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बायोपिक फ़िल्में क्या वाकई भारी मुनाफ़े का सौदा हैं

शाहरुख़ खान को लेकर थोड़ा संशय इसलिए है कि वह देश के पहले अन्तरिक्ष यात्री राकेश शर्मा की बायोपिक 'सारे जहाँ से अच्छा' में राकेश शर्मा की भूमिका के लिए हाँ कह चुके हैं और इसकी तैयारियों के लिए नासा तक जाने की बात कह चुके हैं. लेकिन हाल ही में यह समाचार भी आया कि वह इस फिल्म की जगह 'डॉन-3' करेंगे. लेकिन बाद में 'सारे जहाँ से अच्छा' के लेखक की ओर से यह बयान आया है कि शाहरुख़ 'सारे जहाँ से अच्छा' बिलकुल कर रहे हैं, इसे न करने की ख़बर अफ़वाह है. हालांकि यह फ़िल्म इस साल नहीं सन 2020 में आएगी.

By BBC News हिन्दी
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यूरोप में सन 1815 में विएना कांग्रेस के समय एक जुमला बहुत मशहूर हुआ था 'यदि यूरोप के किसी एक देश को छींक आती है तो पूरे यूरोप को ज़ुकाम लग जाता है.' लेकिन मैं इस प्राचीन मुहावरे को अक्सर हमारी फिल्म इंडस्ट्री के लिए एकदम सटीक पाता हूँ.

बॉलीवुड में यदि एक फ़िल्मकार को छींक आती है तो पूरी फ़िल्म इंडस्ट्री को ज़ुकाम लग जाता है. क्योंकि हम अक्सर देखते हैं कि हमारे यहाँ यदि किसी एक कथानक, एक विषय पर बनी फ़िल्म हिट हो जाती है तो लगभग सभी फ़िल्मकार उसी थीम पर फ़िल्म बनाने लगते हैं.

आजकल इस बात को बायोपिक फ़िल्मों के रूप में साफ़ देखा जा सकता है. पिछले कुछ समय में हमारे यहाँ जिस तरह कुछेक बायोपिक फ़िल्म हिट-सुपर हिट हो रही हैं, उसे देख अनेक फ़िल्मकार अब बायोपिक फ़िल्म बनाने में जुट गए हैं. इसलिए देश में जल्द ही बायोपिक फ़िल्मों का तूफ़ान आने को है.

इस समय करीब 25 बायोपिक फ़िल्मों का काम तो बहुत तेजी से हो रहा है और लगता है जल्द ही कुछ और निर्माताओं के भी बायोपिक फ़िल्मों के प्रोजेक्ट सामने आ जायेंगे. जबकि सम्भावना यह है कि साल 2019 में ही क़रीब 15 बायोपिक फ़िल्में दर्शकों को देखने को मिल सकेंगी.

साल के पहले महीने से ही बायोपिक की बड़ी शुरुआत

यह साल बायोपिक फ़िल्मों के नाम रहने वाला है इस बात के संकेत साल के इस पहले महीने में ही मिलने लगे हैं. शुरू में ही 11 जनवरी को प्रदर्शित फिल्म 'द एक्सीडेंटल प्राइममिनिस्टर' पूर्व प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह की ज़िंदगी के उन 10 बरसों पर आधारित है जब वह दस बरस देश के प्रधानमन्त्री रहे. यहाँ तक इसी फ़िल्म के साथ प्रदर्शित एक और फिल्म 'उरी' भी सत्य घटना पर आधारित है जिसमें उरी हमले के बाद भारतीय सेना ने पकिस्तान से बदला लेने के लिए पाक में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक कर दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे.

इधर अब 18 जनवरी को प्रदर्शित हो रही दो फ़िल्में भी बायोपिक हैं. इनमें अविनाश ध्यानी की '72 ऑवर्स' महावीर चक्र प्राप्त राइफलमैन जसवंत सिंह की ज़िंदगी पर आधारित है. जिन्होंने सन 1962 में चीन के भारत हमले के दौरान अपने अकेले दम पर अरुणाचल प्रदेश में चीन की धोखेबाज़ सेना का मुक़ाबला कर अपने पराक्रम का परिचय दिया था.

