श्री श्री रविशंकर को कोर्ट ने लगाई फटकार, कहा- आपको जिम्मेदारी का बिल्कुल अहसास नहीं
श्री श्री रविशंकर ने दिल्ली में यमुना नदी के किनारे पिछले साल हुए 3 दिन के सांस्कृतिक समारोह को लेकर कोर्ट और सरकार पर निशाना साधा था। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई तो आध्यात्मिक गुरु ने पलटवार किया है।
नई दिल्ली। आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर की टिप्पणी को लेकर देश की सबसे बड़ी पर्यावरण अदालत ने नाराजगी जताई है। एनजीटी कोर्ट ने आध्यात्मिक गुरु पर निशाना साधते हुए कहा है कि आपको जिम्मेदारी का बिल्कुल भी अहसास नहीं है। कोर्ट ने कहा कि आपको क्या लगता है कि जो आप चाहें वो बोल सकते हैं? कोर्ट की टिप्पणी पर श्री श्री रविशंकर ने भी पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि जो लोग हमें गैरजिम्मेदार बता रहे हैं या तो वो हमें जानते नहीं, या फिर उनका सेंस ऑफ ह्यूमर सुधर गया है।
श्री श्री रविशंकर की टिप्पणी पर कोर्ट ने जताई नाराजगी
पर्यावरण कोर्ट ने आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर के उस बयान पर की है जिसमें उन्होंने दिल्ली में यमुना नदी के किनारे पिछले साल हुए तीन दिन के सांस्कृतिक समारोह को लेकर कोर्ट और सरकार को कटघरे में खड़ा किया था। कोर्ट ने कहा था कि क्या श्री श्री रविशंकर को अपनी जिम्मेदारी का बिल्कुल भी अहसास नहीं है? कोर्ट ने आगे कहा कि आपको क्या लगता है कि आप जो चाहें बोल सकते हैं। इसी के जवाब में श्री श्री रविशंकर ने कहा कि जो हमें जिम्मेदार नहीं मान रहे हैं वो या तो हमें जानते नहीं हैं या फिर उनका सेंस ऑफ ह्यूमर सुधर गया है। आध्यात्मिक गुरु ने कहा कि हमने यमुना को नुकसान नहीं पहुंचाया। बता दें कि बुधवार को श्री श्री रविशंकर ने आर्ट ऑफ लिविंग पर किए गए जुर्माने को लेकर कहा था कि ये कोर्ट और सरकार की गलती है कि उन्होंने तीन दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम को यमुना नदी के किनारे करने की अनुमति दी, जुर्माना इन पर लगाया जाना चाहिए।
श्री श्री रविशंकर की ओर से क्या कहा गया?
सरकार और राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) पर आरोप लगाते हुए श्री श्री रविशंकर ने कहा था कि उनकी संस्था ने सभी जरूरी निकायों से मंजूरी ली थी। इतना ही नहीं एनजीटी को भी कार्यक्रम के दो महीने पहले कार्यक्रम स्थल की स्वीकृति के लिए आवेदन किया था। उन्होंने ने कहा कि अगर एनजीटी चाहता तो वो कार्यक्रम को रोक सकता था।
जुर्माने पर श्री श्री रविशंकर ने रखा था अपना पक्ष
आध्यात्मिक गुरु ने कहा था कि कि यह गलत है कि इतने अच्छे आयोजन और बिना किसी नियम के उल्लंघन के भी जुर्माना लगाया गया। जो एक तमाचा है। श्री श्री रविशंकर ने कहा था कि ऑर्ट ऑफ लिविंग ने 27 नदियों को पुनर्जिवित किया है। 71 लाख पेड़ लगाए हैं। ऐसी संस्था को यमुना को खत्म करने वाला बताया जा रहा है।
आध्यात्मिक गुरु ने एनजीटी और सरकार पर साधा था निशाना
श्री श्री रविशंकर के इसी बयान के बाद देश की सबसे बड़ी पर्यावरण अदालत ने आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर के खिलाफ नाराजगी जाहिर करते हुए पूछा कि क्या आपकी कोई जिम्मेदारी नहीं बनती? आपको जिम्मेदारी का बिल्कुल भी अहसास नहीं है। कोर्ट ने कहा कि आपको क्या लगता है कि जो आपके मन में आए आप बोल सकते हैं?
पिछले साल दिल्ली में यमुना नदी के किनारे हुए कार्यक्रम से जुड़ा है मामला
पूरा विवाद पिछले साल दिल्ली में यमुना किनारे श्री श्री रविशंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग की ओर से कराए तीन दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम से जुड़ा हुआ है। जानकारों की ओर से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष ये कहा गया है कि पिछले साल हुए कार्यक्रम से यमुना नदी प्रभावित हुई हैं। सबूतों में कहा गया है कि कार्यक्रम से हुए नुकसान की भरपाई करीब 10 साल में हो पाएगी। हालांकि श्री श्री रविशंकर ने इन आरोपों से इंकार किया है।
इसे भी पढ़ें:- रविशंकर ने कहा- आर्ट ऑफ लिविंग पर नहीं, NGT पर लगे जुर्माना