Article 370: पाक पीएम की इन्होंने लगाई लताड़, "पहले मोदी के बारे में करें शालीनता से बात"
बेंगलुरु। कश्मीर मुद्दे पर दुनिया भर में मात खा चुके पाकिस्तान को भारत के साथ बरते जा रहे रवैये पर हर तरफ जलील कर लताड़ लगाई जा रही हैं। इस बार पाक के पीएम को न केवल जलील किया गया बल्कि उन्हें पीएम मोदी के साथ जुबान संभाल कर बात करने तक की हिदायत तक दे डाली।
यह हिदायत उन्हीं इस्लामिक देशों के द्वारा दी गई जिनसे इमरान खान कश्मीर मुद्दे पर लगातार उम्मीद लगाए बैठे हैं। कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से पाक पीएम इमरान की न केवल जवान तल्ख हुई हैं बल्कि इमरान और उनके मंत्री अपने पद की गरिमा भुलाकर लगातार पीएम मोदी पर हमले कर रहे हैं।
पाकिस्तान के पीएम इमरान खान जो कभी भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपना बड़ा भाई कहते थे और दक्षिण एशिया में शांति, खुशहाली और समृद्धि के लिए मोदी के साथ मिलकर काम करने की इच्छा जाहिर की थी। वहीं इमरान खान कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से लगातार पद की गरिमा भुलाकर पीएम मोदी पर हमले कर रहे हैं।
नौबत यह आ गयी है कि उसे दूसरे देशों को उसे शिष्टाचार सिखाना पड़ रहा हैं। इतना ही नहीं इसी के चलते अब कुछ प्रभावी मुस्लिम देशों ने पाकिस्तान से स्पष्ट कहा है कि वह भारत के साथ अनौपचारिक बातचीत का प्रयास करे व कश्मीर मुद्दे को लेकर दोनों देशों के बीच जारी तनाव को कम करने के लिए अपने भारतीय समकक्ष प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ अपनी भाषा में शालीनता लाएं।
'एक्सप्रेस ट्रिब्यून' की खबर के अनुसार 3 सितंबर को सऊदी अरब के उप विदेश मंत्री आदिल अल जुबैर और संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री अब्दुल्ला बिन अल नाहयान अपने इस्लामाबाद दौरे के दौरान शक्तिशाली देशों की ओर से संदेश लेकर आए थे। तभी उन्होंने पाकिस्तान से कहा कि वह भारत के साथ अनौपचारिक बातचीत करे। एक दिवसीय यात्रा पर उन्होंने प्रधानमंत्री इमरान खान, विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा से मुलाकात की थी।
महत्वपूर्ण बात ये हैं कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को मुसलमानों के अधिकारों का हनन बताकर पाकिस्तान मुस्लिम देशों की गोलबंदी की कोशिश करता रहा है। इसी के तहत वह संयुक्त अरब अमीरात से लगातार संपर्क साध रहा है। इसी के तहत उनसे यूएई के विदेश मंत्री का यह दौरा था। सऊदी अरब और यूएई के राजनयिकों ने यह इच्छा जताई है कि पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव कम करने के लिए वे भूमिका निभाना चाहते हैं तथा वे मोदी पर हमले बंद करें तथा अपनी भाषा में शालीनता लाएं।
बता दें जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा हटाने और संविधान के अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधानों को खत्म करने के बाद से पाकिस्तान बौखला गया है और पाक पीएम इमरान ने भारत के साथ अपने राजनयिक संबंध काफी सीमित कर दिए हैं और इमरान लगातार मोदी पर हमले कर रहे हैं। इमरान 19 सितंबर को 2 दिवसीय दौरे पर सऊदी अरब जाएंगे और इस दौरान भी कश्मीर मुद्दा हावी रह सकता है।
गौरतलब हैं कि पाकिस्तान इस मामले को लेकर मुस्लिम देशों के संगठन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ़ इस्लामिक को-ऑपरेशन यानी ओआईसी में भी ले गया, जिसके दुनिया भर के 57 मुस्लिम बहुल देश सदस्य हैं। इसके अलावा पाकिस्तान ने बहुत ही उम्मीद के साथ मुस्लिम देशों की तरफ़ निगाहें टिकाईं। जिसमें ख़ास कर मध्य-पूर्व के मुस्लिम देशों से उसे बड़ी उम्मीद थी लेकिन पाकिस्तान के लिए सबसे झटके वाला रुख़ संयुक्त अरब अमीरात का रहा। पूर्व में उसने भी इसे भारत का आंतरिक मामला बता कर ठेंगा दिखा दिया था।
भारत में यूएई के राजदूत ने दिल्ली के इस फैसले को मान्यता देते हुए कहा कि भारत सरकार का जम्मू-कश्मीर में बदलाव का फ़ैसला उसका आंतरिक मामला है और इससे प्रदेश की प्रगति में मदद मिलेगी. हालांकि इसके बाद यूएई के विदेश मंत्री ने थोड़ी नरमी दिखाते हुए कहा कि दोनों पक्षों को संयम और संवाद से काम लेना चाहिए। यूएई के बयान की तरह ही मध्य-पूर्व के बाक़ी के मुस्लिम देशों का भी बयान आया. इनमें सऊदी अरब, ईरान और तुर्की शामिल हैं. तीनों देशों ने कहा कि भारत और पाकिस्तान आपस में बात कर मसले को सुलाझाएं और तनाव कम करें।