कश्मीर पर चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग के बयान से नाराज मोदी, आतंरिक मसलों से दूर रहने की सलाह
नई दिल्ली। 24 घंटे बाद चेन्नई में भारत और चीन के बीच ममल्लापुरम में दूसरे अनौपचारिक सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे। लेकिन इससे पहले ही भारत ने जिनपिंग के उस बयान को लेकर नाराजगी दर्ज कराई है जो जम्मू कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के हित में दिया गया था। भारत की तरफ से जिनपिंग को कड़ा जवाब दिया गया है और कहा गया है कि यह हर किसी के हित में होगा अगर वह भारत के आतंरिक मामलों से दूर रहें।
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जम्मू कश्मीर भारत का हिस्सा
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार की ओर से जिनपिंग के बयान पर भारत की स्थिति स्पष्ट की गई है। रवीश कुमार ने कहा, 'हमनें ऐसी रिपोर्ट्स देखी हैं जिसमें चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से मुलाकात करते हुए कश्मीर पर चर्चा की है।' उन्होंने आगे कहा, 'भारत की स्थिति इस पूरे मसले पर हमेशा से साफ रही और हर बार यह स्पष्ट की जा चुकी है कि जम्मू कश्मीर भारत का आतंरिक हिस्सा है। चीन हमारी इस स्थिति से भली-भांति वाकिफ है। दूसरे देशों को भारत के आतंरिक मसलों में टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है।' चीन और पाकिस्तान दोनों ही 'ऑल वेदर ऐली' हैं। चीन ने पाक के उन दावों का समर्थन किया है जिसमें अंतराष्ट्रीय मंचों से पांच अगस्त के बाद से जम्मू कश्मीर को लेकर भारत पर मानवाधिकार हनन के आरोप लगाए जा रहे हैं।
इमरान को दिया समर्थन का वादा
जिनपिंग और इमरान के बीच बुधवार को मुलाकात हुई। इस मुलाकात में जिनपिंग ने खान को भरोसा दिलाया है कि चीन, पाकिस्तान के मूलभूत हितों से जुड़े मसलों पर उसका समर्थन करेगा। चीन की न्यूज एजेंसी शिन्हुआ ने जिनपिंग के हवाले से कहा था कि हालांकि 'सही और गलत' की स्थिति पूरी तरह से साफ है, भारत और पाकिस्तान को अपने मसलों का हल बातचीत के जरिए करना चाहिए। इमरान खान यह बात मान चुके हैं कि उनकी सरकार इस मसले का अंतरराष्ट्रीयकरण करने में पूरी तरह से विफल रही है और न ही अंतरराष्ट्रीय नेताओं पर कोई दबाव कश्मीर को लेकर बनाया जा सका है।
चेन्नई समिट से पहले तनातनी
चेन्नई में 11 और 12 अक्टूबर को एक अनौपचारिक सम्मेलन में पीएम मोदी और जिनपिंग की मुलाकात होनी है। इस इनफॉर्मल समिट से पहले आया जिनपिंग का यह बयान ने थोड़ी असहज स्थिति पैदा कर दी है। चीनी सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि आने वाली चेन्नई इनफॉर्मल समिट दोनों नेताओं को एक मौका देगी कि वे द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर जरूरी मुद्दों को लेकर चर्चा कर सकेंगे और भारत-चीन की करीबी साझेदारी को गहरा करने के लिए विचार साझा कर पाएंगे। वहीं इमरान की जिनपिंग के साथ मीटिंग के बाद एक ज्वॉइन्ट स्टेटमेंट (साझा बयान) जारी किया गया था। इस बयान में कहा गया था, 'कश्मीर एक ऐसी विवादित मुद्दा है जिसे इतिहास पीछे छोड़कर गया है और इसे यूएन चार्टर के तहत शांतिपूर्ण और उचित तरीके से सुलझाया जाना चाहिए।' चीन ने यह भी कहा था कि वह जम्मू और कश्मीर के वर्तमान हालातों पर करीब से नजर रखे हुए है।