J&K में खलबली के बीच Article 35A पर सामने आई अरुण जेटली की बड़ी बात
नई दिल्ली- जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा और सियासी परिस्थितियों को लेकर दुनियाभर में मची खलबली के बीच पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का आर्टिकल 35ए को लेकर उनका बहुत बड़ा नजरिया सामने आया है। सबसे बड़ी बात ये है कि वे सिर्फ नरेंद्र मोदी की पहली सरकार में पांच साल तक सबसे प्रभावी मंत्री ही नहीं रहे, बल्कि वे देश के जाने-माने वकील भी रहे हैं। ऐसे में वे अगर धारा 35ए को लेकर ऑन द रिकॉर्ड कुछ कहते हैं तो उसके बहुत बड़े मायने हो सकते हैं और इसे सरकार की नजरिए से भी जोड़कर समझा जा सकता है। क्योंकि, धारा 35ए जम्मू-कश्मीर के लोगों को मिला एक विशेषाधिकार है, जिसपर बहुत ज्यादा विवाद रहा है।
आर्टिकल 35ए संवैधानिक तौर पर कमजोर- जेटली
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक आर्टिकल 35ए पर अरुण जेटली के विचार सोनिया सिंह की किताब 'डिफाइनिंग इंडिया: थ्रू देयर आईज' में सामने आए हैं। इस किताब में जेटली कहते हैं,'आर्टिकल 35ए एक संवैधानिक उलझन है। इसे संविधान में संसद की दोनों सदनों से दो-तिहाई बहुमत से संशोधन के जरिए शामिल नहीं किया गया है। इसे कार्यपालिका ने राष्ट्रपति के नोटिफिकेशन के द्वारा डाला था। इसे संविधान में पिछले दरवाजे से घुसाया गया.........यह संवैधानिक तौर पर कमजोर है।' यही नहीं जेटली ने किताब में ये भी कहा है कि यह विवादास्पद धारा जम्मू-कश्मीर के लोगों के हित के भी खिलाफ है। क्योंकि, इसके चलते न तो वहां कोई निवेश करना चाहता है, न कोई होटल चेन खुल पाता है, न कोई निजी शिक्षण संस्थान खुल पाते हैं। ऐसे में वहां कौन जाना चाहेगा,जब किसी के बच्चों को सरकारी कॉलेजों में दाखिला भी नहीं मिल पाएगा। इससे वहां के लोगों को भी नुकसान है, सिर्फ अलगाववादी ताकतों को इससे संतुष्टि मिलती है। गौरतलब है कि आर्टिकल 35ए 1954 से लागू संविधान की एक व्यवस्था है, जिसके तहत जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा को राज्य के स्थाई निवासी तय करने, स्थाई निवासियों को वहां संपत्ति खरीदने और सरकारी नौकरी लेने का अधिकार है।
जेटली की बात की इतनी ज्यादा अहम इसलिए है, क्योंकि....
अरुण जेटली देश के जाने-माने वकील और संविधान के जानकार हैं। उन्होंने जब लेखक सोनिया सिंह को इंटरव्यू दिया था, तब वे देश के वित्त मंत्री थे। आर्टिकल 35ए के खिलाफ मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट के सामने विचाराधीन है। जाहिर है कि बीजेपी सरकार इस धारा को हटाए जाने की वकालत कर रही है और उसके विजन डॉक्यूमेंट में इसका वादा भी किया गया है। ये भी तथ्य है कि इस आर्टिकल पर मोदी सरकार के नजरिए में जेटली की राय भी होनी तय है। वे भले ही सरकार में नहीं हैं, लेकिन इस मुद्दे पर उनकी सहमति पीएम मोदी के लिए भी खास मायने रख सकती है।
इसे भी पढ़ें- जम्मू-कश्मीर में क्या बड़ा होने वाला है, स्वामी रामदेव बताया
सोमवार को अहम कैबिनेट मीटिंग
जम्मू-कश्मीर मे जारी सियासी और सुरक्षा हलचलों के बीच सोमवार सुबह मोदी कैबिनेट की अहम बैठक होने वाली है। आमतौर पर केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक बुधवार को होती है,लेकिन इसबार संसद की कार्रवाही शुरू होने से पहले ही ये बैठक बुलाई गई है। अभी जिस तरह से जम्मू-कश्मीर को लेकर मामला गर्म है, उसके चलते इस बैठक को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। वैसे इस बैठक के बाद तात्कालिक रूप से किसी बड़ी घोषणा की उम्मीद नहीं की जा सकती है, क्योंकि संसद सत्र के चलते सरकार जो भी नीतिगत फैसले लेगी, उसका ऐलान या तो संसद में ही करेगी या सत्र के बाद ही उसकी जानकारी दी जा सकती है। इस बीच ये भी खबरें हैं कि गृहमंत्री अमित शाह तीन दिवसीय जम्मू-कश्मीर के दौरे पर जा सकते हैं, लेकिन माना जा रहा है कि वे संसद सत्र के बाद ही इस तरह का कोई कार्यक्रम बनाएंगे और हो सकता है कि उसका मकसद राज्य में 15 अगस्त की तैयारियों से भी जुड़ा हो।
इसे भी पढ़ें-PoK में आम नागरिकों को हथियार थमा रहा है पाकिस्तान, बड़ी साजिश का खुलासा