सेना प्रमुख और विदेश सचिव का कल से आरंभ होगा म्यांमार कर दौरा, जानें चीनी तनाव के बीच ये क्यों है अहम
सेना प्रमुख और विदेश सचिव का कल से शुरु होगा म्यांमार कर दौरा, जानें चीनी तनाव के बीच ये क्यों है अहम
नई दिल्ली। भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवाने (Indian Army chief General MM Naravane) और विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला रविवार को दो दिवसीय दौरे पर म्यांमार रवाना होंगे। इस दौरान ये दोनो म्यांमार के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के साथ नेताओं से भी बातचीत करेंगे। सेना प्रमुख नरवाने और श्रृंगला की यह यात्रा भारत और चीन के बीच बढ़ते तनाव के बीच बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
बता दें कि गुरुवार को दोनो देशों के विदेश मंत्रालयों के बीच एक अहम बैठक हुई जिसमें द्वपिक्षीय रिश्तों की नए सिरे से समीक्षा की गई। म्यांमार के साथ विमर्श बैठक को संबोधित करते हुए विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने पड़ोसी देश के लिए कई तरह की सहयोग योजनाओं का ऐलान किया।
तटीय शिपिंग समझौता
म्यांमार के आम चुनावों के पहले भारतीय सेना के प्रमुख जनरल एमएम नरवाने और विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला का नेतृत्व कर रहे हैं, ये लंबे समय से प्रतीक्षित तटीय शिपिंग समझौते को सील करने के लिए रविवार को नयपिडॉ की ओर बढ़ेगे। जनरल नरवाने और श्रृंगला 8 नवंबर को होने वाले चुनाव से पहले म्यांमार के राज्य परामर्शदाता वरिष्ठ जनरल मिन आंग ह्लिंग और आंग सान सू की से मिलेंगे।
इस यात्रा का प्रमुख आकर्षण coastal shipping agreement
बता दें दो दिवसीय यात्रा का मुख्य आकर्षण coastal shipping agreement होगा जो भारतीय जहाजों को बंगाल की खाड़ी के Sittwe Port के माध्यम से और कलादान नदी के बहुआयामी लिंक के माध्यम से मिजोरम तक पहुंचने की अनुमति देगा। यह परियोजना पिछले 20 वर्षों से लटकी हुई थी इसकी कल्पना अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने की थी। दोनों पक्ष भारत-म्यांमार सीमा को भारत विरोधी विद्रोहियों और मादक पदार्थों के तस्करों के लिए अभेद्य बनाकर सुरक्षा संबंधों को मजबूत करने पर भी चर्चा करेंगे।
भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण ये म्यांमार सीमा
मणिपुर में मोरेह सीमा के पार और अरुणाचल प्रदेश में विजयनगर के प्रमुख इलाकों में बड़ी संख्या में भारत विरोधी विद्रोही हैं। भारत विरोधी विद्रोहियों को उनके नेताओं के साथ चीनी हथियारों से लैस किया जाता है जैसे कि चीन के युन्नान प्रांत के रुइली में स्थित उल्फा के परेश बरुआ। भारतीय-म्यांमार सीमा का उपयोग YABA और हेरोइन जैसी सिंथेटिक दवाओं की तस्करी के लिए भी किया जाता है। गौरतलब है कि भारत पूर्वोत्तर क्षेत्र के कुछ उग्रवादी संगठनों के म्यांमार में शरण को लेकर भी चिंतित है। हालांकि, म्यांमार आश्वस्त करता रहा है कि वह किसी को भी भारत के खिलाफ अपने क्षेत्र का उपयोग करने की अनुमति नहीं देगा।