क्या 47 साल के ये शख़्स JNU छात्र हैं?- फ़ैक्ट चेक
पांच जनवरी को जेएनयू में हुई हिंसा के बाद ये बहस तेज़ हो गई है कि हिंसा करने वाले नक़ाबपोश कौन थे? लेकिन इस बहस के बीच ही सोशल मीडिया पर एक और तस्वीर तेज़ी से वायरल हो रही है. इस तस्वीर में दावा किया जा रहा है, ''दिल्ली पुलिस ने इस शख़्स को जेएनयू में घुसने से ये कहते हुए रोका कि कैम्पस के अंदर हिंसा हो रही है, अभिभावक अंदर नहीं जा सकते. ''
पांच जनवरी को जेएनयू में हुई हिंसा के बाद ये बहस तेज़ हो गई है कि हिंसा करने वाले नक़ाबपोश कौन थे?
लेकिन इस बहस के बीच ही सोशल मीडिया पर एक और तस्वीर तेज़ी से वायरल हो रही है. इस तस्वीर में दावा किया जा रहा है, ''दिल्ली पुलिस ने इस शख़्स को जेएनयू में घुसने से ये कहते हुए रोका कि कैम्पस के अंदर हिंसा हो रही है, अभिभावक अंदर नहीं जा सकते. ''
''शख़्स ने जवाब दिया, लेकिन मैं जेएनयू का छात्र हूं. ''
इसके आगे दावा किया जा रहा है, ''ये केरल के रहने वाले 47 साल के मोइनुद्दीन हैं. ये दिल्ली में रहते हैं और साल 1989 से जेएनयू के छात्र हैं. इनका कहना है कि वो बेरोज़गार हैं और अभी भी पढ़ाई कर रहे हैं. हर साल वो एडमिशन लेते हैं. इन्हें हर महीने 10 रुपए हॉस्टल फ़ीस देनी पड़ती है और 32 सालों से हॉस्टल में रह रहे हैं. ऐसे हज़ारों लोग जेएनयू में हैं. ये लोग हॉस्टल फ़ीस 300 रुपये होने के कारण लड़ रहे हैं.''
बीबीसी ने इस दावों की पड़ताल शुरू की. जिस तस्वीर के साथ ये दावा किया जा रहा है वो दरअसल जाने-माने दलित कार्यकर्ता प्रोफ़ेसर कांचा इलैया की तस्वीर है.
वह हैदराबाद की उस्मानिया यूनिवर्सिटी में 38 साल प्रोफ़ेसर और मौलाना आज़ाद यूनिवर्सिटी में पांच साल 'सामाजिक बहिष्करण और समावेशी नीति' विभाग के डायरेक्टर रह चुके हैं.
बीबीसी से बातचीत में प्रोफ़ेसर इलैया ने बताया, ''ये सरासर फ़ेक न्यूज़ है. मेरी उम्र 68 साल है. मैं कभी जेएनयू में पढ़ा ही नहीं. 1976 में मैंने जेएनयू में एमफ़िल के कोर्स में दाखिला के लिए अप्लाई ज़रूर किया था लेकिन मेरा दाखिला नहीं हो सका. मैंने तो पढ़ाई भी उस्मानिया में की और 38 साल पढ़ाया भी वहीं. रिटायर होने से पहले मैं पांच साल मौलाना आज़ाद यूनिवर्सिटी में कार्यरत रहा.''
''मुझे नहीं पता मेरी तस्वीर को इस तरह फैला कर लोग जेएनयू को लेकर नकारत्मकता फैला रहे हैं. ''
बीबीसी ने जब सर्च टूल से इस तस्वीर के बारे में अधिक जानकारी जुटाई तो पता चला नवंबर, 2019 में भी इस तस्वीर को खूब शेयर किया गया. उस समय जेएनयू छात्र यूनिवर्सिटी में बढ़ी हुई फ़ीस के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन जारी थे. उस वक़्त भी दावा किया गया कि '47 साल के केरल के रहने वाले मोइनुद्दीन 1989 से जेएनयू के छात्र हैं.''
हमने पाया कि वक़्त-वक़्त पर '47 साल के केरल के रहने वाले मोइनुद्दीन' शीर्षक के साथ जेएनयू को लेकर ऐसी तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की जाती है.
बीबीसी ने पाया कि ये सूचना ना सिर्फ़ ग़लत है साथ ही जिस शख्स की तस्वीर इस दावे के साथ इस्तेमाल की जा रही है वो इस देश के जाने माने स्कॉलर और दलित कार्यकर्ता कांचा इलैया हैं.