आर्टिकल-370 और सुषमा स्वराज का कनेक्शन
नई दिल्ली। भारत की पूर्व विदेश मंत्री और भारतीय जनता पार्टी की कद्दावर नेता सुषमा स्वराज का निधन हो गया है। उन्होंने बिगड़ती सेहत के कारण ही लोकसभा चुनाव 2019 में अपनी राजनीतिक सक्रियता कम कर ली थी। लेकिन उनकी नज़र देश की हर छोटी बड़ी राजनीतिक घटनाओं पर रहती थी। जब भी उनकी सरकार को जरूरत होती थी, वह वहां मौजूद होती थी। राजनीति से इतर भी वह एक जहीन और सुलझी हुई इंसान थीं। उनकी वाकपटुता का कायल विपक्ष भी रहा है।
भारतीय जनता पार्टी और संघ
भारतीय जनता पार्टी और संघ की विचारधारा में उनकी आस्था और प्रतिबद्धता हमेशा बनी रही। इस विचारधारा में जम्मू कश्मीर का मसला भी था जिसमें धारा 370 को समाप्त करना भी था, इसका समाधान निकालना था। केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार से पहले अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बन चुकी थी। लेकिन बाजपेयी के कार्यकाल में धारा 370 पर आमूल परिवर्तन जैसा कोई एक्शन नहीं लिया गया था।
धारा 370
लेकिन अब मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में जम्मू कश्मीर से धारा 370 को अप्रभावी कर दिया गया है, इसी के साथ जम्मू-कश्मीर राज्य को मिला विशेष राज्य का दर्जा भी खत्म हो चुका है। अब नए सिरे से राज्य पुनर्गठन हुआ है जिसमें, जम्मू कश्मीर को विधानसभा वाले केन्द्र शासित प्रदेश का दर्जा मिला है। वहीं लद्दाख अब जम्मू-कश्मीर से अलग होकर बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा। गौरतलब है कि आर्टिकल 370 जम्मू कश्मीर को एक विशेष राज्य का दर्जा देता था, जिसके तहत जम्मू कश्मीर को लेकर कई फैसलों में केंद्र सरकार का हाथ बंधा हुआ था। लेकिन धारा 370 की समाप्ति के बाद अब केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर पर हर नीतिगत फैसले लेगी।
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सुषमा स्वराज
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में इस धारा 370 को ख़त्म कर दिया गया। सुषमा स्वराज ने इस बात पर ख़ुशी जाहिर की थी। उन्होंने अपनी मौत से कुछ ही घंटे पहले ट्ववीट किया था जिसमें उन्होंने कहा था 'प्रधान मंत्री जी - आपका हार्दिक अभिनन्दन. मैं अपने जीवन में इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी.' उनके इस ट्ववीट से पता चलता है की वह अपनी पार्टी की विचारधारा से सक्रिय राजनीति से दूर रहने के बाद भी प्रतिबद्ध थी।
उन्होंने इस धारा के खात्मे को 'बहुत साहसिक और ऐतिहासिक निर्णय' बताया था। साथ ही उन्होंने राज्य सभा के उन सभी सांसदों का अभिनन्दन भी किया था जिन्होनें धारा 370 को समाप्त करने वाले संकल्प को पारित करवाने में मदद की थी।
यह दुःखद संयोग है कि जब उनकी पार्टी ने अपने एजेंडे के एक महत्वपूर्ण पड़ाव को पार कर लिया है तब ऐसे में अचानक उनका देहांत हो गया है।