2 लाख जवानों की संख्या कम करना चाहती है सेना, सैन्यकर्मियों की कमी के बीच चौंकाने वाली रिपोर्ट देखिए
नई दिल्ली, 9 अगस्त: भारतीय सेना में करीब डेढ़ लाख जवानों की पहले से ही कमी है। लेकिन, एक रिपोर्ट के मुताबिक वह इसमें 2 लाख की संख्या और कम करने पर मंथन कर रही है। ऐसे में जब सेना में भर्ती के लिए 'अग्निपथ योजना' चलाई जा रही है, यह रिपोर्ट बहुत ही चौंकाने वाली है। जबकि, हर साल करीब 60 हजार सैन्यकर्मी रिटायर भी हो जाते हैं। सेना के संख्या बल में कटौती का मुख्य फोकस जम्मू-कश्मीर में तैनाती को लेकर बताई गई है, जहां राष्ट्रीय राइफल्स के 60 से ज्यादा बटालियन तैनात हैं। दरअसल, शेकातकर समिति की रिपोर्ट में भी सेना में संख्या को सुसंगत करने की सिफारिश की गई थी।
सेना में 2 लाख सैन्यकर्मियों की कटौती पर विचार-रिपोर्ट
दि प्रिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले दो वर्षों में भारतीय सेना अपने सैन्यकर्मियों की संख्या में 2 लाख की कमी करना चाहती है। इसकी वजह से राष्ट्रीय राइफल्स के अलावा कुछ स्थाई यूनिट में भी बदलाव देखने को मिल सकते हैं। रिपोर्ट में डिफेंस और सिक्योरिटी संगठनों के सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सेना अपनी क्षमता को 12.8 लाख से घटाकर लगभग 10.8 करना चाहती है। क्या इसके लिए कोई समय-सीमा निर्धारित की गई है, इसके जवाब में सूत्रों का कहना है कि सैनिकों की संख्या को औचित्य के हिसाब से ठीक करना एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है और इसलिए कई पहलुओं पर गौर किया जा रहा है।
अग्निपथ योजना से इस साल 35,000 से 40,000 भर्तियों की उम्मीद
सूत्रों ने आगे बताया कि पिछले दो वर्षों में भर्तियां नहीं होने की वजह से सेना पहले ही करीब 1.35 सैन्यकर्मियों की कमी का सामना कर रही है। 'अग्निपथ योजना' लागू किए जाने के बावजूद इस साल सिर्फ 35,000 से 40,000 जवानों की ही भर्ती हो पाएगी। सूत्र ने कहा, 'औसतन सेना से हर साल करीब 60,000 सैन्यकर्मी रिटायर होते हैं। जो कमी है, अग्निपथ योजना और इस तरीके से उसके सिर्फ एक हिस्से की ही भरपाई होगी.......' सूत्रों का कहना है कि भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद इंफैंट्री, आर्मर्ड और इलेक्ट्रोनिक्स एंड मेकिनिकल इंजीनियरिंग कोर में उनका आवश्यकता के अनुसार आवंटन किया जाएगा। क्योंकि, रिपेयर और मेंटेनेंस के कार्य को वाहन बनाने वाली कंपनी को आउटसोर्स भी किया जा सकता है।
शेकातकर समिति ने भी दिया था सुझाव
सूत्रों का कहना है कि इसके लिए नेशनल कैडेट कोर (एनसीसी) जैसे संगठनों में होने वाली प्रतिनियुक्तियों में भी काफी कटौती की जा रही है। इसके अलावा रेजिमेंट मुख्यालयों में भी प्रतिनियुक्तों में कमी देखने को मिलेगी। एक दूसरे सूत्र ने कहा, 'आइडिया ये है कि शुरू से अंत तक अनुपात को स्वस्थ तरीके से बनाए रखना सुनिश्चित किया जाए। ' सबसे ज्यादा बदलाव सेना मुख्यालय में देखा जा चुका है। 2021 में यहां कई तरह के परिवर्तन देखने को मिले थे, जिसमें प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के साथ ही कटौती भी शामिल था। दिवंगत नेता और पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने जो शेकातकर समिति बनाई थी, उसने 2016 के दिसंबर में अपनी रिपोर्ट दी थी। इसमें सशस्त्र सेना में कई तरह के बदलाव के सुझाव दिए गए थे, जिसमें इसे छोटा करना, एकजुट और अत्याधिनक बनाना भी शामिल था।
राष्ट्रीय राइफल्स की सरंचना में फेरबदल ?
सूत्रों का कहना है कि नई नीति के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) की तैनाती में बदलाव पर विचार किया जा रहा है। यहां राष्ट्रीय राइफल्स की करीब 63 बटालियनें तैनात हैं, जिनकी संरचना सेना की बाकी यूनिट के मुकाबले अलग है। क्योंकि,प्रत्येक राष्ट्रीय राइफल्स में 6 कंपनियां हैं। जबकि, बाकी रेगुलर इंफैंट्री में 4 ही होती हैं। प्रत्येक कंपनी में 100 से 150 तक जवान होते हैं, जिसकी कमान एक मेजर के हाथों में होती है।
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संरचनाओं में इस बदलाव पर भी विचार!
सूत्र का कहना है कि विचार यह भी था कि हर बटालियन में दो कंपनियां कम कर दी जाएं। यह भी विचार में था कि क्या आरआर बटालियन के वास्तविक संख्या को कम किया जा सकता है और क्या बिना आतंकवाद-विरोधी नकेल को कम किए हुए बटालियनों की जिम्मेदारी को बढ़ाया भी जा सकता है। लेकिन, यह रिपोर्ट इसलिए चौंकाने वाली है, क्योंकि जब सेना में पहले ही जवानों की कमी है तो वह इसे घटाकर मैनेज कर पाना काफी चुनौतिपूर्ण साबित हो सकता है।