आर्टिकल 370: क्या कश्मीर घाटी में सचमुच बंटवारे के बाद जैसे हैं हालात!
बेंगलुरू।अनुच्छेद 370 और 35 ए हटने के बाद केंद्र प्रशासित प्रदेश बन चुके जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में हालात अभी सामान्य नहीं हुए हैं। गुरूवार को कारगिल क्षेत्र में स्थानीय लोग सरकार के फैसले के खिलाफ नाराजगी दिखाते हुए सड़क पर आ गए और जमकर प्रदर्शन किया, जिसको देखते हुए कारगिल क्षेत्र में तुंरत प्रभाव से इंटरनेट सेवाएं बाधित करने का फैसला लेना पड़ा। हालांकि जुम्मे के नमाज के लिए शुक्रवार को कश्मीर घाटी में प्रतिबंध में थोड़ी ढील दी गई ताकि लोग स्थानीय मस्जिदों में जाकर जुम्मे की नमाज अदा कर सकें, लेकिन चप्पे-चप्पे पर तैनात सुरक्षा दलों को किसी भी तरह के विरोध प्रदर्शन से निपटने के लिए हाई अलर्ट पर रखा गया है।
जम्मू-कश्मीर घाटी में अभी भी लोगों को बाहर जाने की इजाजत नहीं दी गई है और विरोध-प्रदर्शन की संभावना के मद्देनजर घाटी में तैनात सुरक्षाकर्मियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है ताकि लॉ एंड आर्डर स्थिति को कायम रखी जा सके. हालांकि संसद में अनुच्छेद 370 हटाने का प्रस्ताव पास होने के दूसरे दिन ही कश्मीर घाटी के कुछ क्षेत्रों से प्रतिबंध हटा लिया गया था। इनमें सिटी के सिविल लाइन और डल झील के क्षेत्र शामिल हैं।
गौरतलब है संसद के दोनों सदनों में प्रस्ताव पास होने से पहले ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र में पहले ही भारी संख्या सुरक्षा बल की तैनाती की गई थी ताकि अनुच्छेद 370 और 35 ए हटने के बाद घाटी में संभावित हिंसा और उपद्रव से निपटा जा सके। रविवार रात को ही प्रशासन ने इंटरनेट, मोबाइल सेवा और लोकल टेलीविजन नेटवर्क को बंद कर दिया था, जिससे किसी माध्यम से देश के दूसरे हिस्से की सूचना घाटी तक न पहुंच सके.
घाटी में दो दिन बाद भी बंद स्कूल और कॉलेज
दरअसल, गत 4 अगस्त आधी रात में ही घाटी में भारी संख्या में गश्त कर रहे सुरक्षाबलों ने सड़क मार्ग को सील कर दिया था और पूरे कश्मीर में सीआरपीसी की धारा 144 लागू कर दिया था। हालांकि सरकारी रेडियो सेवा और दूसरे राज्यों के टेलीविजन चैनल को देखने और सुनने की सुविधा घाटी के लोगों के पास उपलब्ध थी, जहां से वो बाहरी दुनिया से कटे हुए थे.
स्थानीय प्रशासन के मुताबिक अनुच्छेद 370 हटने के तीसरे दिन बाद भी घाटी में हालात सामान्य नहीं है और अभी भी स्कूल और संस्थानों को बंद रखने का आदेश दिया गया है। इसके पीछे सरकार की मंशा है कि किसी तरह के उपद्रव और विरोध-प्रदर्शन को रोका जा सके।
घाटी में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति संतोषजनकः राज्यपाल
हालात यह हैं कि पिछले 2 दिनों तक घाटी के लोग घर के अंदर बैठने को मजबूर थे, जिन्हें जरूरी खाने-पीने की चीजें और दवाओं के बिना काम चलाना पड़ा। बताया जाता है मंगलवार तक घाटी में कर्फ्यु जैसे हालात बने हुए थे, केवल दूसरे राज्यों से रिपोर्टर्स को वहां जाने की इजाजत थी और स्थानीय रिपोर्टर्स पर घाटी में प्रवेश की अनुमति दी गई थी।
अनुच्छेद 370 हटाने के प्रस्ताव से पहले से ही घाटी में कर्फ्यु जैसे हालात थे, जिससे घाटी के वृहद हिस्से में रह रहे लोगों को जम्मू-कश्मीर में बदले हुए हालात की जानकारी तक नहीं पहुंची है। हालांकि बुधवार को जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्य मलिक ने कश्मीर घाटी की लॉ एंड ऑर्डर स्थिति का जायजा और हालात का संतोष करार दिया है. उन्होंने बताया कि हॉस्पिटल में इमरजेंसी सेवाएं सुचारू रुप से चल रहीं हैं और मार्केट में स्थानीय लोगों के जरूरी चीजों की खरीदारी करते हुए देखा गया है जबकि बिजली और पानी की आपूर्ति भी सामान्य है।
सुरक्षाबलों की बढ़ती संख्या खराब हुआ घाटी का माहौल
कुछ स्थानीय की मानें तो घाटी में तैनात भारी संख्या सुरक्षाबलों से घाटी का माहौल खराब हुआ है. स्थानीय के मुताबिक घाटी में पुलिस और सुरक्षाबलों की आमद बढ़ने से उन्हें कुछ दिनों से हालात खराब होने के संकेत मिल रहे थे, लेकिन कर्फ्यु जैसे हालात हो जाएंगे, इस बारे में उन्होंने कल्पना तक नहीं की थी. स्थानीयों के मुताबिक अनुच्छेद 370 हटने के बाद उन्हें घाटी की हालत 1947 के बाद जैसे दिखाई दे रहे है.
स्थानीय लोगों को आशंका है कि अनुच्छेद 370 और 35 ए हटने के बाद कश्मीर में बाहरी लोग आकर बस जाएंगे, जिससे कश्मीर और कश्मीरियत को नुकसान पहुंचेगा। उन्हें डर है कि पूरे देश से लोग यहां आकर प्रॉपर्टी खरीद कर बसने लगेगे, जिससे मुस्लिम बहुल कश्मीरी आने वाले दिनों में अपने ही राज्य में अल्पसंख्यक बन जाएंगे और उनसे उनकी पहचान छिन जाएगी और उनके पास कश्मीर के लिए संघर्ष करने के सिवाय कुछ नहीं बचा है।
यह भी पढ़ें-जम्मू शहर से हटाई गई धारा 144, कल से स्कूल-कॉलेज खोलने के निर्देश