
भारत और चीन के बीच जल्द ही एक और राउंड की कोर कमांडर वार्ता
नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच जारी टकराव को अब 130 दिन पूरे होने वाले हैं। लेकिन इसके सुलझने के आसार फिलहाल नजर नहीं आते हैं। इस बीच सेना सूत्रों की तरफ से बताया गया है कि जल्द ही दोनों देशों के बीच एक और दौर की कोर कमांडर वार्ता हो सकती है। बुधवार को दोनों देशों के बीच एक और राउंड ब्रिगेड कमांडर वार्ता हुई थी। इस वार्ता में ही कोर कमांडर वार्ता पर रजामंदी बनी है। हालांकि अभी तक यह नहीं तय हो सका है कि वार्ता कब होगी और इसका एजेंडा क्या होगा।

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अगस्त में हुई थी आखिरी मीटिंग
नौ सितंबर को सुबह 11 बजे से दोपहर तीन बजे तक चुशुल में कोर कमांडर वार्ता हुई थी। जहां रेजांग ला में भारत और चीन के जवान आमने-सामने हैं तो वहीं दोनों देशों के बीच संपर्क भी बना हुआ है। भारत और चीन के बीच अब तक पांच दौर की कोर कमांडर स्तर की मीटिंग हो चुकी है। पहली मीटिंग छह जून को हुई थी और अब तक हुई किसी भी मीटिंग में कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका है। लेह स्थित 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के मेजर जनरल ल्यू लिन के बीच मुलाकात पांचों बार 12 घंटे से ज्यादा समय तक चली है। आखिरी बार अगस्त माह की शुरुआत में दोनों देशों के बीच कोर कमांडर वार्ता हुई थी। 10 घंटे की उस मीटिंग में एक बार फिर पीएलए का अड़ियल रवैया देखने को मिला है। भारत की तरफ से जहां पीएलए को पैंगोंग इलाका खाली करने को कहा गया तो चीन ने इससे साफ इनकार कर दिया।
सात सितंबर से बढ़ा है तनाव
सात सितंबर को भारत और चीन के बीच तनाव एक बार फिर से चरम स्तर पर पहुंच गया था। पीएलए के वेस्टर्न थियेटर कमांड की तरफ से भारतीय जवानों पर फायरिंग का आरोप लगाया गया था। इंडियन आर्मी की तरफ से ची को स्पष्ट कर दिया गया था कि न तो भारत के सैनिकों ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) को पार किया है और न ही कोई फायरिंग की। सेना का कहना था कि चीन के सैनिकों ने मुखपारी पोस्ट पर भारतीय जवानों को डराने के मकसद से फायरिंग की थी। सेना के मुताबिक चीन लगातार भारतीय जवानों को भड़काने का काम कर रहा है। सेना ने अपने बयान में कहा था कि वह हर हाल में देश की अखंडता की सुरक्षा करेगी। 29 और 30 अगस्त को चीनी जवानों ने पैंगोंग त्सो के दक्षिण में कब्जे की कोशिश की थी। दोनों देशों के बीच इस समय फिंगर एरिया, गलवान घाटी, हॉट स्प्रिंग्स और कोंगुरुंग नाला को लेकर विवाद जारी है।