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Mehbooba vs Omar: इन्होंने डाली थी जम्मू-कश्मीर में बीजेपी की नींव

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बंगलुरू। जम्मू-कश्मीर की राजनीति में बीजेपी के अवतरण और वर्ष 2014 में हुए विधानसभा में बीजेपी के दूसरे नंबर की पार्टी बनने पर चर्चा जोर पकड़ने लगी है। रविवार को यही सवाल पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला के बीच झगड़े की मूल वजह भी बनी, जब दोनों हरिनिवास महल में एकदूसरे से झगड़ पड़े। उमर महबूबा को बीजेपी के साथ गठबंधन का ताना दे रहे थे, जिस पर महबूबा जोर से बोल उठी, 'आप तो वाजपेयी सरकार में विदेश मामलों के जूनियर मिनिस्टर थे'

Omar-Mehbooba

गौरतलब है जम्मू-कश्मीर अनुच्छेद 370 और 35 ए हटने और जम्मू-कश्मीर के केंद्र प्रशासित राज्य में तब्दील होने से प्रदेश की राजनीति के धुरी माने वाली दोनों पार्टियों का अस्तित्व खतरे में आ गया है। दरअसल, जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटने के बाद शांति भंग होने खतरे से को देखते हुए प्रशासन ने दोनों नेताओं को पिछले हफ्ते एक साथ हरिनिवास महल में रखा था।

रविवार को दोनों नेता हरनिवास महल में जम्मू-कश्मीर के हालात पर बातचीत कर रहे थे और राज्य के बदले हुई स्टेट्स से उपजी खीझ में दोनों आपस में भिड़ गई। उमर अब्दुल्ला ने प्रदेश की सियासत में बीजेपी को लाने के लिए महबूबा मुफ्ती की लानत-मलानत करने लगे। महबूबा भी चुप नहीं बैठी और उन्होंने उमर और पिता फारुक अब्दुल्ला द्वारा केंद्र की तत्कालीन बाजपेयी सरकार में गठबंधन करने का ताना दे दिया, जिस पर उमर उबल उठे और अंततः मौके पर तैनात अधिकारियों को दोनों अलग ही करना पड़ गया।

उल्लेखनीय है महबूबा मुफ्ती के दिवंगत पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद ने बीजेपी से वर्ष 2015 और वर्ष 2018 में गठबंधन किया और केंद्र में मंत्री पद हासिल किया था। हालांकि उमर अब्दुल्ला के पिता फारूक अब्दुल्ला भी वर्ष 1998 में बीजेती नीत एनडीए गठबंधन में शामिल थे और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री भी बनाए गए थे। अब सवाल यह है कि जम्मू-कश्मीर की सियासत में बीजेपी की नींव कैसे पड़ी?

Modi_kashmir

नरेंद्र मोदी थे जम्मू-कश्मीर में बीजेपी के ध्वजवाहक

जम्मू-कश्मीर में बीजेपी को मजबूत करने और सत्ता के करीब ले जाने में किसी को श्रेय दिया जाएगा तो होंगे मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। नरेंद्र मोदी के अथक प्रयासों का नतीजा था कि बीजेपी जम्मू-कश्मीर में पांव जमाने में कामयाब हुई और सत्ता का स्वाद भी चख सकी। वर्ष 1998 में बीजेपी केंद्र की सत्ता पर काबिज हुई तो नरेंद्र मोदी को जम्मू-कश्मीर प्रदेश का प्रभारी नियुक्त किया गया।

नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जम्मू -कश्मीर के बहुत सारे युवाओं ने बीजेपी ज्वाइन किया, लेकिन बीजेपी को कश्मीर घाटी में बेस बनानें बहुत मशक्कत करनी पड़ रही थी जबकि जबकि जम्मू में बीजेपी का जनाधार लगातार बढ़ रहा था। वर्ष 1999 में कारगिल विजय और वर्ष 2008 में अमरनाथ बोर्ड को 99 एकड़ जमीन देने के फैसले के विरोध में हिंदू-मुस्लिम संघर्ष हुआ, जिसने जम्मू में बीजेपी का जनाधार तेजी से बढ़ा। 61 दिनों तक चले संघर्ष में 6 लोग मारे गए थे।

वर्ष 19ृ87 में हुई विधानसभा चुनाव में बीजेपी 2 सीटें जीती और वर्ष 1996 में बीजेपी जम्मू क्षेत्र से 8 सीटें जीतने में कामयाब हुई। वर्ष 2008 में बीजेपी ने 11 सीट जीतीं और वर्ष 2014 ऐतिहासिक 25 सीट जीतकर बीजेपी जम्मू-कश्मीर की सत्ता पर काबिज होने में कामयाब हुईं। हालांकि कश्मीर घाटी में बीजेपी को पीडीपी और नेशनल कांफ्रेस के बाद भी अब तक एक भी सीट नसीब नहीं हुई।

Modi_Amit

जम्मू-कश्मीर में ऐसे पड़ी थी बीजेपी की नींव

26 जनवरी, वर्ष 1992 ही वह दिन था जब प्रदेश की राजनीति में बीजेपी ने प्रवेश किया था। इसी दिन बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने श्रीनगर के लाल चौक पर भारतीय तिंरगा लहराने की घोषणा की थी। लाल चौक पर तिंरगेके झंडारोहण की अगुवाई तत्कालीन संघ प्रचारक और मौजूदा पीएम नरेंद्र मोदी ने की थी। इसी दिन जम्मू-कश्मीर में बीजेपी की नींव पड़ी। हालांकि प्रदेश की सियासत तक पहुंचने के लिए बीजेपी का दशकों लंबा इंतजार करना पड़ा।

वर्ष 1996 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी अकेले दम पर 8 सीटें जीती, लेकिन वर्ष 2008 विधानसभा चुनाव ने बीजेपी ने कुल 11 सीट जीतकर अपनी मजबूते होते का कद परिचय दिया। वर्ष 2014 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने रिकॉर्ड तोड़ते हुए प्रदेश में दूसरे नंबर की पार्टी बन गई और किंगमेकर की भूमिका में आ गई। बीजेपी 25 सीट जीतने में कामयाब रही। बीजेपी द्वारा जीती गईं सभी सीटें जम्मू क्षेत्र से थी और घाटी में उसका खाता तक नहीं खुला।

हालांकि तमाम विसंगतियों को किनारे रखकर बीजेपी ने पीडीपी के साथ गठबंधन करके पहली बार जम्मू-कश्मीर सरकार में शामिल हो गई, लेकिन यह गठबंधन सरकार ज्यादा दिन तक नहीं चल सका और लोकसभा चुनाव 2019 से पहले ही पीडीपी से गठबंधन तोड़ लिया और प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग गया।

यह भी पढ़ें-15 अगस्त को श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहरा सकते हैं गृहमंत्री अमित शाह

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English summary
National conference leader and former cm of jammu-kashmir and pdp chief mahbooba mufti fight each other over bringing bjp in valley politics,
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