अंधेरे में भी दुश्मन को ढूंढकर बनाता है निशाना, ये हैं अपाचे (Apache Helicopter) की खूबियां
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नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) को शुक्रवार को इसका पहला अटैक हेलीकॉप्टर अपाचे (Apache Helicopter) मिल गया। अमेरिका के एरीजोना स्थित बोइंग, प्रोडक्शन फैसिलिटी में आइएएफ को पहला हेलीकॉप्टर औपचारिक तौर पर सौंप दिया गया। शनिवार की सुबह आइएफ ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी। अपाचे को अपाचे गार्डियन हेलीकॉप्टर के नाम से भी जाना जाता है। एएच-64ई (I) अपाचे गार्डियन एक एडवांस्ड और हर मौसम में हमला करने की क्षमता से लैस हेलीकॉप्टर है जिसे जमीन के अलावा हवा में मौजूद दुश्मन पर भी हमला करने में प्रयोग किया जा सकता है।
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दुश्मनों में दहशत पैदा करने वाला अपाचे
भारत और अमेरिका के बीच 22 अपाचे डील को सितंबर 2015 में मंजूरी मिली थी। इंडियन एयरफोर्स के जाबांज अब इस अटैक हेलीकॉप्टर की मदद से दुश्मन पर निशाना साधेंगे। एक समय ऐसा था जब प्रिंस हैरी इस हेलीकॉप्टर के लीड पायलट हुआ करते थे। जिस समय प्रिंस हैरी अफगानिस्तान में डेप्लॉयड थे, उस समय वह इसी हेलीकॉप्टर को उड़ाते थे। प्रिंस हैरी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि दुश्मनों में दहशत पैदा करने के लिए इस हेलीकॉप्टर का सिर्फ नाम ही काफी है। प्रिंस हैरी के मुताबिक अपाचे की कुछ ऐसी बातें भी हैं जो इसे बाकी हेलीकॉप्टरों से अलग खड़ा करती हैं।
चार ब्लेड वाला अपाचे
बोइंग का अपाचे चार ब्लेड वाला और ट्विन इंजन वाला हेलीकॉप्टर है। इसके कॉकपिट में दो लोगों के क्रू की जगह है। अपाचे को अमेरिकी सेना के एडवांस्ड अटैक हेलीकॉप्टर प्रोग्राम के लिए डेवलप किया गया था। उस समय अमेरिकी सेना एएच-1 कोबरा हेलीकॉप्टर को प्रयोग करती थी। अपाचे ने पहली उड़ान 30 सितंबर 1975 को भरी थी।अपाचे को पहले एएच-64 नाम से जाना जाता था। इसे 1981 के अंत में अपाचे नाम दिया गया। अमेरिकी सेना अपने हेलीकॉप्टरों का नाम अमेरिकी आदिवासियों की प्रजातियों के नाम पर रखती है। इस वजह से हेलीकॉप्टर का नाम अपाचे रखा गया।
अपाचे के हथियार हैं इसकी ताकत
अप्रैल 1986 में अपाचे को अमेरिकी सेना में शामिल किया गया। अपाचे में फिट सेंसर की मदद से यह अपने दुश्मनों को आसानी से तलाश कर उन्हें खत्म कर सकता है। साथ ही इसमें नाइट विजन सिस्टम भी इंस्टॉल हैं।अपाचे में 30 मिलिमीटर की एक एम230 चेन गन को मेन लैंडिंग गियर के बीच इंस्टॉल किया गया है और यह हेलीकॉप्टर की स्ट्राइकिंग कैपेसिटी को दोगुना करती है।
तालिबान पर अपाचे की सर्जिकल स्ट्राइक
अपाचे के चार अहम बिंदु इसके पंखों के ऊपर स्थित हैं। इनमें एक एजीएम-114 हेलफायर मिसाइल और हाइड्रा 70 रॉकेट पॉड्स को फिट किया गया है।अपाचे को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह वॉर जोन में लड़ाई के समय जरा भी फेल नहीं हो सकता है। इसकी इसी खूबी की वजह से तालिबान के खिलाफ अफगानिस्तान में इसका जमकर प्रयोग हुआ है। साल 2011 तक अपाचे हेलीकॉप्टर तीन मिलियन यानी 30 लाख घंटों की उड़ान को पूरा कर चुका था।
मिसाइल हमला भी बेअसर
अपाचे दुनिया के उन चुनिंदा हेलीकॉप्टर में शामिल है जो किसी भी मौसम या किसी भी स्थिति में दुश्मन पर हमला कर सकता है।हेलीकॉप्टर में इंस्टॉल एयरफ्रेम में कुछ का वजन करीब 2,500 पौंड यानी 1,100 किलो है। यह एयरफ्रेम इसे किसी भी बैलेस्टिक हमले से सुरक्षित रखता है। अमेरिका के अलावा इस समय यूके, ग्रीस, जापान, इजरायल, नीदरलैंड्स, सिंगापुर और यूएई की सेनाएं इस हेलीकॉप्टर का प्रयोग करते हैं। यूके में यह हेलीकॉप्टर अगस्तावेस्टलैंड अपाचे के लाइसेंस से रजिस्टर्ड है। अफगानिस्तान के अलावा अमेरिका ने इराक के युद्ध में भी इसका प्रयोग किया था। वहीं इजरायल इसका प्रयोग लेबनान और गाजा पट्टी में जारी संघर्ष के दौरान करता आया है।
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