नितिन गडकरी का मास्टरस्ट्रोक! आर्थिक आधार पर हो आरक्षण, क्या आगे कदम बढ़ाएगी मोदी सरकार?
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में मराठा, गुजरात में पाटीदार, राजस्थान में गुर्जर, हरियाणा में जाट आरक्षण की मांग उठ रही है। संयोग से चारों राज्यों में बीजेपी सरकार है। हरियाणा में आरक्षण के नाम पर हुई भीषण हिंसा को भी हमने देखा तो गुजरात में भी उग्र आंदोलन हुए। जिस प्रकार से महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा में आरक्षण को लेकर बवाल मचा है, उससे स्पष्ट है कि 2019 लोकसभा चुनाव में यह बीजेपी की दुखदी रग भी बन सकता है। इस बीच मराठा आरक्षण को लेकर केंद्रीय मंत्री और महाराष्ट्र के कद्दावर नेता नितिन गडकरी का बेहद अहम बयान आया है, जिसमें उन्होंने आर्थिक आधार पर आरक्षण की बात कही है। अब सवाल यही है क्या नितिन गडकरी जो कह रहे हैं, मोदी सरकार उसी दिशा की तरफ बढ़ने जा रही है? या आर्थिक आधार पर आरक्षण सिर्फ गडकरी की निजी राय है?
मायावती ने बिना देरी किए गडकरी को दिया समर्थन
नितिन गडकरी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बेहद करीब माने जाते हैं। ऐसा तो नहीं कि संघ गडकरी के जरिए आर्थिक आधार पर आरक्षण के मुद्दे पर बीजेपी में व्यापक बहस कराकर 2019 लोकसभा चुनाव से पहले कोई बड़ा ऐलान कराने की तैयारी में हो। बहरहाल, बीजेपी की ओर से आर्थिक आधार पर आरक्षण को लेकर किसी बड़े नेता की प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन बसपा सुप्रीमो मायावती ने जरूर गडकरी का समर्थन कर दिया है। मायावती ने कहा कि अगर आरक्षण आर्थिक आधार पर हो तो मुस्लिमों को भी मिले।
मुस्लिमों को भी आरक्षण की बात पर सहमत दिखे नितिन गडकरी
नितिन गडकरी ने भी औरंगाबाद में मीडिया से बातचीत के दौरान मुस्लिमों का नाम लिया। गडकरी ने कहा कि गरीब तो गरीब होता है। उसकी न कोई जाति है, न कोई मजहब। हिंदू हों, मुस्लिम हों या मराठा सभी समुदायों में एक वर्ग ऐसा है, जिसके पास न पहनने को कपड़े हैं और खाने को रोटी। गडकरी ने कहा कि कोटा के साथ दिक्कत क्या है कि पिछड़ापन राजनीतिक दलों के लिए लाभकारी बन गया है। आज हर कोई कह रहा है कि मैं बैकवर्ड हूं। बिहार और यूपी में ब्राह्मण मजबूत हैं। राजनीति में उनका अच्छा-खासा प्रभाव है। वे भी कह रहे हैं कि हम बैकवर्ड हैं।
आर्थिक आधार पर आरक्षण की बात बढ़ी तो मुस्लिमों को होगा फायदा
यूं तो देश में कई ऐसे दल हैं, जो मुस्लिमों की रहनुमाई करते हैं। समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, बसपा, कांग्रेस आदि, लेकिन मुस्लिमों को आरक्षण दिलाने में कोई सफल नहीं रहा। हर बार धर्म के आधार पर आरक्षण न दिए जाने की बात की जाती रही। हालांकि, इस देश में जाति के नाम पर आरक्षण खूब दिया गया। मुसलमान आरक्षण से वंचित रह गए। ऐसे में गडकरी के विचार पर अगर चर्चा होती है और मोदी सरकार आर्थिक आधार पर आरक्षण की दिशा में बढ़ती है तो 2019 के लिए यह मुद्दा गेंमचेंजर साबित हो सकता है।