जबकि दूसरी फ़िल्म राजेन्द्र गुप्ता की है-'वो जो एक मसीहा मौलाना आज़ाद' स्वतंत्रता सेनानी, पत्रकार और आज़ाद भारत के पहले शिक्षा मंत्री रहे अबुल कलाम आज़ाद की जिंदगी पर है. फिल्म में उनके हिन्दू -मुस्लिम एकता के लिए किये गए कार्यों को ख़ास तौर से दिखाया गया है.

उसके अगले सप्ताह 25 जनवरी को भी दो बायोपिक फ़िल्में एक साथ प्रदर्शित हो रही हैं. जिनमें एक है -'मणिकर्णिका -द क्वीन ऑफ़ झांसी' और दूसरी है 'ठाकरे'. यह संयोग है कि पिछले बरस 25 जनवरी को ही बहुचर्चित फिल्म 'पद्मावत' प्रदर्शित हुई थी. वह भी एक बायोपिक थी और वह पिछले वर्ष की उन हिट फ़िल्मों में शुमार हुई जिसने देश में ही 300 करोड़ रुपये का विशुद्ध कारोबार किया था. 'पद्मावत' भी रानी पदमावती की ज़िदगी पर केन्द्रित थी और 'मणिकर्णिका' भी रानी लक्ष्मीबाई की ज़िंदगी पर है. हालांकि कुछ इतिहासकार पद्मावती को इतिहास का नहीं सिर्फ जायसी के महाकाव्य 'पद्मावत' का एक पात्र मानते हैं. लेकिन पद्मावती हों या लक्ष्मीबाई दोनों को हमारे देश में बरसों बरसों से एक अत्यंत विशिष्ट सम्मान मिलता आ रहा है.

वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की कथा तो पाठ्य पुस्तकों में बच्चों के मन में भी एक जोश भरती आ रही है. इसलिए 'मणिकर्णिका' फ़िल्म से काफी उम्मीदें हैं. ये उम्मीदें कुछ इसलिए भी ज़्यादा हैं कि फ़िल्म में लक्ष्मीबाई की भूमिका अभिनेत्री कंगना रानौत कर रही हैं, जो अपने शानदार अभिनय के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार तक पा चुकी हैं. इस बार दिलचस्प यह भी है कि इस फ़िल्म से कंगना पहली बार निर्देशन में भी अपना ख़ास योगदान दे रही हैं. इस फ़िल्म का निर्माण जी स्टूडियो के साथ कमल जैन और निशांत पिट्टी कर रहे हैं.

उधर निर्देशक अभिजीत पांसे की 'ठाकरे' शिव सेना संस्थापक और महाराष्ट्र की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाले बाला साहब ठाकरे की जीवन गाथा है. इसलिए इसे हिंदी के साथ मराठी में भी प्रदर्शित किया जा रहा है. फ़िल्म में ठाकरे की भूमिका अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने और उनकी पत्नी की भूमिका अमृता राव ने निभाई है. फ़िल्म अपने प्रोमो से ही सुर्ख़ियों में है, इसलिए इस फ़िल्म से भी अच्छी उम्मीद संजोयी जा रही हैं.

इस साल महिलाओं की जिंदगी पर भी ज्यादा फ़ोकस

साल 2019 में जहाँ पहले महीने में ही एक साथ इतनी बायोपिक फ़िल्म आने से एक नया रिकॉर्ड बन रहा है. वहीं इस साल फ़िल्मकारों ने बायोपिक फ़िल्मों में महिलाओं की जिंदगी पर भी ज़्यादा फ़ोकस रखा है. इस साल 'मणिकर्णिका' तो रानी लक्ष्मीबाई पर है ही साथ ही लक्ष्मी नाम की एक अन्य महिला सहित इस साल कुल 6 महिलाओं की जिंदगी पर फ़िल्में देखने को मिल सकेंगी.

