अनुच्छेद 370 पर सियासी नफा-नुकसान भांप राहुल गांधी ने बदला पैतरा
बंगलुरू। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए हटाने का विरोध कर रही कांग्रेस और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अचानक पैतरा बदल लिया है और मोदी सरकार के फैसले के समर्थन में कूद पड़ी है। कुल 23 दिनों तक कोमा में रही कांग्रेस ने अग्रेसिव होकर कश्मीर में हिंसा फैलाने के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है। एक ट्वीट के जरिए राहुल गांधी उस पाकिस्तान को मुंह चिढ़ाया है, जो पिछले दो दिनों से राहुल गांधी के बयानों का भारत के खिलाफ इस्तेमाल रही थी। डैमेज कंट्रोल के लिए पहले कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरेजवाला आए और फिर सोशल मीडिया के जरिए राहुल गांधी ने मोर्चा संभाला।
'कश्मीर भारत का आंतरिक मसला है और पाकिस्तान या फिर किसी अन्य देश को भारत और पाकिस्तान के द्विपक्षीय मामले में हस्तक्षेप करने नहीं दिया जाएगा, मैं कई मसलों पर सरकार से असहमत हूं, लेकिन यह साफ कर देना चाहता हूं कि कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है और इसमें पाकिस्तान या फिर किसी अन्य देश को हस्तक्षेप करने नहीं दिया जाएगा। जम्मू-कश्मीर में हिंसा हो रही है, यह हिंसा इसलिए हो रही है क्योंकि पाकिस्तान की ओर से इसे भड़काया और समर्थन किया जा रहा है, जिसकी पहचान दुनियाभर में आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देश की रही है।'
-राहुल गांधी, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष
उल्लेखनीय है जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और फिर बाद में कश्मीर दौरे से बैरंग लौटाए गए राहुल गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए एक ट्वीट कर कहा था कि उन्हें जम्मू-कश्मीर में बर्बरता का अहसास हुआ, जिसको वहां कश्मीरी झेल रहे हैं। राहुल गांधी का इतना कहना था और उनके बयान को पाकिस्तान ने हाथोंहाथ ले लिया और फिर उनके ट्वीट को पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ इस्तेमाल करते हुए यूएन को चिट्ठी तक लिख दी।
पाकिस्तानी मीडिया के प्रमुख वेबसाइटों पर राहुल गांधी के ट्वीट को बतौर कोट इस्तेमाल किया जाने लगा। यही नहीं, एक पाकिस्तानी मंत्री ने तो राहुल गांधी को कश्मीर का दौरा करने की इजाजत नहीं देने को मुद्दा बना लिया। राहुल गांधी 12 विपक्षी दलों के नेताओं के प्रतिनिधिमंडल के साथ श्रीनगर गए थे, जहां उन्हें हवाईअड्डे पर उतरते ही रोक लिया गया और दिल्ली वापस भेज दिया गया था।
हालांकि गत 5 अगस्त को भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर पर लिए गए फैसले के बाद से पाकिस्तान भारत के खिलाफ दुष्प्रचार में लगा हुआ है, लेकिन राहुल गांधी के बयान ने पाकिस्तानी राजनीतिज्ञों और वहां की मीडिया को अब तका सबसे अच्छा मसाला तैयार करके दे दिया था, जिसके जरिए पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय जगत में भारत को बदनाम करने के लिए इस्तेमाल कर रहा है।
पाकिस्तानी मीडिया ही नहीं, जब इमरान सरकार के मंत्री भी राहुल गांधी के बयानों को इस्तेमाल करने लगी तब जाकर कोमाग्रस्त कांग्रेस के शरीर में सिरहन लौटी और आगामी तीन विधानसभा चुनावों में पार्टी को हो रहे सियासी नफे-नुकसान से बचाने के लिए जम्मू-कश्मीर पर भारत सरकार के फैसले का सर्मथन करने के लिए सामने आना पड़ा।
वैसे, कश्मीर मसले को वैश्विक स्तर पर उठाने की पाकिस्तान की सारी कोशिश बेकार हो चुकी थी, लेकिन पाकिस्तानी मीडिया और रणनीतिकारों ने कश्मीरी लोगों पर राहुल गांधी के बयान को हाथोंहाथ लेते हुए यूएन को चिट्ठी लिखकर वहां मानवाधिकार हनन का मुद्दा उठाने की असफल कोशिश की है। चिट्ठी में राहुल गांधी के बयानों का उल्लेख किया गया है, जिसमें उन्होंने कश्मीर में बर्बरता के एहसास होने की बात कही थी।
पाकिस्तान ने भारत को बदनाम करने के लिए राहुल गांधी को कोट करते हुए कई बयान जारी दिया और वहां की मीडिया ने राहुल गांधी के हवाले से दुनिया को भारत की गलत तस्वीर पेश करनी भी शुरू कर दी है। हालांकि पाकिस्तान को उसके इरादों में खास कामयाबी नहीं मिली, लेकिन इससे कांग्रेस पार्टी की अच्छी-खासी फजीहत का सामना करना पड़ गया है।
