5 दिनों तक सीमा पर तैयारियों का जायजा लेगी सेना, यूक्रेन संकट के बीच क्या है एजेंडा ? जानिए
नई दिल्ली, 17 अप्रैल: रूस-यूक्रेन युद्ध ने दुनिया को नए तरीके से सोचने को मजबूर कर दिया है। भारत भी उनसे अलग नहीं है। ऐसे समय में जब रूस जैसी महाशक्ति लगभग पौने दो महीने बाद भी यूक्रेन को हथियार नहीं डलवा पाया है तो कम ताकतवर होने के बावजूद यूक्रेन के युद्ध कौशल की दाद देनी पड़ेगी। बहरहाल, इन्हीं वैश्विक परिस्थितियों के बीच नई दिल्ली में सेना के टॉप कमांडरों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया है, जिसके एजेंडे में देशी सीमाओं पर हालात की समीक्षा करना तो है ही, हर पल बदल रहे वैश्विक माहौल का भी सशस्त्र सेना के नजरिए से विश्लेषण करना है। इस 5 दिवसीय सम्मेलन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के भी पहुंचने की संभावना है।

18 से 22 अप्रैल तक सेना के कमांडरों का सम्मेलन
नई दिल्ली में 5 दिनों तक यानी 18 से 22 अप्रैल तक सेना के कमांडरों का सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। इस सम्मेलन में भारत सेना की सीनियर लीडरशिप देश की सीमाओं पर सेना की तैयारियों की समीक्षा करेंगे। इस संबंध में रक्षा मंत्रालय ने जो आधिकारिक बयान जारी किया है, उसके मुताबिक '18 से 22 अप्रैल के बीच नई दिल्ली में सेना के कमांडरों की कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई है। सेना के कमांडरों का यह उच्च स्तरीय द्विवार्षिक सम्मेलन है, जो हर साल अप्रैल और अक्टूबर में आयोजित किया जाता है। सम्मेलन वैचारिक स्तर पर चर्चा के लिए एक संस्थागत प्लेटफॉर्म है, जो भारतीय सेना के लिए महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय लेने का रास्ता तैयार करता है।'

रूस-यूक्रेन युद्ध से पैदा हुए हालत पर भी नजर
सरकारी बयान में यह भी जानकारी दी गई है कि 'सम्मेलन के दौरान, भारतीय सेना की सीनियर लीडरशिप ऐक्टिव बॉर्डर पर हालातों की समीक्षा करेगी, संघर्ष के पूरे स्पेक्ट्रम में खतरों का आकलन किया जाएगा और क्षमता के विकास और ऑपरेशनल तैयारियों से संबंधित योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए क्षमता की कमियों का भी विश्लेषण किया जाएगा।' इस चर्चा में सीमावर्ती इलाकों में बुनियादी ढांचे का विकास, स्वदेशीकरण के जरिए सेना में आधुनिकीकरण, बेहतरीन तकनीकों का इस्तेमाल करने के साथ-साथ रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से अगर कोई प्रभाव पड़ने की आशंका है तो उसकी भी समीक्षा की जा सकती है।

रक्षा मंत्री भी हो सकते हैं शामिल
इस सम्मेलन में रीजनल कमांडों की ओर से प्रस्तावित सेना के कार्यों में सुधार, वित्तीय प्रबंधन, ई-वाहनों को शुरू करने और भारतीय सेना में डिजिटाइजेशन पर जोर देने पर भी वरिष्ठ कमांडरों का ध्यान खींचा जाएगा। संभावना है कि इस दौरान 21 अप्रैल को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी वरिष्ठ कमांडरों से चर्चा कर सकते हैं और सम्मेलन को संबोधित कर सकते हैं। यह सम्मेलन सेना के वरिष्ठ कमांडरों को रक्षा मंत्रालय के सेना मामलों के विभाग और रक्षा विभाग के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ बातचीत करने का भी एक औपचारिक मंच उपलब्ध करवाता है। जिसके जरिए मंत्रालय को सेना की जरूरतों और चुनौतियों को अनौपचारिक तौर पर समझने का भी मौका मिल जाता है। इस सम्मेलन के अलावा आर्मी वेलफेयर एजुकेशन सोसाइटी के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स और आर्मी ग्रुप इंश्योरेंस फंड की बैठकें भी आयोजित की जा रही हैं। (तस्वीरें-फाइल)