आंध्र प्रदेश: हार के बाद कांग्रेस में नेतृत्व का संकट, अध्यक्ष को लेकर नहीं हो पाया फैसला
अमरावती: राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद पार्टी के सामने नेतृत्व संकट खड़ा हो गया है। राष्ट्रीय स्तर पर तो पार्टी नेतृत्व संकट से जूझ ही रही है, लेकिन आंध्र प्रदेश में भी कमोबेश यही परिस्थितिया हैं। हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव की काउंटिग से चार दिन पहले 19 मई को पूर्व मंत्री एन रघुवीरा रेड्डी के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद अभी तक किसी को पद नहीं दिया गया है।
आंध्र में नेतृत्व संकट
कांग्रेस के पूर्व मंत्री एन रघुवीरा रेड्डी ने शुक्रवार को कहा कि मैं चुनावों में पार्टी की हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देने वाला पहली पीसीसी प्रमुख था। कांग्रेस को चुनाव में 3,68,878 वोट मिले, जो राज्य में कुल 3.13 करोड़ वोटों का सिर्फ 1.17 फीसदी था। 2019 में पार्टी का प्रदर्शन 2014 के चुनावों से ही खराब रहा। साल 2014 के चुनाव में कांग्रेस को 8,02,072 वोट मिले, यह दर्शाता है कि पिछले पांच वर्षों में पार्टी अपनी अधिक जमीन खो चुकी है।
अध्यक्ष पद पर हाईकमान ने नहीं लिया फैसला
कांग्रेस आलाकमान ने रेड्डी के अध्यक्ष पद से इस्तीफे को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। उन्होंने कहा कि मैंने पिछले महीने पार्टीआलाकमान को एक रिमाइंडर भेजा था। इसमें मैंने मेरे इस्तीफे को स्वीकार करने का अनुरोध किया था। मैंने कुछ हफ्ते पहले एआईसीसी के महासचिव के के वेणुगोपाल से भी मुलाकात की थी और कहा किसी और को मेरी जगह नियुक्त किया जाए। लेकिन मेरे अनुरोध पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
'राष्ट्रीय नेतृत्व का मामला सुलझने के बाद फैसला'
कांग्रेस के दिग्गज नेता चिंता मोहन ने कहा कि जब तक राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व का मसला हल नहीं हो जाता, तब तक रेड्डी के उत्तराधिकारी की तलाश की कोई संभावना नहीं है। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि हम उम्मीद कर रहे हैं कि संसद सत्र समाप्त होने के बाद हम कांग्रेस वर्किंग कमेटी से बात करेंगे। विशाखापत्तनम के राजनीतिक विश्लेषक राजेश मल्लू ने कहा कि कांग्रेस के पास किसी को पीसीसी प्रमुख नियुक्त करने के बाद भी स्कोप नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस कमजोर हो गई है और उसका कैडर बिखर गया है।