दरअसल, पाकिस्तान लगातार कश्मीर में मानवाधिकारों को लेकर सवाल उठा रहा है और कई देशों से कश्मीर मसले पर भारत सरकार के फैसले की निंदा करने की अपील कर रहा था, लेकिन किसी भी देश पाकिस्तान के अनुरूप भारत के खिलाफ मुंह नहीं खोला और मामले को द्विपक्षीय बताकर अपना पल्ला झाड़ लिया।
राहुल गांधी के हालिया बयान से लेकिन पाकिस्तान को उम्मीद बंध गईं कि वह भारत की मुख्य विपक्षी दल के नेता के बयान के जरिए कश्मीर में मानवाधिकार हनन का मामला उठाने में कामयाब हो सकती है, लेकिन ऐनवक्त पर कांग्रेस और राहुल गांधी ने पाला बदल लिया है, जिससे अब पाकिस्तान राहुल गांधी के खिलाफ जहर उगलना शुरू कर दिया है और सुनने में आ रहा है कि उसने राहुल गांधी के खिलाफ भी यूएन में चिट्ठी लिख दी है।
गौरतलब है कांग्रेस शुरू से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों की विरोधी रही है। जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छीने जाने के बाद भी कांग्रेस का रवैया समान था और कांग्रेस ने फैसले का विरोध दर्ज कराया जबकि पार्टी के ही कुछ नेताओं ने जम्मू-कश्मीर पर भारत सरकार द्वारा लिए गए फैसले का स्वागत और समर्थन किया था। इनमें रायबरेली सदर से कांग्रेस विधायक अदिति सिंह, कांग्रेस नेता जनार्दन द्विवेदी, महाराष्ट्र कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा, कांग्रेस युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रमुख है।
अभी हाल में कांग्रेस नेता जयराम रमेश, अभिषेक मनुसिंघवी और शशि थरूर भी सुर बदलते हुए परोक्ष रूप से मोदी सरकार के फैसले का समर्थन व्यक्त करके पार्टी के पुराने स्टैंड को धाराशाई करने में अपना योगदान किया। परोक्ष रूप मोदी का समर्थन कर रहे कांग्रेस नेता इशारों-इशारों में पार्टी का समझाने की कोशिश कर रहे थे कि पार्टी का स्टैंड आगामी विधानसभा चुनाव के लिए घातक हो सकते है। जयराम रमेश ने सीधे रूप में कहा कि मोदी सरकार के हर फैसले का विरोध करके पार्टी बीजेपी की ही मदद कर रही है।
कारण साफ है कि कांग्रेस पार्टी जम्मू-कश्मीर मसले पर राहुल गांधी के गैर-जिम्मेदाराना बयान से फंस गई थी। एक तरफ पार्टी को आगामी विधानसभा चुनावों में सियासी जमीन खोने का डर सता रहा था, दूसरा पाकिस्तान द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर राहुल गांधी के उक्त बयानों से भारत को ठेंगा दिखाने का प्रयास कर रही थी।
इससे आगामी तीनों राज्यों में होने वाले चुनाव में प्रचार करने जाने वाली पार्टी के नेताओं को जनता के गुस्से का भी सामना करना पड़ता, जिसका सीधा फायदा बीजेपी की ओर चला जाता। आनन-फानन में पार्टी ने स्टैंड बदलते हुए जम्मू-कश्मीर पर भारत सरकार के फैसले का समर्थन करने के लिए सामने आना पड़ा और पाकिस्तान को लताड़ लगानी पड़ गई।
जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर चारों तरफ से घिरी कांग्रेस पार्टी के पास इसके अलावा कोई चारा नहीं था, क्योंकि जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर कांग्रेस में पहले ही दो फाड़ था। भारत सरकार के फैसले के तुरंत बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत कई बड़े नेताओं ने सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए पार्टी के स्टैंड को ठेंगा दिखा दिया था। रही सही कसर जयराम रमेश, अभिषेक मनुसिंघवी और शशि थरूर ने कांग्रेस को ज्ञान देकर कर दिया। इस मुद्दे पर कांग्रेस को विपक्ष में बैठी किसी पार्टी का समर्थन भी हासिल नहीं हुआ।
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए हटाने के समर्थन में बीजेपी के साथ खड़ी हुईं बसपा सुप्रीमो ने अपने समर्थन को डॉ. भीमराव अंबेडकर से जोड़ते हुए कहा कि बाबा साहब देश में समानता के पक्षधर थे और वो खुद भी जम्मू-कश्मीर में लागू अनुच्छेद 370 के पक्ष में नहीं थे। यही कारण है कि उन्होंने संसद में सरकार के फैसले का समर्थन किया।
यही नहीं, राहुल गांधी के कश्मीर दौरे पर जाने को जल्दबाजी करार देते हुए कहा कि विपक्षी नेताओं को बगैर अनुमति के कश्मीर नहीं जाना चाहिए था। यही कारण था कि कांग्रेस को न चाहते हुए भी जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर समर्थन के लिए हथियार डालना पड़ा, क्योंकि घर और बाहर दोनों ओर से घिरी कांग्रेस को आगामी विधानसभा में एक बार फिर हाथ जलाना नहीं चाहती थी।
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