अनंतनाग आतंकी हमले के पीछे मसूद अजहर के साथ कंधार में छोड़ा गया आतंकी मुश्ताक अहमद जरगर
श्रीनगर। जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में बुधवार को आतंकियों ने एक बार फिर सीआरपीएफ जवानों को निशाना बनाया। दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में केपी रोड पर एक आत्मघाती हमले में पांच सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए। एक पुलिस ऑफिसर और एक आम नागरिक को भी हमले में चोट आई। 14 फरवरी को पुलवामा आतंकी हमले के बाद घाटी में यह दूसरा बड़ा आतंकी हमला है जिसमें सीआरपीएफ को निशाना बनाया गया है। हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन अल उमर मुजाहिद्दीन ने ली है जिसकालीडर है मुश्ताक अहमद जरगर। जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर की ही तरह जरगर को भी साल 1999 में कंधार हाइजैक के समय जेल से छोड़ा गया था।
17 वर्ष बाद फिर सुना गया नाम
जरगर
करीब
तीन
वर्ष
पहले
उस
समय
खबरों
में
आया
था
जब
उसने
जम्मू
कश्मीर
की
राजधानी
श्रीनगर
से
12
किलोमीटर
दूर
जकुरा
में
सुरक्षाबलों
पर
हमला
किया
था।
जकुरा
में
सशस्त्र
सीमा
बल
यानी
एसएसबी
की
पेट्रोलिंग
टीम
पर
आतंकी
हमला
हुआ।
इस
हमले
में
जहां
एक
एसएसबी
जवान
की
मौत
हो
गई
थी
तो
वहीं
आठ
जवान
घायल
हो
गए
थे।
17
वर्ष
बाद
जरगर
का
नाम
घाटी
में
फिर
से
सुना
गया
और
इसके
साथ
ही
एजेंसियों
के
कान
खड़े
हो
गए
थे।
कश्मीर में पैदा और कश्मीर के ही खिलाफ
मुश्ताक अहमद जरगर का जन्म कश्मीर घाटी के श्रीनगर में स्थित नौहट्टा में वर्ष 1967 हुआ था। जरगर के परिवार का घाटी में तांबे की पॉलिश करने का बिजनेस था। वर्ष 1984 में जरगर आतंकवाद की ओर मुड़ गया और वर्ष 1988 में जरगर पाकिस्तान चला गया। वर्ष 1989 में जरगर भारत वापस आया और अल-उमर मुजाहिदीन (एयूएम) आतंकी संगठन की शुरुआत की। 12 अगस्त 1989 को जरगर ने नव नियुक्त गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबीया सईद का अपहरण किया।
1992 में हुआ था गिरफ्तार
वर्ष 1990 में जब जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट यानी जेकेएलएफ की स्थापना हुई तो एयूएम में फूट पड़ने लगी। जेकेएलएफ वही संगठन है जिसे इस समय यासीन मलिक लीड कर रहा है। सेना के साथ एनकाउंटर में एयूएम के सभी प्रमुख आतंकी मारे गए। 15 मई 1992 को जरगर को एक एनकाउंटर के बार गिरफ्तार किया गया। माना जाता है कि जरगर 40 मर्डर और मनी लॉन्ड्रिंग के केस में शामिल रहा है। 31 दिसंबर 1999 को जरगर को आईसी 814 फ्लाइट के बंधकों की रिहाई के बदले छोड़ दिया गया।
2002 में पाक ने किया था गिरफ्तारी का दावा
यहां से जरगर पाकिस्तान गया और फिर एलओसी के पास पीओके आ पहुंचा। मुजफ्फराबाद में जरगर आज कई आतंकी कैंप्स चलाता है। वह कश्मीर में गुरिल्ला वॉर शुरू करने के लिए युवाओं की भर्ती करता है और उन्हें ट्रेनिंग देता है। जरगर अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं के जाने का श्रेय खुद लेता है। वर्ष 2002 में खबर आई कि पाकिस्तान अथॉरिटीज ने जरगर को गिरफ्तार कर लिया है। वर्ष 2007 में यह खबर भी आई कि जरगर बिना किसी रोक-टोक के मुजफ्फराबाद में रह रहा है।