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धारा-370 हटने से सबसे ज्यादा खुश क्यों है मैला ढोने वाला ये समुदाय?

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नई दिल्‍ली। कश्‍मीर घाटी में अब संविधान की धारा 370 नहीं है। सोमवार को प्रस्‍ताव लाकर गृहमंत्री अमित शाह ने ऐलान कर दिया कि जम्मू कश्‍मीर से धारा 370 को खत्‍म किया जा रहा है। इसके खत्‍म होने के बाद से देश में एक अजीब से उत्‍साह का माहौल है। इस कानून के खत्‍म होने से पंजाब का वाल्मिकी समुदाय बहुत खुश होगा। यह जीत इस समुदाय की भी है जिसने पिछले सात दशकों से विकास और उच्‍च शिक्षा क्‍या होती है, इसका बस एक सपना भर देखा है। जिस समय 35ए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुई थी उस समय इस समुदाय की ओर से भी सर्वोच्‍च अदालत में इंसाफ के लिए गुहार लगाई गई थी।

 जम्‍मू में रहते हैं लोग

जम्‍मू में रहते हैं लोग

जम्‍मू के गांधी नगर इलाके में वाल्मिकी कॉलोनी है और यहां के रहने वाले सात नागरिकों की ओर इस वर्ष 11 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में 35ए के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। इन लोगों ने 35ए और 370 की वैधता पर सवाल उठाए थे। याचिका में कहा गया था कि सन्1954 के आदेश के बाद संविधान की धारा 35ए और सुप्रीम कोर्ट गैर-संवैधानिक घोषित करे। धारा 370 के हटने के साथ ही आर्टिकल 35ए भी खत्‍म हो गया है।

1957 में आए थे जम्‍मू कश्‍मीर

1957 में आए थे जम्‍मू कश्‍मीर

जिन लोगों ने याचिका दायर की थी उन्‍हें सन् 1957 में पंजाब के गुरदास और अमृतसर से जम्‍मू कश्‍मीर लाया गया था। उस समय के मुख्‍यमंत्री बख्‍शी गुलाम मोहम्‍मद के निमंत्रण पर ये लोग जम्‍मू कश्‍मीर पहुंचे और मैला ढोने का काम करने लगे। जम्‍मू में वाल्‍मिकी समुदाय के करीब 500 लोग रहते हैं। इन लोगों ने 90 के दशक में भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

स्‍थायी निवास प्रमाण पत्र का झूठा वादा

स्‍थायी निवास प्रमाण पत्र का झूठा वादा

370 उन मजदूरों खासतौर पर वाल्मिकी समुदाय जैसे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के मौलिक अधिकारों को खत्‍म कर रहा था। वाल्मीकी समुदाय के लोगों सन् 1950-60 के बीच जम्मू-कश्मीर राज्य में लाया गया था। उन्‍हें इस शर्त पर घाटी में बसाया गया था कि यहां पर उन्‍हें स्थायी निवास प्रमाण पत्र मिलेगी। इस प्रमाण पत्र से उनकी आने वाली पीढ़ियां राज्य में बसने की अधिकारी हो सकेंगी।

 दशक बीतने के बाद भी नहीं बदला कुछ

दशक बीतने के बाद भी नहीं बदला कुछ

दशक बीतते गए और इनके हाल में कोई सुधार नहीं हुआ और वे मैला ढोने वाले बने रहें। आज राज्य में छह दशक की सेवा करने के बाद भी उन मैला ढोने वालों के बच्चे सफाई कर्मचारी ही हैं और उन्हें किसी अन्य पेशे को चुनने के अधिकार से वंचित रखा गया है। इन्‍हें सैलरी के नाम पर ज्‍यादा से ज्‍यादा 3,000 रुपए ही मिलते हैं।

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English summary
Article 370 revoked in Jammu Kashmir and Valmiki community is the happiest and here is the reason.
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