उठी 'आवाज़', अब मिलेगा 'अनाज'
झारखंड के लातेहार की नगीना बीबी को एक महीने से राशन नहीं मिला. जानिए क्यों.
सबै भईया-बहिनी के जोहार. हम विशुनबांध पंचायत के नगीना बीबी बोलित हिए. हमरा एक महीना के राशन नहीं दिले हई. का वजह हई. नहीं देले हई. डीलर से मांगे हई त बोल हई कि आगे से अईबे न कलई त कहां से दिऔ. अपना बाप घर से दिऔ. से बोल हई. घूम-घूम के चल अलिहई. अब हमरा तोही से आस हउ. हमर राशन दिलवहई. (सभी भाई-बहनों को प्रणाम. मैं विशुनबांध पंचायत की नगीना बीबी बोल रही हूं. मुझे एक महीने का राशन नहीं मिला. पूछने पर डीलर ने दलील दी कि जब उसे आवंटन ही नहीं मिला है. ऐसे में कहां से देंगे राशन....अब आपलोग मुझे राशन दिलवाइए.)
नगीना बीबी बिना रुके यह बात कहती हैं. वे मनिका प्रखंड के विशुनबांध की रहने वाली हैं. यह झारखंड के सुदूर लातेहार जिले की एक पंचायत है. उनकी इस बात पर काफी शोर होने लगता है.
विशुनबांध के कुछ और लोग खड़े होते हैं. इनकी शिकायत है कि उनके डीलर राशन वितरण में मनमानी करते हैं. उन्हें तलब कर पूछा जाए कि वे ऐसा क्यों करते हैं. माइक से उन्हें हाजिर होने को कहा जाता है लेकिन डीलर मौजूद नहीं हैं. वहां मौजूद प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी (एमओ) बताते हैं कि विशुनबांध के डीलर नारायण यादव को निलंबित कर दिया गया है. भीड़ फिर शोर करने लगती है. मानो, उनके इस जवाब से संतुष्ट नहीं हो.
ज्यां द्रेज का तर्क
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माइक अब मशहूर अर्थशास्त्री व सोशल एक्टिविस्ट ज्यां द्रेज के पास है. वे कहते हैं कि निलंबन से क्या होगा. कुछ दिनों बाद उनकी डीलरशिप फिर से बहाल हो जाएगी और वे मनमानी करेंगे.
लोगों को अनाज नहीं मिलेगा. इन्हें तो बर्खास्त किया जाना चाहिए. वहां मौजूद लोग इस बात के समर्थन में नारे लगाने लगे हैं. इसी दौरान जिला आपूर्ति पदाधिकारी (डीएसओ) शैलप्रभा कुजूर विशुनबांध के आरोपी डीलर को बर्खास्त करने की घोषणा करती हैं.
भीड़ अब तालियां पीटने लगी है.
एनएफएसए की जनसुनवाई
यह उस जनसुवाई का नज़ारा है, जो बीते 8 दिसंबर को भोजन का अधिकार कानून (एनएफएसए-2013) के तहद मनिका में आयोजित की गयी.
इस दौरान मौजूद झारखंड खाद्य सुरक्षा आयोग के सदस्य हलधर महतो ने कहा कि अधिकारियों को सुनिश्चित करना होगा कि हर परिवार को राशन मिल रहा है.
अगर किसी को राशन नहीं मिला है, तो उसे मुआवजा देने की व्यवस्था करें. एनएफएसए-2013 में इसका स्पष्ट प्रावधान किया गया है.
शिकायतें सही हैं
जनसुनवाई में शामिल लातेहार के एसडीएम जयप्रकाश झा ने बीबीसी से कहा कि यहां पहुंची शिकायतें सही हैं. हमने 20 दिसंबर तक इन सभी शिकायतों का कैंप लगाकर निपटारा करने का आदेश दे दिया है.
सरकार चाहती है कि हर आदमी को भरपेट भोजन मिले. हमलोग इसे सुनिश्चित कराने के लिए काम कर रहे हैं. हर राशन डीलर के पास अपवाद रजिस्टर का प्रावधान किया गया है ताकि आधार कार्ड नहीं रहने की हालत में भी किसी का राशन नहीं रुके.
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ऐसे लोगों के किसी भी पहचान पत्र को देखकर उन्हें राशन उपलब्ध करा दिया जाएगा. जिन लोगों को दो महीने से राशन नहीं मिला था, उन्हें 2 दिन के अंदर बकाया राशन उपलब्ध करा दिया जाएगा.
राइट टू फूड कैंपेन का सर्वे
राइट टू फूड कैंपेन के जेम्स हेरेंज ने बताया कि उनकी टीम के सर्वे मे कई गड़बड़ियों का खुलासा हुआ है.
उन्होंने बताया कि सरकार ने मनिका प्रखंड के जिन 135 राशन कार्ड को फर्जी होने के संदेह मे रद कर दिया, उनमें से सिर्फ 2 कार्ड ही वास्तविक तौर पर फर्जी थे.
इसी तरह इस प्रखंड में 4000 आदिम जनजाति के परिवार रहते हैं. जबकि इनमें से सिर्फ 282 परिवारों को राशन मिलता है. यहां 3718 परिवार राशन से वंचित हैं. यह एनएफएसए के प्रावधानों का उल्लंघन है.
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झारखंड का बुरा हाल
ज्यां द्रेज ने बीबीसी से कहा कि मनिका तो सिर्फ एक उदाहरण है. राज्य के लाखों लोग अनाज से वंचित हैं. झारखंड में राशन वितरण प्रणाली के क्रियान्वयन मे कई तरह की रुकावटे हैं.
कहीं जरुरतमंदों के पास राशन कार्ड नहीं है तो कहीं उनके अंगूठे का मिलान पाश मशीन से नहीं हो पा रहा है. कुछ जगहों पर परिवार के सभी सदस्यों के नाम राशन कार्ड मे नहीं होने की भी शिकायतें मिली हैं.