एप्पल को झटका, एक दिन में उड़े 75 अरब डॉलर
एप्पल को भले ही बहुत भारी नुक़सान हुआ हो लेकिन इस कंपनी की तिजोरियां अभी भी भरी हुई हैं और बहुत संभव है कि एप्पल किसी और क्षेत्र में अपनी कोई और नई शाखा खड़ी कर दे. इस कपंनी के पास ऐसा करने के लिए पर्याप्त पैसा है.
दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में शामिल अमरीकी कंपनी एप्पल के शेयरों में गुरुवार को भारी गिरावट दर्ज की गई.
एक ही दिन के भीतर कंपनी को कुल 75 अरब डॉलर यानी लगभग 5,25,800 करोड़ रुपये का नुक़सान हुआ है.
एप्पल ने एक दिन पहले ही कहा था कि उसकी कमाई 2018 की आख़िरी तिमाही में अनुमान से कम रह सकती है. पहले कंपनी ने 89 अरब डॉलर के राजस्व का अनुमान लगाया था मगर बुधवार को कंपनी ने कहा कि उसे 84 अरब डॉलर की कमाई हो सकती है.
बीते 16 सालों में ये पहली बार था जब एप्पल ने अपने कमाई के अनुमानों में कटौती की. इस चेतावनी के बाद कंपनी के शेयर दस प्रतिशत तक गिर गए.
एप्पल द्वारा बीती तिमही में कमाई का अनुमान घटाने की एक वजह चीनी बाज़ार में आईफ़ोन की बिक्री में कमी आना है.
एप्पल की इस चेतावनी के बाद अमरीका के मुख्य बाज़ारों में भी गिरावट देखी गई. तकनीकी कंपनियों वाला नैसडेक सूचकांक 3.1 प्रतिशत गिरकर बंद हुआ है.
झटका या तबाही?
एप्पल बीते साल अगस्त में ही दुनिया की पहली हज़ार अरब (एक ट्रिलियन) डॉलर की कंपनी बनी थी. उसने दूसरी बड़ी कंपनियों जैसे अमेज़ॉन, माइक्रोसॉफ्ट और फ़ेसबुक को पछाड़ते हुए हज़ार अरब का आंकड़ा छुआ था.
ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि कंपनी ने अपने पिछले तीन महीने के अच्छे प्रदर्शन की रिपोर्ट पेश की थी जिसे उसके शेयरों में उछाल देखने को मिला था.
मगर अब एप्पल के शेयरों में आई इस भारी गिरावट को कुछ विश्लेषक मामूली झटका मान रहें हैं तो कुछ इसे कंपनी के लिए बड़ी तबाही कह रहे हैं.
मगर अब कंपनी के नए आईफ़ोन की बिक्री में आई गिरावट इसकी मुख्य वजह है. आईफ़ोन उपभोक्ता पहले बाज़ार में लॉन्च होने वाले नए आईफ़ोन को ख़रीदने के लिए उत्सुक रहते थे.
आईफ़ोन का नया मॉडल लॉन्च होते ही कंपनी के शोरूम के बाहर लाइनें लग जाती थीं. लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है.
बीबीसी के तकनीक संवाददाता डेव ली कहते हैं, "आज के दौर के मोबाइल फ़ोन की गुणवत्ता की वजह से हम फ़ोन का नया मॉडल ख़रीदने के लिए बहुत उत्सुक नहीं रहते हैं. अब नया आईफ़ोन एक हज़ार डॉलर तक का हो गया है."
लेकिन ऐसा नहीं है कि एप्पल को नए आईफ़ोन की ठंडी बिक्री का अंदाज़ा नहीं था. यही वजह है कि एप्पल ने कई अन्य क्षेत्रों में भी आगे बढ़ने के प्रयास किए हैं.
आज सेवा, स्वास्थ्य और फ़िटनेस क्षेत्र में एप्पल ने उल्लेखनीय तरक्की की है. एप्पल सेवा क्षेत्र से ही उतना पैसा कमा लेती है जितना फ़ेसबुक की कुल कमायी है.
डेव ली कहते हैं, "इसलिए ये कहना ग़लत होगा कि एप्पल कंपनी मुश्किल में है."
लेकिन दूसरी ओर चीन की अर्थव्यवस्था गिर रही है और यही वजह है कि चीनी बाज़ार में आईफ़ोन कम बिक रहे हैं.
चीन की अर्थव्यवस्था में जिस तेज़ी से गिरावट आई है उसका अंदाज़ा न ही एप्पल लगा सकी है और न ही कोई और.
चीन और अमरीका के बीच व्यापारिक तनाव भी एप्पल को हुए नुक़सान की एक वजह है.
एप्पल के सीईओ टिम कुक इसके लिए अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप को ज़िम्मेदार मानते हैं.
टिम कुक ने कंपनी के शेयरधारकों से कहा था, 'व्यापार युद्ध का असर अब दिखन लगा है और इससे ग्राहकों का भरोसा डगमगा रहा है.'
एप्पल को भले ही बहुत भारी नुक़सान हुआ हो लेकिन इस कंपनी की तिजोरियां अभी भी भरी हुई हैं और बहुत संभव है कि एप्पल किसी और क्षेत्र में अपनी कोई और नई शाखा खड़ी कर दे. इस कपंनी के पास ऐसा करने के लिए पर्याप्त पैसा है.