चीन की जगह अब भारतीय कपड़ों से तैयार होंगे आर्मी यूनिफॉर्म, थैक्स टू डीआरडीओ
नई दिल्ली। भारतीय कपड़ा उद्योगों को सैन्य वर्दी तैयार करने में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा मदद कर रहा है, जिससे अब भारतीय सेना के सैनिकों की सैन्य वर्दी को तैयार करने के लिए चीनी और अन्य विदेशी कपड़ों के आयात पर निर्भरता को समाप्त हो जाएगी। दरअसल, भारतीय सैनिकों के यूनिफॉर्म के लिए उपयोग होने वाले खास धागे के उत्पादन में मदद के लिए डीआरडीओ आगे आई है।
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DRDO में उद्योग इंटरफेस और प्रौद्योगिकी प्रबंधन निदेशालय (DIITM) के निदेशक डॉ. मयंक द्विवेदी ने बताया कि भारतीय सेना की ग्रीष्मकालीन वर्दी के लिए कपड़े की अनुमानित जरूरत 55 लाख मीटर है और यदि नौसेना, वायु सेना और पैरा मिलिट्री की सभी जरूरतों को को जोड़ा जाता है, तो प्रतिवर्ष 1.5 करोड़ मीटर से अधिक की जरूरत हो सकती है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर अभियान के आह्वान से प्रेरित होकर डीआरडीओ ने सभी उत्पादों और विशेष रूप से रक्षा उत्पादों में आत्मनिर्भरता के लिए यह कदम उठाया है।
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डॉ द्ववेदी ने आगे कहा कि अगर ये खास धागे और कपड़े सशस्त्र बलों के वर्दी बनाने के उद्देश्य से भारत में निर्मित किए जाते हैं, तो यह बड़ी उपलब्धि होगी क्योंकि इससे आत्मानिर्भर भारत की ओर एक और कदम आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। उन्होंने आगे कहा कि उन्नत कपड़े का उपयोग पैराशूट और बुलेटप्रूफ जैकेट की भविष्य की जरूरत के लिए भी किया जा सकता है।