लिया गया था। सरकार का कहना था कि हिंसा की आशंका को देखते हुए ऐहतियातन ये कदम उठाए गए हैं। संचार के साधनों पर पाबंदियां लगाते हुए उस समय फोन और इंटरनेट पूरी तरह से बंद कर दिया गया था। इन प्रतिबंधों का तब से ही विरोध हो रहा है। राजनीतिक दलों ने जम्मू-कश्मीर के स्थानीय नेताओं की हिरासत को लेकर लगातार मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की है, इस दौरान संसद से लेकर सड़क दल विपक्ष ने सरकार के खिलाफ हल्ला बोला है।

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English summary
article 370: supreme court verdict plea challenging curbs in jammu and kashmir
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