इन फिल्मों में 'छपाक' इसलिए ज्यादा सुर्ख़ियों में आ गयी है क्योंकि यह उन लक्ष्मी अग्रवाल की ज़िंदगी की कहानी है जिन पर एसिड से घातक हमला हुआ लेकिन लक्ष्मी ने अपने अद्धभुत साहस का परिचय देते हुए इन मुश्किल हालातों में भी जीने का सलीका सीख लिया. इस फ़िल्म की बड़ी बात यह है कि दीपिका पादुकोण इसमें लक्ष्मी की भूमिका निभाने के साथ इस फिल्म का निर्माण भी ख़ुद कर रही हैं. जबकि फ़िल्म का निर्देशन मेघना गुलज़ार का है.

जिस तरह कुछ बरस पहले दक्षिण फिल्म अभिनेत्री सिल्क स्मिता की जिंदगी पर फिल्म 'डर्टी पिक्चर' आई थी. कुछ उसी तर्ज पर अब 'शकीला' फिल्म बन रही है. केरल की शकीला ने 1990 के दशक के दौर में साउथ फिल्म इंडस्ट्री में बहुत सी सेमी पोर्न फिल्मों में काम करके अपने नाम की धूम मचा दी थी. निर्देशक इन्द्रजीत लंकेश की 'शकीला' में शकीला की भूमिका अभिनेत्री ऋचा चड्ढा कर रही है.

बैडमिंटन की दुनिया में अपनी प्रतिभा से अपने नाम का पताका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लहरा चुकी सायना नेहवाल की फिल्म का निर्माण टी सीरिज़ के भूषण कुमार कर रहे हैं. जिसमें सायना की भूमिका अभिनेत्री श्रद्धा कपूर का रही हैं. श्रद्धा इसके लिए बाकायदा सायना से बेडमिन्टन खेलने के टिप्स भी ले रही हैं. इससे पहले महिला खिलाड़ी की जिंदगी पर 'मेरी कॉम' भी बन चुकी है. जिसमें प्रियंका चोपड़ा ने मेरी कॉम की भूमिका की थी. 'मेरी कॉम' को व्यवसायिक रूप से सफल होने के साथ कुछ पुरस्कार पाने में भी सफलता मिली थी. इसलिए सायना की बायोपिक पर भी सभी की निगाहें लगी हुई हैं.

इधर श्रीदेवी की बेटी जाह्नवी कपूर भी एक बायोपिक में मुख्य किरदार निभा रही है. निर्माता करण जौहर की यह फ़िल्म भारतीय वायु सेना की पहली महिला पायलट गुंजन सक्सेना की ज़िंदगी से प्रेरित है. गुंजन सन 1999 में युद्ध के दौरान कारगिल में तैनात थीं. तब गुंजन ने इस युद्ध में जो योगदान दिया उससे उन्हें 'कारगिल गर्ल' भी कहा जाने लगा.

इनके साथ इस साल जिस एक और महिला की बायोपिक रिलीज़ हो सकती है वह है सायकिलिस्ट देबोराह हेरोल्ड की. जो यूँ तो साइकिल की विभिन्न अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व करके देबोराह देश की साइकिल स्टार के रूप में जानी जाती हैं. लेकिन देबोराह सन 2004 में तब भी चर्चा में आई थीं जब सुनामी के दौरान पोर्ट ब्लेयर में फंसने पर पूरा एक हफ्ता उन्होंने पेड़ के नीचे गुजारा था. फिल्म में देबोराह बनने का मौका अभिनेत्री जैकलीन फर्नान्डीज़ को मिला है.

