Howdy Modi प्रोग्राम के लिए पीएम मोदी से ज्यादा डॉनल्ड ट्रंप क्यों हैं बेसब्र ? जानिए
नई दिल्ली- अमेरिका में टेक्सास राज्य के ह्यूस्टन में आयोजित 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम के लिए जितने उत्साहित अमेरिका में रह रहे भारतीय हैं, उतने ही अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप भी हैं। यह कार्यक्रम अमेरिका में एक नया इतिहास बनाने जा रहा है। अमेरिका में यह पहला कार्यक्रम है, जिसमें किसी दूसरे देश के चुने हुए नेता को सुनने के लिए इतनी बड़ी तादाद में लोग जुट रहे हैं और जिन्हें स्टेडियम में जगह नहीं मिल पाई है, उन्होंने इसके गवाह बनने के लिए अनेको जुगाड़ किए हैं। बताया जाता है कि अमेरिका में इतनी ज्यादा भीड़ सिर्फ पोप को सुनने के लिए जुट सकती है, जितनी नरेंद्र मोदी को सुनने के लिए पहुंच रही है। सबसे बड़ी बात ये है कि खुद अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप यहां मोदी-मोदी के नारों की गूंज के बीच मौजूद रहेंगे। अब समझने वाली बात है कि भारत के प्रधानमंत्री के लिए आयोजित ऐसे कार्यक्रम में जहां ज्यादातर भारतीय समुदाय के लोग हों, अमेरिकी राष्ट्रपति क्यों टकटकी लगाए बैठे हैं। आइए इसके पीछे की बड़ी वजहों को समझने की कोशिश करते हैं।
टेक्सास में हो रहा है कार्यक्रम
अमेरिका में जितने भारतीय रहते हैं, उनमें टेक्सास के ह्यूस्टन और डल्लास-फोर्ट दो सबसे अहम जगह हैं। ये दोनों इलाके अमेरिका के उन टॉप 10 मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में गिने जाते हैं, जहां भारतीयों की संख्या सबसे ज्यादा है। एक आंकड़े के मुताबिक अकेले ह्यूस्टन में 70 हजार से ज्यादा भारतीय रहते हैं, जो वहां की व्यवसाय से लेकर नौकरियों में भी अपनी प्रभावी भूमिका कायम कर चुके हैं। इससे पहले पीएम मोदी न्यूयॉर्क, सैन जोस और वॉशिंगटन डीसी में भी ऐसे ही कार्यक्रम आयोजित कर चुके हैं, जहां 2015 के आंकड़ों के मुताबिक भारतीयों की संख्या अमेरिका में क्रमश: पहले, चौथे और पांचवें स्थान पर है।
50,000 से ज्यादा लोगों की मौजूदगी
ह्यूस्टन के एनआरजी स्टेडियम में हाउडी मोदी कार्यक्रम में पीएम मोदी को सुनने के लिए 50 हजार से भी ज्यादा लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। अमेरिका जैसे देश के लिए यह बहुत ही बड़ी बात है। वहां किसी राजनेता के लिए 500 से 1,000 लोगों की भीड़ जुटानी भी बहुत बड़ी चुनौती मानी जाती है। लेकिन, किसी दूसरे देश के नेता के लिए 50,000 हजार से ज्यादा लोगों का जुटना पूरे अमेरिका को हैरान कर रहा है। खास बात ये है कि जबसे मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, अमेरिका में उनका इस तरह का ये चौथा कार्यक्रम है। लेकिन, इसकी विशेषता ये है कि ये उन सबमें भी सबसे बड़ा इवेंट है। मसलन, न्यूयॉर्क के मेडिसन स्क्वॉयर में उन्हें सुनने के लिए सितंबर, 2014 में 18,000 लोग पहुंचे थे। एक साल बाद ही सैन जोस के कार्यक्रम में सितंबर, 2015 में 20,000 लोग आए थे। जबकि, जून 2017 में वॉशिंगटन डीसी के प्रोग्राम में 11,000 लोग शामिल हुए थे। अमेरिका जैसे देश में किसी राजनेता के लिए, वो भी किसी बाहर देश आने वाले के लिए यह बहुत बड़ी बात है। अलबत्ता यह सिर्फ पोप के लिए ही अबतक संभव होता आया है। जाहिर है कि अमेरिका में मोदी की इस बढ़ती लोकप्रियता को भुनाने में डॉनल्ड ट्रंप भी पीछे नहीं रहना चाहते और इसलिए उन्होंने खुद ही इसमें शामिल होने और पूरे वक्त तक डटे रहने का फैसला किया है।
अमेरिकी चुनाव पर है ट्रंप की नजर
2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में अमेरिकी-भारतीयों ने डॉनल्ड ट्रंप को नहीं, बल्कि हिलेरी क्लिंटन का दिल खोलकर समर्थन किया था। 2016 के चुनाव के बाद हुए नेशनल एशियन अमेरिकन सर्वे में ये बात सामने आई थी। पिछले चुनाव में भारतीय समुदाय के 77 फीसदी लोगों ने हिलेरी के पक्ष में वोट डाला था, जबकि डॉनल्ड ट्रंप को सिर्फ 16 फीसदी भारतीयों के ही वोट मिले थे। बाकी 7 फीसदी भारतीयों के वोट दूसरों को गए थे। डॉनल्ड ट्रंप को पक्का यकीन है कि नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को भुनाकर वे अगले साल होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में भारतीयों का भी समर्थन जुटा सकेंगे। इसलिए, हाइडी मोदी प्रोग्राम में शामिल होने के लिए वे आगे बढ़कर तैयार हुए। उन्हें अंदाजा हो चुका है कि वहां रह रहे करीब 40 लाख भारतीयों पर पीएम मोदी का बहुत ही गहरा प्रभाव है।
चंद्रयान-2 का भी है कनेक्शन
अमेरिका में रहने वाले भारतीयों के साथ ही अमेरिकी नागरिकों में भी चंद्रयान-2 से जुड़ी हर प्रगति को जानने की इच्छा देखी गई है। यह भी तथ्य है कि अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने लैंडर विक्रम की तलाश के लिए अपना पूरा दमखम लगा दिया है। ह्यूस्टन में रह रहे भारतीयों के लिए चंद्रयान-2 से एक और खास कनेक्शन जुड़ा हुआ है। दरअसल, यह शहर अमेरिका के मानव चंद्रमा मिशन का भी सेंटर है। अब जॉनसन स्पेस सेंटर के नाम से चर्चित यहां का स्पेस कंट्रोल सेंटर ही अमेरिकी मैन्ड स्पेस प्रोग्राम्स को कंट्रोल करता है। यानि, टेक्सास में रहने वाले लोगों को भारत के स्पेस प्रोग्राम से भी जुड़ाव रहता है और ट्रंप को इसका पूरा अंदाजा है।