क्या म्यूचुअल फंड्स अब नहीं रहे फ़ायदे का सौदा?
अरुण जेटली ने बजट में शेयर और म्यूचअल फंड्स पर कैपिटल गेन टैक्स लगाया है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2018-19 के बजट में शेयरों और म्यूचुअल फंड्स पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगाने का एलान किया है यानी निवेशकों के मुनाफ़े पर उन्होंने कैंची चला दी है.
इस घोषणा के बाद गुरुवार को शेयर बाज़ारों में खलबली मच गई. निवेशकों में घबराहट फैल गई और दोपहर के कारोबार में बंबई शेयर बाजार का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 460 अंक तक नीचे आ गया था.
जेटली ने म्यूचुअल फंड्स और शेयर बाजारों के एक लाख रुपये से अधिक के लाभ पर लंबी अवधि में 10 प्रतिशत का कैपिटल गेन टैक्स (पूंजीगत लाभ कर) लगाने की घोषणा की.
कैपिटल गेन टैक्स शेयर बाज़ार और म्यूचुअल फंड पर कम से कम एक साल के बाद हुए मुनाफ़े पर लगने वाला टैक्स है.
जेटली ने कहा, "शेयरों की अदला-बदली से और म्यूचुअल फंड्स से लंबी अवधि में मिलने वाली रकम अभी तक टैक्स से मुक्त हैं. अभी तक सरकार ने शेयर बाज़ारों के लिए कई कदम उठाए हैं. मौजूदा वित्त वर्ष की बात करें तो शेयरों और म्यूचुअल फंड्स पर कैपिटल गेन की रकम तीन लाख 67 हज़ार रुपये है."
जेटली ने ये भी कहा कि इस क़दम से पहले साल सरकारी ख़जाने में 20 हज़ार करोड़ रुपये आएंगे.
सरकार को कितना गेन?
जेटली ने कहा कि एक साल से अधिक की अवधि पर ही टैक्स लगेगा और वो भी कम से कम एक लाख रुपये से अधिक के गेन यानी फ़ायदे पर.
तो ज़ाहिर है कि लंबी अवधि के म्यूचुअल फंड्स जिनमें कि ईएलएसएस यानी इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम भी शामिल हैं, भी इस दायरे में आएंगे और उन्हें दस फ़ीसदी का टैक्स देने होगा, इसके उलट पीपीएफ़ पर मिलने वाली रकम टैक्स फ्री है.
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आम बजट के सियासी मायने क्या हैं?
अधिकतर मध्यम वर्ग और वेतनभोगी कर्मचारी म्यूचुअल फंड्स में सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के ज़रिये निवेश करते हैं. एसआईपी के जरिये जहाँ म्यूचुअल फंड्स में अप्रैल 2016 में 3,122 करोड़ रुपये निवेश किए गए, वहीं दिसंबर 2017 में ये आंकड़ा 6,222 करोड़ रुपये का हो गया.
लेकिन जेटली के इस कदम के बाद म्यूचुअल फंड को लाभ का सौदा मानने वाले निवेशक अब अपना हिसाब-किताब लगाने में व्यस्त हो गए हैं.
पहले ये ध्यान रखना ज़रूरी है कि बजट एक अप्रैल 2018 से प्रभावी होगा, इसलिए अब से लेकर 31 मार्च तक शेयरों की बिकवाली या म्यूचुअल फंड्स के रिडम्पसन (बिक्री) पर किसी तरह की टैक्स देनदारी नहीं बनेगी.
लेकिन अगर आप एक अप्रैल या इसके बाद म्यूचुअल फंड्स रिडम्पसन का आवेदन करते हैं तो आपको 10 फ़ीसदी कैपिटल गेन टैक्स देना होगा, वो भी उस सूरत में जब म्यूचुअल फंड्स पर आपकी कमाई यानी मुनाफ़ा एक लाख रुपये से अधिक हो.
कैसे और कितना कैपिटल गेन टैक्स
वित्त मंत्री ने ये साफ़ किया है कि शेयरों पर 15 प्रतिशत का शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स जारी रहेगा.
कैपिटल गेन टैक्स की इस मार को इस उदाहरण से समझ सकते हैं.
म्यूचुअल फंड्स एसआईपी पर पड़ने वाला असर | |
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एसआईपी की रकम | 10,000 रुपये |
एसआईपी | हर महीना |
एसआईपी की अवधि | 5 साल |
कुल निवेश | 6 लाख रुपये |
सालाना रिटर्न | 12 प्रतिशत (अगर सालाना अनुमानित मानें) |
5 साल बाद रकम | 8 लाख 25 हज़ार रुपये |
कुल लाभ (रिटर्न) | 2 लाख 25 हज़ार रुपये |
कैपिटल गेन टैक्स (10%) | 22 हज़ार 500 रुपये |
तो क्या एसआईपी को अभी तक फ़ायदे का सौदा मानने वाले निवेशक क्या निवेश के दूसरे विकल्पों का रुख़ करेंगे. टैक्स एक्सपर्ट कृष्ण मल्होत्रा का कहना है कि लंबी अवधि में इसका बहुत अधिक असर शायद न हो.
हालांकि कृष्ण मल्होत्रा मानते हैं कि भले ही छोटी अवधि में लेकिन वित्त मंत्री के इस कदम का शेयर बाज़ार और म्यूचुअल फंड्स इंडस्ट्री पर नकारात्मक असर देखने को मिल सकता है.
मल्होत्रा कहते हैं, "वैसे भी लोग शेयर बाज़ार और म्यूचुअल फंड्स को जोखिम के नज़रिये से देखते हैं. हाँ, पिछले तीन-चार साल शेयर बाज़ारों के लिए बेहतरीन रहे हैं और कई शेयरों ने बहुत अच्छा रिटर्न दिया है. कई म्यूचुअल फंड्स ने भी सालाना 20 प्रतिशत से अधिक का रिटर्न दिया है."
इसके अलावा, म्यूचुअल फंड हाउसेज को इक्विटी स्कीमों पर डिविडेंड पर 10 फ़ीसदी का डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स यानी डीडीटी चुकाना होगा. ये सही है कि डीडीटी भले ही निवेशकों से न लेकर म्यूचुअल फंड्स से वसूला जाएगा, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से इसका असर निवेशकों पर ही पड़ेगा, क्योंकि डिविडेंड के रूप में उन्हें मिलने वाली रकम पर कैंची चलेगी.