'भाग मिल्खा भाग' से आया था बायोपिक का दौर

भाग मिल्खा भाग
BBC
भाग मिल्खा भाग

हमारे यहाँ यूँ तो बायोपिक फ़िल्में सिनेमा के शैशव काल से ही बन रही हैं. लेकिन पहले ये देवी देवताओं और राजा महाराजाओं की ज़िंदगी पर बनती थीं. या फिर बाद में स्वतंत्रता सेनानियों की ज़िंदगी पर. भारत के महान नेताओं पर सबसे बड़ी बायोपिक फिल्म 'गांधी' सन 1982 में बनी थी. उसका निर्माण-निर्देशन भी किसी भारतीय फिल्मकार ने नहीं, प्रतिष्ठित ब्रिटिश फ़िल्मकार रिचर्ड एटनबरो ने किया था. यह फ़िल्म विश्वभर में पसंद की गयी साथ ही फिल्म को 8 ऑस्कर अवार्ड भी मिले थे. इसके बाद हमारे यहाँ आंबेडकर, सरदार पटेल और सुभाष चन्द्र बोस सहित कुछ और राजनायकों पर भी बायोपिक बनीं. लेकिन हमारे यहाँ फ़िल्मकारों में बायोपिक बनाने की छटपटाहट 'भाग मिल्खा भाग' के बाद ही दिखी.

फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर रहे सुप्रसिद्ध धावक मिल्खा सिंह पर सन 2013 में जब 'भाग मिल्खा भाग' आई तो इस फ़िल्म को आम दर्शकों से लेकर समीक्षकों तक सभी ने पसंद किया. फ़िल्मकार राकेश ओमप्रकाश मेहरा की फ़रहान अख़्तर अभिनीत इस फ़िल्म ने देश में 100 करोड़ की कमाई की तो सभी की आँखें खुल गयीं.

देखते देखते एक साथ कई बायोपिक फ़िल्मों का निर्माण शुरू हो गया. जिनमें स्पोर्ट्स पर मेरी कॉम. एम एस धोनी, अज़हर, बुधिया सिंह, सूरमा और दंगल जैसी फ़िल्में आने लगीं और नीरजा, वीरप्पन, सरबजीत, अन्ना, मंटो, पद्मावत और संजू जैसी फ़िल्में भी बनीं. इन बायोपिक फ़िल्मों में अधिकतर ने सफलता पायी. जबकि 'संजू' फिल्म ने तो 340 करोड़ रुपये से अधिक का नेट बिज़नेस सिर्फ़ अपने देश में ही कर लिया. इसके बाद तो अब फ़िल्मकारों की बायोपिक फ़िल्मों में दिलचस्पी और भी बढ़ गयी है.

इस साल और अगले साल जो बड़े सितारे बायोपिक फ़िल्मों में नज़र आयेंगे उनमें अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार, ऋतिक रोशन, अजय देवगन, रणवीर सिंह, विवेक ओबेरॉय और संभवतः शाहरुख़ खान भी हैं.

शाहरुख़ खान को लेकर थोड़ा संशय इसलिए है कि वह देश के पहले अन्तरिक्ष यात्री राकेश शर्मा की बायोपिक 'सारे जहाँ से अच्छा' में राकेश शर्मा की भूमिका के लिए हाँ कह चुके हैं और इसकी तैयारियों के लिए नासा तक जाने की बात कह चुके हैं. लेकिन हाल ही में यह समाचार भी आया कि वह इस फिल्म की जगह 'डॉन-3' करेंगे. लेकिन बाद में 'सारे जहाँ से अच्छा' के लेखक की ओर से यह बयान आया है कि शाहरुख़ 'सारे जहाँ से अच्छा' बिलकुल कर रहे हैं, इसे न करने की ख़बर अफ़वाह है. हालांकि यह फ़िल्म इस साल नहीं सन 2020 में आएगी.

अगले बरस अप्रैल में रणवीर सिंह भी सुप्रसिद्द क्रिकेटर कपिल देव की बायोपिक '83' में आयेंगे. रिलायंस एंटरटेनमेंट और जाने माने निर्देशक कबीर ख़ान की इस फ़िल्म का नाम '83' इसलिए रखा है कि 1983 में ही कपिल देव की कप्तानी में भारत ने विश्व कप जीत कर इतिहास रचा था. कपिल के क्रिकेट जीवन की वह सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जाती है. कपिल की पत्नी रोमा देव की भूमिका में रणवीर की रियल लाइफ पत्नी दीपिका पादुकोण को लेने की भी बात है.

जबकि ऋतिक रोशन इसी साल जल्द ही रिलाइंस एंटरटेनमेंट की फ़िल्म 'सुपर 30' में गणितज्ञ और बिहार के मशहूर शिक्षक आनंद कुमार की बायोपिक में आनंद कुमार की भूमिका में आ रहे हैं. यूँ यह फ़िल्म पहले 25 जनवरी को लगने वाली थी. लेकिन फिल्म के निर्देशक विकास बहल का नाम 'मी टू' में आने से तथा कुछ और कारणों से इस फ़िल्म को अब अप्रैल या जुलाई में प्रदर्शित किया जाएगा.

उधर, अजय देवगन भी अब एक ऐतिहासिक योद्धा के बायोपिक अवतार में आने के लिए जोर शोर से जुटे हैं. उनकी इस फ़िल्म का नाम है-'तानाजी -द अनसंग वार्रिअर'. यह फ़िल्म 17 वीं शताब्दी में मराठा साम्राज्य के सेना नायक तानाजी मालुसरे की वीर गाथा है. इस साल 22 नवम्बर को प्रदर्शन के लिए निर्धारित इस फ़िल्म में सैफ़ अली ख़ान भी हैं. उम्मीद है फ़िल्म में काजोल भी होंगी.

इसके साथ ही अमिताभ बच्चन फ़िल्म 'झुण्ड' में और अक्षय कुमार फ़िल्म 'केसरी' में दो व्यक्तियों के जिंदगीनामा को दर्शाएंगे. 'झुण्ड' नागपुर के उन खेल शिक्षक विजय बरसे की ज़िंदगी पर आधारित है, जिन्होंने स्लम बस्ती के बच्चों के लिए 2001 में 'स्लम सॉकर' की स्थापना कर एक खूबसूरत मिसाल पेश की. उनके इस काम से बच्चों का ध्यान अपराध, नशे की आदतों से हटकर फुटबॉल खेलने में इतना लगा कि पूरे महाराष्ट्र में इसकी हज़ारों टीम बन गयीं. इस फ़िल्म के निर्माता भूषण कुमार और निर्देशक वह नागराज मंजुले हैं, जो चर्चित मराठी फ़िल्म 'सैराट' बनाकर अपना शानदार काम पहले भी दिखा चुके हैं.

निर्माता करण जौहर और अक्षय कुमार की 'केसरी' जो 21 मार्च को प्रदर्शित होगी, वह सन 1897 की सारागढ़ की लड़ाई के वीर योद्धा हवालदार इशर सिंह के जीवन पर आधारित है. अक्षय पहले भी 'पैडमेन', 'एयरलिफ्ट', 'रुस्तम' और 'गोल्ड' जैसी ऐसी फ़िल्में कर चुके हैं जो बायोपिक या किसी सत्य घटना पर आधारित थीं. इस फ़िल्म में परिणीति चोपड़ा भी उनके साथ हैं. फ़िल्म के निर्देशक हैं अनुराग सिंह.

इन फ़िल्मों के अलावा हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी की ज़िंदगी पर भी एक फ़िल्म बनाने की घोषणा हुई है. यूँ तो इससे पहले अभिनेता और सांसद परेश रावल भी नरेंद्र मोदी की जीवन गाथा को रुपहले पर्दे पर साकार करने की घोषणा कर चुके हैं. लेकिन सुरेश ओबेरॉय ने अपने पुत्र विवेक ओबेरॉय को नरेंद्र मोदी की भूमिका में लेकर इस फ़िल्म का काम शुरू भी कर दिया है. फ़िल्म के निर्देशक वह ओमंग कुमार हैं जो 'मेरी कॉम'' और 'सरबजीत' जैसी दो बायोपिक पहले भी बना चुके हैं.

यह फ़िल्म इस साल आएगी या अगले साल यह अभी साफ़ नहीं है. लेकिन वर्तमान प्रधानमन्त्री पर बायोपिक बनना निश्चय ही बड़ी बात है और इससे बायोपिक फ़िल्मों की दुनिया में हलचल और भी तेज़ हो गयी हैं.

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